आपत्तियों के बाद कांग्रेस ने ‘प्रेरक’ शब्द हटाया, प्रशिक्षकों को अब कहा जाएगा ट्रेनिंग कॉर्डिनेटर

भगवा ब्रिगेड की विशाल चुनावी मशीनरी का सामना करने के लिए अब देश की सबसे पुरानी पार्टी संघ के प्रचारकों की काट ढूंढने में लगी है. पार्टी सदस्यता अभियान और ट्रेनिंग ड्राइव के जरिए जमीन पर अपना काडर खड़ा करेगी.

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  • गुरुवार को सोनिया गांधी की अध्यक्षता में हुई बैठक
  • संगठन को मजबूत करने के मास्टर प्लान पर हुई चर्चा


नई दिल्ली। 
कांग्रेस कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षण देने के लिए बनाए जाने वाले प्रशिक्षकों को अब ‘प्रेरक’ नाम नहीं दिया जाएगा. सूत्रों के मुताबिक आज की बैठक में कुछ नेताओं ने इस शब्द पर आपत्ति जताई. जिसके बाद तय हुआ कि प्रशिक्षकों को ‘प्रेरक’ की जगह ‘कॉर्डिनेटर’ कहा जाएगा. कांग्रेस पार्टी कार्यकर्ता प्रशिक्षण के साथ ही सदस्यता अभियान भी शुरू करने जा रही है जिसमें पारंपरिक तरीके के साथ ही मोबाइल एप्लिकेशन का भी सहारा लिया जाएगा.

 

दरअसल पिछले दिनों कांग्रेस पार्टी में प्रशिक्षण विभाग द्वारा तैयार किया गया एक आंतरिक ‘नोट’ जारी किया गया था जिसमें इस बात का जिक्र था कि देश भर में पार्टी कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षण देने के लिए प्रशिक्षक बनाए जाएंगे. सबसे पहले इन प्रशिक्षकों को प्रशिक्षण दिया जाएगा और फिर ये देश भर में पार्टी कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षण देंगे. नोट में इन प्रशिक्षकों को ‘प्रेरक’ के तौर पर संबोधित किया गया था. ये बात जब चर्चा में आई तो कांग्रेस के ‘प्रेरक प्लान’ की तुलना आरएसएस के प्रचारक से की जाने लगी और कहा गया कि कांग्रेस संगठन को लेकर आरएसएस की नकल कर रही है.

लोकसभा चुनाव-2019 में मिली करारी शिकस्त के बाद कांग्रेस अब दोबारा अपने पैरों पर खड़े होने की कोशिश कर रही है. गुरुवार को सोनिया गांधी की अध्यक्षता में हुई बैठक में संगठन को मजबूत करने के मास्टर प्लान पर चर्चा हुई. इसको लेकर ट्रेनिंग इंचार्ज सचिन राव द्वारा बनाया गया चार पन्ने का नोट जारी किया गया. पार्टी नेताओं का ये विचार है कि कांग्रेस की विचारधारा, मुद्दों पर उसकी राय को लेकर जनता तक संदेश पहुंचाने के लिए कार्यकर्ताओं को संगठन से जोड़ने और उनको प्रशिक्षण देने की जरूरत है.

भगवा ब्रिगेड की विशाल चुनावी मशीनरी का सामना करने के लिए अब देश की सबसे पुरानी पार्टी संघ के प्रचारकों की काट ढूंढने में लगी है. पार्टी सदस्यता अभियान और ट्रेनिंग ड्राइव के जरिए जमीन पर अपना काडर खड़ा करेगी. पार्टी का मानना है जनता का विश्वास जीतने के लिए नेताओं को जमीनी लड़ाई लड़ने की जरूरत है.

पार्टी के वरिष्ठ लोग होंगे ‘प्रेरक’

इसके लिए कार्यकर्ताओं का समूह बनाया जाएगा जिनको ‘प्रेरक’ कहा जाएगा. इसको इत्तेफाक कहिए या संघ को लेकर कांग्रेस की उलझन पर ‘प्रेरक’ शब्द संघ के प्रचारक से बिल्कुल मिलता-जुलता है. यह ‘प्रेरक’ संगठन से जुड़े हुए वरिष्ठ लोग होंगे, जिनको कांग्रेस की विचारधारा और पार्टी के बारे में अच्छी जानकारी होगी.

‘प्रेरक’ के जरिए कांग्रेस पार्टी अपने जमीनी कार्यकर्ताओं तक पहुंचेगी और उनको रेगुलर ट्रेनिंग देगी. यह प्रेरक पार्टी के वे लोग हैं, जिनको कार्यकर्ताओं का विश्वास प्राप्त होगा. वह सम्मानित नेताओं में से चुने जाएंगे और प्रदेश कांग्रेस कमिटी के अंतर्गत ही काम करेंगे.

‘कोऑर्डिनेटर’ और ‘सहयोगी’ शब्द की चर्चा

सूत्रों की मानें तो बैठक में ‘प्रेरक’ शब्द को लेकर कुछ नेताओं ने चिंता जाहिर की और सबकी सहमति से यह तय किया गया कि ‘प्रेरक’ शब्द को बदल के ‘कोऑर्डिनेटर’ या ‘सहयोगी’ कर दिया जाएगा. सूत्रों का कहना था कि सबसे पहले मुकुल वासनिक ने कहा कि ‘प्रेरक’ शब्द की जगह दूसरे शब्द का प्रयोग किया जाए. शब्द कोई भी हो मगर हकीकत यह है कि भाजपा को उसी के खेल में मात देना आसान नहीं होगा वो भी तब जब भाजपा के साथ संघ की विशाल मशीनरी जुड़ी हुई है.

गुरुवार को सोनिया गांधी की अध्यक्षता में कांग्रेस की बड़ी बैठक हुई जिसमें सदस्यता और प्रशिक्षण पर चर्चा हुई. इस दौरान कुछ नेताओं ने प्रेरक शब्द पर आपत्ति जताई. सूत्रों के मुताबिक एक सदस्य ने आरएसएस के प्रचारक शब्द से हो रही तुलना का हवाला दिया तो पूर्वोत्तर के नेताओं ने कहा कि प्रेरक शब्द उनके इलाके के लोगों के पल्ले नहीं पड़ेगा. बैठक में मौजूद एक सूत्र के मुताबिक पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी ने भी ‘प्रेरक’ शब्द को कठिन बताया. इसके बाद तय हुआ कि प्रशिक्षकों को प्रेरक की जगह प्रशिक्षण संयोजक/ ट्रेनिंग कॉर्डिनेटर कहा जाएगा.

 

बैठक के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में इसको लेकर पूछे जाने पर कांग्रेस नेता आरपीएन सिंह ने कहा कि “हम नई पार्टी नहीं हैं. हमने आजादी की लड़ाई लड़ी है हम पहले से ही लोगों को प्रेरित करते आ रहे हैं हमे किसी (आरएसएस) से प्रेरणा लेने की जरूरत नही है. आरपीएन ने कहा कि बैठक में तय किया गया कि पार्टी कार्यकर्ता प्रशिक्षण के लिए आधुनिक तरीके अपनाए जाएंगे. युवाओं पर फोकस किया जाएगा ताकि उन्हें राष्ट्रवाद और धर्मनिरपेक्षता का सच्चा अर्थ समझाया जा सके.

 

आपको बता दें कि लगातार चुनावी हार से सबक लेते हुए कांग्रेस ने पार्टी कैडर को मजबूत करने के लिए उनकी ट्रेनिंग को लेकर रणनीति बनाई है. इसके तहत देश भर में ट्रेनर तैयार किए जाएंगे. प्रत्येक डिवीजन में 3 प्रेरक बनाए जाएंगे जिनमें से एक 1 महिला और 1 दलित/अल्पसंख्यक/ ओबीसी समाज से होंगे. सबसे पहले देश भर से ऐसे प्रेरकों का चयन किया जाएगा और फिर इन्हें एक हफ्ते की ट्रेनिंग दी जाएगी. इसके बाद ये हर महीने प्रत्येक जिले में संगठन-संवाद करेंगे ताकि पार्टी के कार्यकर्ताओं को वैचारिक तौर पर मजबूत किया जा सके. इसके साथ ही कार्यकर्ताओं की ट्रेनिंग की जिम्मेदारी भी प्रेरकों की होगी. कांग्रेस कार्यकर्ताओं को ट्रेनिंग कॉर्डिनेटर बनने के लिए संगठन का अनुभव, मजबूत विचारधारा और गुटबाजी से दूर रखना जरूरी होगा.

 

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