संघ के सरकार्यवाह डॉ कृष्ण गोपाल ने देश में मुस्लिमों के भयभीत होने पर खड़े किए सवाल

संघ के सरकार्यवाह डॉक्टर कृष्ण गोपाल दारा शिकोह के जीवन पर आधारित परिसंवाद कार्यक्रम में बोल रहे थे और उन्होंने कहा कि जब जैन, पारसी, बौद्ध और यहूदियों को देश में डर नहीं है तो फिर मुसलमान क्यों भयभीत हैं.

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नई दिल्लीः
 संघ के सरकार्यवाह डॉक्टर कृष्ण गोपाल ने मुस्लिम समाज के सामने सवाल खड़े करते हुए प्रश्न किया कि जब भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में बहुत ही कम संख्या में होने के बावजूद जैन, पारसी, यहूदियों और बौद्ध धर्म के लोगों में भय का माहौल नहीं है, वह भयभीत नहीं है तो फिर 16 करोड़ से ज्यादा की आबादी वाले मुसलमान भयभीत क्यों है? इस पर इस देश के मुस्लिम समाज को मंथन करने की जरूरत है. दरअसल डॉक्टर कृष्ण गोपाल मुगल शासक दारा शिकोह के जीवन पर आधारित एक सेमिनार में बोल रहे थे इस कार्यक्रम में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर समेत कई मुस्लिम विद्वान भी शामिल थे उन सबके बीच दारा शिकोह के जीवन पर बोलते हुए कृष्ण गोपाल ने यह सवाल खड़े किए.

 

डॉ कृष्ण गोपाल ने कहा कि दारा शिकोह को जानने से पहले भारत के इतिहास को समझना जरूरी है जहां अनंत धारण क्षमता है वो भारत देश है. भारत एक ऐसा देश है जिसकी सोच को बांटा नहीं जा सकता. हम सोचते हैं कि हम भी सुखी रहें और हमारा शत्रु भी सुखी रहे. ऐसी हमारी परम्परा है. इस चर्चा के दौरान कहा कि वर्षो में इस्लाम में दारा शिकोह नाम का एक संत आया था जिसने लिखा था कि एक अल्लाह के ही सब अलग अलग रूप हैं. दारा यदि होता तो शायद देश इस्लाम को अच्छे से समझता, और इस्लाम को भी हिंदुत्व के छिपे हुए रहस्य को समझने का मौका मिलता.

 

डॉ कृष्ण गोपाल ने एक लेख का जिक्र करते कहा कि मैंने एक लेख पढ़ा और उसमें जो सवाल था वो बहुत ही सार्थक था. इस देश मे पारसी 50 हजार, बौद्ध थोड़े हैं, जैनी थोड़े हैं, यहूदियों की संख्या भी कम हैं लेकिन वो भयभीत नहीं हैं. लेकिन इस देश में 16 करोड़ से ज्यादा मुस्लिम हैं लेकिन वो भयभीत हैं. उन्होंने सवाल खड़ा किया कि ऐसा क्यों है. जो संख्या में कम हैं वो भयभीत नहीं हैं लेकिन मुस्लिम भयभीत हैं, इसे समझने की जरूरत है और इस पर मंथन की जरूरत है. दारा शिकोह जानते थे कि जानते थे कि भविष्य में क्या समस्या आ सकती है और इसलिए दारा शिकोह समन्वय की ओर बढ़ रहे थे.

 

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