जानें, कौन थे लेफ्टिनेंट कर्नल गौरव सोलंकी, जो भगत सिंह की तरह शहीद होना चाहते थे

गौरव सोलंकी ने कांगो में अपना काम पूरा कर लिया था और वे अगले कुछ दिनों में भारत में अपने रेजिमेंट में शामिल होने वाले थे.

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  • कांगो में सैन्य पर्यवेक्षक के तौर पर तैनात थे ले. कर्नल गौरव सोलंकी
  • कुछ दिनों में स्वदेश लौट कर रेजिमेंट में शामिल होने वाले थे सोलंकी
  •  किवु झील में कायकिंग ट्रिप पर गया था ले. कर्नल गौरव सोलंकी का ग्रुप

कांगो के किवु झील में कायकिंग ट्रिप के दौरान पांच दिन पहले लापता हुए भारतीय सैन्य अधिकारी गौरव सोलंकी को गुरुवार को झील में मृत पाया गया. लेफ्टिनेंट कर्नल गौरव सोलंकी को मध्य अफ्रीकी देश में संयुक्त राष्ट्र के अभियान में एक सैन्य पर्यवेक्षक के तौर पर तैनात किया गया था. गौरव सोलंकी मूल रूप से दिल्ली के रहने वाले थे.

कायकिंग ट्रिप पर गया था ग्रुप

लेफ्टिनेंट कर्नल गौरव सोलंकी के शव को गुरुवार को किवु झील से बरामद किया गया, जहां वे कायकिंग करने गए थे. सोलंकी के साथ एक ग्रुप भी था जो बीते रविवार कांगो और रवांडा की सीमा के बीच स्थित चेगेरा द्वीप के नजदीक किवु झील में कायकिंग ट्रिप पर गया था. कायकिंग ट्रिप के बाद सोलंकी को छोड़ सभी वापस आ गए. लापता अधिकारी की तलाश के लिए स्पीड बोट और हेलीकॉप्टर से खोज और बचाव अभियान शुरू किया गया. उनका शव गुरुवार को करीब 11 बजे बरामद किया गया.

सोलंकी का करियर

गौरव सोलंकी ने दिल्ली के धौला कुंआ स्थित आर्मी पब्लिक स्कूल से पढ़ाई की. वे अकेडमी के क्रिकेट टीम और टेनिस टीम में भी रहे. साल 2000 में गौरव सोलंकी ने एनडीए ज्वाइन किया. इसके बाद 2002 में वे स्क्वाड्रन कैडेट कैप्टन के रूप में पासआउट हुए. 2003 में वे इंफाल कंपनी आईएमए से सीनियर अंडर अफसर के तौर पर पासआउट हुए. साल 2003 में ही वे 6 जाट रेजिमेंट से जुड़े और 2004-5 में घातक प्लाटून में शामिल हुए.

साल 2010 से 2012 तक इंडियन मिलिट्री अकेडमी में सीएलबी इंस्ट्रक्टर

इसके बाद 2006 में मणिपुर में काउंटर इंसर्जेंसी ऑपरेशन में कंपनी कमांडर के तौर पर शामिल हुए. गौरव सोलंकी 2007 में जम्मू-कश्मीर में 5 आरआर बटालियन में शामिल हुए. इसके अलावा 4 पैरा स्पेशल फोर्सेस में चयनित हुए और 2007 से 2010 तक जम्मू-कश्मीर में अलग अलग कई ऑपरेशन में अपनी सेवाएं दीं. साल 2010 से 2012 तक इंडियन मिलिट्री अकेडमी में सीएलबी इंस्ट्रक्टर के तौर पर कार्यरत रहे. 2012-14 तक जम्मू-कश्मीर में 4 पैरा (एसएफ) बटालियन का ऑपरेशन संभाला. अगस्त 2014 में उन्हें सेना मेडल से सम्मानित किया गया. 2014 में उन्हें 12 पैरा स्पेशल फोर्सेस में शामिल किया गया.

इसके बाद उन्होंने 2015 में DSSC एग्जाम पास किया. 2017 में उन्होंने DSSC की पढ़ाई पूरी की और बुकर सम्मान से नवाजे गए. इसी साल उन्हें आगरा में जी1 पैरा ब्रिगेड में शामिल किया गया. इसके बाद उन्हें कांगो में सैन्य पर्यवेक्षक के तौर पर शामिल किया चुना. गौरव सोलंकी अगस्त 2017 में कांगो में संयुक्त राष्ट्र मिशन के लिए रवाना हुए. सोलंकी तब से वहीं पोस्टेड थे.

यादों में कर्नल सोलंकी

गौरव सोलंकी एकेडमी क्रिकेट टीम के अलावा एकेडमी टेनिस टीम के भी हिस्सा रहे. आईएमए में भी उन्होंने क्रिकेट और टेनिस में अच्छा खासा नाम कमाया. गौरव सोलंकी के एक साथी ने बताया, ‘शहीद भगत सिंह उनके (गौरव सोलंकी) प्रेरणा स्रोत थे और वे जंग में शहादत पाने की इच्छा रखते थे.’

गौरव सोलंकी के दोस्त ने बताया, ‘कर्नल गौरव एक निडर योद्धा थे जो अदम्य साहस रखते थे. वे हार मानने वालों में नहीं थे और दूसरों को हमेशा अपनी ओर आकर्षित करते थे.’ सोलंकी के एक मित्र ने कहा, ‘वे एक उभरते हुए सैन्य अधिकारी थे, जिन्होंने जो कुछ भी किया, उत्कृष्ट प्रदर्शन के साथ किया. बहुत कम उम्र में उन्होंने काफी तारीफ बटोरी और प्रतिष्ठा अर्जित की. वे सेना में बहुत उज्ज्वल भविष्य की ओर बढ़ रहे थे.’

  • गौरव सोलंकी के एक सहयोगी ने उन्हें याद करते हुए कहा, ‘कर्नल सोलंकी सही मायनों में स्पेशल ऑपरेटिव थे जिन्होंने देश की सेवा में अपने शरीर और आत्मा को झोंक दिया. वे कई लोगों के दोस्त थे और दूसरों को हमेशा रास्ता दिखाते थे. उन्होंने हमें यूनिट में सीआई में काम करने की मूल बातें सिखाईं. उन्होंने हमें फर्ज की प्रतिबद्धता, टीम भावना की निष्ठा और देश के प्रति सेवा की प्रतिबद्धता का अर्थ सिखाया.’
  • बता दें, कर्नल गौरव सोलंकी का शव चेगेरा द्वीप से एक किलोमीटर की दूरी पर बरामद किया गया. उनकी मौत के कारणों का पता अभी तक नहीं चल पाया है. मौत के कारणों का पता लगाने के लिए जांच चल रही है, हालांकि पहली नजर में ऐसा लगता है कि सोलंकी की मौत दुर्घटनावश डूबने से हुई है. गौरव सोलंकी ने कांगो में अपना काम पूरा कर लिया था और वे अगले कुछ दिनों में भारत में अपने रेजिमेंट में शामिल होने वाले थे.

 

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