बचपन में चाय बेचने से लेकर दो बार पीएम बनने तक कुछ ऐसा रहा नरेंद्र मोदी का संघर्ष

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कल सुबह 6 बजे गांधीनगर में मां हीराबेन का आशीर्वाद लेकर अपना जन्‍मदिन मनाएंगे. हर बड़े मौके पर वह अपनी मां से मुलाकात जरूर करते हैं.

नई दिल्‍ली. प्रधानमंत्री (PM) नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) गांधीनगर में मां हीराबेन (Hiraben) का आशीर्वाद लेकर अपना जन्‍मदिन मनाएंगे. हर बड़े मौके पर वह अपनी मां से मुलाकात जरूर करते हैं. उनके गरीबी में बीते बचपन से लेकर राजनीति के शिखर तक पहुंचने में मां के आशीर्वाद के साथ ही उनकी कड़ी मेहनत, लगन, दूरदर्शिता, सियासी प्रतिद्वंद्वियों को चित करने की क्षमता, निरंतर संघर्ष और लक्ष्‍य पर हर वक्‍त नजर रखने की काबिलियत की अहम भूमिका रही है. उनका जन्‍म 17 सितंबर 1950 को गुजरात के वडनगर में हुआ था. वह इस बार अपना 69वां जन्‍मदिन मनाएंगे.

बचपन में रेलवे स्‍टेशन पर चाय की दुकान पर पिता की करते थे मदद
पीएम मोदी का बचपन काफी गरीबी में बीता. उनके पिता वडनगर रेलवे स्‍टेशन पर चाय की दुकान चलातेथे. उन दिनों नरेंद्र मोदी भी अपने पिता की मदद के लिए चाय बेचते थे. तमाम संघर्षों के बीच बचपन से ही उनके मन में देश सेवा का भाव था. उन दिनों वह सेना में भर्ती होना चाहते थे. इसके लिए वह पूरी लगन और मेहनत से पढ़ाई करते थे. बताया जाता है कि वह शुरुआती दिनों से ही बहस करने में माहिर थे. पिता की मदद के अलावा उनका ज्‍यादातर समय लाइब्रेरी में बीतता था. उनकी शुरुआती शिक्षा वडनगर के भगवतार्चा नारायणार्चा स्‍कूल में हुई थी. एक समय ऐसा भी आया जब एक्टिंग का शौक उनके सिर चढ़कर बोल रहा था, लेकिन भाग्‍य को कुछ और ही मंजूर था. उनकी किस्‍मत ने तय किया था कि वह देश के पीएम बनेंगे.

नरेंद्र मोदी ने आडवाणी की रथयात्रा के आयोजन में निभाई थी अहम भूमिका
इसी दौरान उनका झुकाव राष्‍ट्रीय स्‍वयंसेवक संघ की ओर बढ़ने लगा. वह 17 साल की उम्र में संघ से जुड़ गए. फिर 1974 में नवनिर्माण आंदोलन में भी शामिल हुए. संघ में वह कई साल प्रचारक रहे. समय बीतने के साथ उन्‍हें बीजेपी में कई अहम जिम्‍मेदारियां दी गईं. उन्‍होंने बीजेपी के वरिष्‍ठ नेता लालकृष्‍ण आडवाणी की 1990 की सोमनाथ से अयोध्‍या तक निकाली गई रथयात्रा में अहम भूमिका निभाई थी. केशुभाई पटेल को 2001 में मुख्‍यमंत्री पद से हटाने के बाद पार्टी ने नरेंद्र मोदी को गुजरात का सीएम बनाने का फैसला लिया. फरवरी, 2002 में गुजरात दंगों के बाद दिसंबर, 2002 में हुए विधानसभा चुनावों में बीजेपी ने दर्ज की. इसके बात तब के सीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्‍व में पार्टी ने 2007 और 2012 के विधानसभा चुनावों में भी शानदार जीत हासिल की.

गुजरात में तीसरी जीत के बाद ही तय हो गया था राष्‍ट्रीय राजनीति में प्रवेश
2012 में लगातार तीसरी बार गुजरात में बीजेपी को शानदार जीत दिलाने और विकास के गुजरात मॉडल को पूरे देश में मिली प्रशंसा के बाद माना जाने लगा था कि नरेंद्र मोदी जल्‍द ही राष्‍ट्रीय राजनीति में भी नजर आएंगे. इसके बाद मार्च, 2013 में नरेंद्र मोदी को बीजेपी संसदीय बोर्ड में नियुक्त करने और केंद्रीय चुनाव प्रचार समि‍ति का अध्‍यक्ष बनाए जाने के बाद स्‍पष्‍ट हो गया था कि अब वही अगले लोकसभा चुनाव में पार्टी की ओर से प्रधानमंत्री पद के प्रत्‍याशी होंगे. वर्ष 2014 में नरेंद्र मोदी के नाम पर बीजेपी ने लोकसभा चुनाव लड़ा और प्रचंड बहुमत के साथ सत्ता में वापसी की. नरेंद्र मोदी ने 26 मई, 2014 को देश के 14वें प्रधानमंत्री के तौर पर शपथ ली.

पीएम मोदी का मतलब बीजेपी और बीजेपी का मतलब पीएम मोदी हो गया
पीएम मोदी ने 2019 तक अपने कार्यकाल में एक के बाद एक कई अहम फैसले लिए. पीएम मोदी की लोकप्रियता हर दिन बढ़ती गई. धीरे-धीरे बीजेपी का मतलब पीएम नरेंद्र मोदी और पीएम नरेंद्र मोदी का मतलब बीजेपी हो गया. उनके मिले जनसमर्थन के आगे विपक्ष की किसी भी पार्टी की एक भी नहीं चली. नतजीतन लोकसभा चुनाव, 2019 में देश ने बीजेपी के पक्ष में एकतरफा मतदान किया. एक बार फिर लोगों ने पीएम मोदी के चेहरे पर एनडीए को ऐतिहासिक जीत दिलाई. इस बार अकेले बीजेपी ने 303 सीटों पर जीत दर्ज की.

 

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