दिल्ली में SCO बैठक से बनाई दूरी, पर खाना खाने पहुंच गए पाकिस्तानी अधिकारी
देश की राजधानी दिल्ली में आयोजित दो दिवसीय शंघाई सहयोग संगठन की मिलिट्री मेडिसिन सम्मेलन में पाकिस्तान पहले दिन शामिल नहीं हुआ. हालांकि सेना के सूत्रों का कहना है कि पाकिस्तान के प्रतिनिधि इस बैठक में तो शामिल नहीं हुए लेकिन पहले दिन डिनर करने जरूर पहुंच गए.
- दिल्ली में SCO की मिलिट्री मेडिसिन सम्मेलन संपन्न
- पहले दिन सम्मेलन में शामिल नहीं हुआ पाकिस्तान
नई दिल्ली। देश की राजधानी दिल्ली में आयोजित दो दिवसीय शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की मिलिट्री मेडिसिन सम्मेलन में पाकिस्तान पहले दिन शामिल नहीं हुआ. हालांकि सेना के सूत्रों का कहना है कि पाकिस्तान के प्रतिनिधि इस बैठक में तो शामिल नहीं हुए लेकिन पहले दिन डिनर करने जरूर पहुंच गए.
Army Sources: Pakistani representatives gave a miss to the two-day military medicine conference of the Shanghai Cooperation Organisation and attended only the dinner held yesterday, in Delhi. pic.twitter.com/9gC20RgxcB
— ANI (@ANI) September 13, 2019
ऐसा कहा जा रहा है कि पाकिस्तान को इस सम्मेलन में शामिल होने के लिए काफी देर से निमंत्रण दिया गया था, इसलिए शायद इस सम्मेलन के पहले दिन पाकिस्तान की तरफ से किसी की मौजूदगी नहीं दिखी.
इस सम्मेलन में 27 अंतरराष्ट्रीय और 40 भारतीय प्रतिनिधि शामिल हुए.
भारत साल 2017 में एससीओ का सदस्य बना था. इसके बाद एससीओ रक्षा सहयोग योजना 2019-20 के तहत भारत की मेजबानी में यह पहला सैन्य सहयोग कार्यक्रम संपन्न हुआ.
बता दें कि भारत के साथ पाकिस्तान भी जून 2017 में एससीओ का पूर्णकालिक सदस्य बना था. इनके अलावा चीन, किर्गिस्तान, कजाकिस्तान, रूस, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान भी एससीओ के सदस्य हैं.
भारत-पाक के बीच तनाव
गौरतलब है कि जम्मू-कश्मीर से विशेष राज्य का दर्जा समाप्त करने के बाद से ही भारत पर पाकिस्तान लगातार हमलावर है. कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तान जहां अंतरराष्ट्रीय मंचों से युद्ध की धमकी दे रहा है, वहीं पाकिस्तान सरकार के मंत्री बनायबाजी से पीछे नहीं.
बीते दिन पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने कहा कि भारत-पाकिस्तान के बीच कभी भी जंग छिड़ सकती है. इसे लेकर उन्होंने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार प्रमुख मिशेल बैशलेट से कश्मीर का दौरा करने का अनुरोध किया. वहीं उन्होंने ये भी कहा कि उन्हें लगता है कि पाकिस्तान और भारत दोनों युद्ध के नतीजों को बेहतर समझते हैं.