स्विट्जरलैंड में राष्ट्रपति कोविंद के विमान में तकनीकी खराबी आई, ज्यूरिख से 3 घंटे देर से उड़ान भरी; जांच होगी

राष्ट्रपति कोविंद को स्लोवेनिया ले जाने वाले एयर इंडिया वन विमान के रडर सिस्टम में तकनीकी खराबी आई थी विमान में तकनीकी खराबी आने के बाद लंदन के हीथ्रो एयरपोर्ट पर बोइंग 777 को स्टैंडबाई पर रखा गया था कोविंद इन दिनों आइसलैंड, स्विटजरलैंड और स्लोवेनिया के दौरे पर हैं, वे 17 को भारत लौटेंगे

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ज्यूरिख/नई दिल्ली. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को ले जा रहे विमान ने तकनीकी खराबी की वजह से ज्यूरिख एयरपोर्ट से 3 घंटे देरी से उड़ान भरी। यह घटना रविवार की है, एयर इंडिया ने विमान के सिस्टम में आई इस खराबी की जांच फुल इन्क्वायरी के आदेश दिए हैं। राष्ट्रपति इन दिनों स्लोवेनिया, स्विट्जरलैंड और आइसलैंड के दौरे पर हैं, वे 17 सितंबर को वापस लौटेंगे।

रडर सिस्टम का इस्तेमाल विमान को दिशा देने में होता है 
न्यूज एजेंसी के मुताबिक, राष्ट्रपति कोविंद के एयर इंडिया वन विमान को ज्यूरिख से स्लोवेनिया के लिए उड़ान भरनी थी। इसी दौरान उनके विमान में रडर फॉल्ट का पता चला। इसके चलते विमान की उड़ान में देरी हुई। रडर विमान, जहाज या पनडुब्बी में इस्तेमाल किया जाने वाला प्राथमिक सिस्टम होता है, जिसके जरिए उन्हें दिशा दी जाती है।

एयर इंडिया के इंजीनियर्स ने दूर की तकनीकी दिक्कत
रिपोर्ट्स के मुताबिक, जिस दौरान राष्ट्रपति के विमान में तकनीकी खराबी का पता चला, उस वक्त लंदन-मुंबई सेक्टर के बीच ऑपरेट कर रहे एयर इंडिया के बोइंग 777 को लंदन के हीथ्रो एयरपोर्ट पर स्टैंडबाई पर रखा गया था। अगर राष्ट्रपति के विमान की गड़बड़ी सुधारी नहीं जाती तो इस विमान को उन्हें स्लेवेनिया ले जाने के लिए ज्यूरिख एयरपोर्ट भेजा जाता। हालांकि, एयर इंडिया के इंजीनियर्स ने समय रहते गड़बड़ी को दूर कर दिया।

पाक ने अपने हवाई क्षेत्र से गुजरने से इनकार कर दिया
कोविंद के दौरे से पहले पाकिस्तान ने पाकिस्तान ने उनके विमान को अपने हवाई क्षेत्र से गुजरने की अनुमति देने से इनकार कर दिया था। पाक विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने शनिवार को कहा था- कश्मीर के मौजूदा हालत पर गौर करते हुए पाकिस्तान ने भारत के लिए एयरस्पेस बंद करने का निर्णय लिया है।

क्या होता है रडर फॉल्ट
रडर फॉल्ट (Rudder Fault) या रडर हार्डओवर (Rudder Hardover) विमानन क्षेत्र की ऐसी गड़बड़ी है, जिससे बड़ी-बड़ी विमानन कंपनियां खौंफ खाती हैं। माना जाता है कि उड़ान के दौरान विमान में अगर रडर फॉल्ट या रडर हार्डओवर आया तो विमान का क्रैश होना तय है। रडर, प्लेन के पिछले हिस्से में विमान की दिशा को नियंत्रित करने के लिए ऊपर की तरफ पर लगे होते हैं। रडर फॉल्ट आने पर विमान का दिशा सूचक सिस्टम खराब हो जाता है। इससे विमान अचानक से एक दिशा में पूरी तरह से बाएं या दाएं मुड़ जाता है। विमान के अचानक से दिशा बदलने की वजह से विमान हवा में अनियंत्रित हो जाता है।

विमान के हो सकते हैं दो टुकड़े
aviation.stackexchange.com के अनुसार इस तरह की घटना पावर कंट्रोल यूनिट में खराबी के कारण होती है। रडर फॉल्ट की वजह उसका जाम हो जाना भी हो सकता है। रडार फॉल्ट की वजह से विमान हवा में एकदम से बाएं या दाएं घूम जाता है। इससे विमान के पिछले हिस्से पर हवा का भारी दबाव पड़ता है। तेज गति होने पर विमान के पिछले विंग्स (पर) टूट सकते हैं या पूरा विमान टूटकर दो हिस्सों में बंट सकता है। यह आमतौर पर हल्के विमानों या ग्लाइडर्स को जल्दी से नीचे उतारने के लिए जानबूझकर किया जाता है। वेबसाइट के अनुसार अगर हवा में तेज रफ्तार से उड़ते हुए रडर फॉल्ट होता है तो कितना भी कुशल पायलट हो वह विमान को नियंत्रित नहीं कर सकता। ऐसे में एक कुशल पायलट केवल इतना कर सकता है कि क्रैश लैंडिंग में नुकसान कम से कम हो।

कई और खराबियों का बन सकता है कारण
aviation.stackexchange.com के मुताबिक रडर फॉल्ट होने पर तेज रफ्तार विमान अचानक से एक दिशा की तरफ घूमता है, इससे विमान का लैंडिंग गियर भी खराब हो सकता है। ऐसे में विमान की लैंडिंग के वक्त उसके पहिये नहीं खुलेंगे, जो विमान के लिए बहुत खतरनाक होगा। इसकी वजह से विमान हवा में रोल भी हो सकता है। इतना ही नहीं रडर फॉल्ट को नियंत्रित करने के चक्कर में विमान हवा में तेजी से गोता भी लगा सकता है। पूर्व में ऐसे भी कई हादसे हुए हैं। 2014 में इंडोनेशिया में हुए ऐसे ही एक हादसे में 162 लोगों की मौत हुई थी।

40 साल में बोइंग की 120 शिकायतें
वेबसाइट b737.org.uk के अनुसार रडर फॉल्ट बहुत खतरनाक है, लेकिन इसकी आशंका कम होती है। 40 वर्षों में बोइंग 737 के विमानों में इस तरह की 120 शिकायतें आ चुकी हैं। 1990 के शुरुआत में इस तरह की कई विमान दुर्घटनाएं हुई हैं। इनमें से दो दुर्घटनाओं में 157 लोग मारे गए थे। इसके बाद इस तकनीकी खराबी की तरफ इंजीनियरों का ध्यान गया। फिर बोइंग 737 के सभी विमानों में इस दिक्कत को स्थाई तौर पर सही किया गया। इसके बाद वर्ष 2008 तक रडर के डिजाइन में कई क्रांतिकारी परिवर्तन किए गए। इससे रडर पहले के मुकाबले काफी सुरक्षित हो गया। इस वजह से विमान में अब रडर फॉल्ट की खराबी बहुत कम आती है।


रडर फॉल्ट की वजह से हुई बड़ी दुर्घटनाएं

 

  • 03 मार्च 1991 – कोलाराडो के पास यूनाइटेड एयरलाइंस की उड़ान संख्या UA585 (बोइंग 737) क्रैश हुआ। विमान में 1000 फीट की ऊंचाई पर खराबी आयी। विमान में सवार सभी 25 लोग मारे गए।
  • 08 सितंबर 1994 – यूएस एयर का विमान US427 (बोइंग 737-300), पिट्सबर्ग रनवे पर लैंडिंग करने वाला था। 6000 फीट की ऊंचाई पर विमान में खराई आयी। विमान क्रैश होने से उसमें सवार सभी 132 मारे गए।
  • वर्ष 1996 – ईस्टविंड एयरलाइंस की फ्लाइट संख्या 517 (बोइंग 737) दुर्घटनाग्रस्त हुई थी। हालांकि, पायलट ने बड़ी सूझबूझ से प्लेन की नियंत्रित क्रैश लैंडिंग कराई। विमान में सवार सभी 53 लोग सुरक्षित।
  • 23 अक्टूबर 2014 – यूएस एयरवेज की फ्लाइट संख्या US751 (बोइंग 757-200) में आयरलैंड के ऊपर रडर फॉल्ट हुआ। विमान छह घंटे तक हवा में चक्कर काटता रहा। उसमें सवार 204 यात्रियों की जान अटकी रही।
  • 28 दिसंबर 2014 – एयर एशिया की फ्लाइट संख्या QZ 8501 (एयरबस 320) जकार्ता, इंडोनेशिया में क्रैश हुई। प्लेन में सवार सभी 162 लोग मारे गए।
  • 01 दिसंबर 2015 – इंडोनेशियन नेशनल ट्रांसपोर्टेशन सेफ्टी कमेटी के चीफ ने दिसंबर 2014 के हादसे के कारण की जानकारी देते हुए बताया कि पिछले 12 महीने में रडर फॉल्ट की 23 घटनाएं हुई हैं।

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