Chandrayaan 2: विक्रम लैंडर की खोज से जागी उम्मीदें, इसरो के मिशन में अगले 12 दिन अहम
इसरो के पास विक्रम से संपर्क साधने के लिए 12 दिन हैं. क्योंकि अभी लूनर डे चल रहा है. एक लूनर डे धरती के 14 दिनों के बराबर होता है. इसमें से 2 दिन बीत चुके हैं. यानी अगले 12 दिनों तक चांद पर दिन रहेगा. उसके बाद चांद पर रात हो जाएगी, जो पृथ्वी के 14 दिन के बराबर होती है. रात में उससे संपर्क करने में दिक्कत होगी. फिर इसरो वैज्ञानिको को इंतजार करना पड़ेगा.
- लूनर डे के दौरान अगले 12 दिनों तक चांद पर दिन रहेगा
- इसके बाद चांद पर रात हो जाएगी, जो पृथ्वी के 14 दिन के बराबर होती है
- रात में विक्रम से संपर्क करने में दिक्कत होगी, फिर वैज्ञानिको को इंतजार करना पड़ेगा
नई दिल्ली। चांद की सतह पर लैंडर विक्रम की लोकेशन का पता चल गया है. ऑर्बिटर ने विक्रम लैंडर की एक थर्मल इमेज क्लिक की है. हालांकि लैंडर विक्रम से अभी तक संपर्क नहीं हो पाया है. इसरो प्रमुख के. सिवन ने कहा है कि टीम लैंडर विक्रम से कम्युनिकेशन स्थापित करने की लगातार कोशिश कर रही है और जल्द ही संपर्क स्थापित हो जाएगा. वैज्ञानिकों के मुताबिक उनके पास विक्रम से संपर्क साधने के लिए 12 दिन हैं.
एक अनुमान के मुताबिक इसरो के पास विक्रम से संपर्क साधने के लिए 12 दिन हैं. क्योंकि अभी लूनर डे चल रहा है. एक लूनर डे धरती के 14 दिनों के बराबर होता है. इसमें से 2 दिन बीत चुके हैं. यानी अगले 12 दिनों तक चांद पर दिन रहेगा. उसके बाद चांद पर रात हो जाएगी, जो पृथ्वी के 14 दिन के बराबर होती है. रात में उससे संपर्क करने में दिक्कत होगी. फिर इसरो वैज्ञानिको को इंतजार करना पड़ेगा.
इस बीच, इसरो प्रमुख के. सिवन ने भी बताया कि हमें विक्रम लैंडर के बारे में पता चला है, वह चांद की सतह पर देखा गया है. ऑर्बिटर ने लैंडर की एक थर्मल पिक्चर ली है. लेकिन अभी तक कोई संचार स्थापित नहीं हो पाया है. हम संपर्क करने की कोशिश कर रहे हैं.
बता दें कि इसरो को चांद पर विक्रम लैंडर की स्थिति का पता चल गया है. ऑर्बिटर ने थर्मल इमेज कैमरा से उसकी तस्वीर ली है. हालांकि, उससे अभी कोई संचार स्थापित नहीं हो पाया है. ये भी खबर है कि विक्रम लैंडर लैंडिंग वाली तय जगह से 500 मीटर दूर पड़ा है. चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर में लगे ऑप्टिकल हाई रिजोल्यूशन कैमरा ने विक्रम लैंडर की तस्वीर ली है.
अब इसरो वैज्ञानिक ऑर्बिटर के जरिए विक्रम लैंडर को संदेश भेजने की कोशिश कर रहे हैं ताकि, उसका कम्युनिकेशन सिस्टम ऑन किया जा सके. बेंगलुरु स्थित इसरो सेंटर से लगातार विक्रम लैंडर और ऑर्बिटर को संदेश भेजा जा रहा है ताकि कम्युनिकेशन शुरू किया जा सके.
डेटा एनालिसिस से पता चलेगी स्थिति
भविष्य में विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर कितना काम करेंगे, इसका तो डेटा एनालिसिस के बाद ही पता चलेगा. इसरो वैज्ञानिक अभी यह पता कर रहे हैं कि चांद की सतह से 2.1 किमी ऊंचाई पर विक्रम अपने तय मार्ग से क्यों भटका. इसकी एक वजह ये भी हो सकती है कि विक्रम लैंडर के साइड में लगे छोटे-छोटे 4 स्टीयरिंग इंजनों में से किसी एक ने काम न किया हो. इसकी वजह से विक्रम लैंडर अपने तय मार्ग से डेविएट हो गया. यहीं से सारी समस्या शुरू हुई, इसलिए वैज्ञानिक इसी प्वांइट की स्टडी कर रहे हैं.