Chandrayaan 2: करोड़ों भारतीयों के खिलेंगे चेहरे, 14 दिन के अंदर विक्रम लैंडर से फिर संपर्क साधेगा ISRO

ISRO ने कहा कि अभी तक 90 से 95 फीसद उद्देश्यों को पूरा किया जा चुका है और ऑर्बिटर के जरिए चांद से जुड़ी जानकारी जुटाने में काफी मदद मिलेगी।...

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नई दिल्ली, एएनआइ। चंद्रयान 2 मिशन पर ISRO ने बयान जारी किया है कि हर फेज के लिए सफलता का मानक तय था। अभी तक 90 से 95 फीसदी उद्देश्यों को पूरा किया जा चुका है और यह चांद से जुड़ी जानकारी हासिल करने में मदद करेगा।

चंद्रयान 2 के लैंडर विक्रम चांद की सतह छूने से पहले इसरो का संपर्क टूट गया था। संपर्क टूटने के बाद मिशन चंद्रयान 2 को लेकर करोड़ो लोगों के चेहरे पर मायूसी छा गई थी। वहीं, अब इसरो ने बताया कि उम्मीदें अभी कायम हैं। इसरो अभी हिम्मत नहीं हारा है वैज्ञानिकों के हौसले पूरी तरह से अब भी बुलंद हैं।

इसरो चीफ के. सिवन ने मिशन चंद्रयान 2 को लेकर बताया कि लैंडर विक्रम से दोबारा संपर्क साधने की कोशिश की जा रही है। भारतीयों के चेहरे पर छाई मायूसी के बीच इस तरह की कोशिश एक नई उम्मीद जगा रही है। इसके साथ ही सिवन ने कहा कि वैज्ञानिक अब भी मिशन चंद्रयान 2 के काम में जुटे हुए हैं।

डीडी न्यूज के साथ बताचीत में इसरो प्रमुख के. सिवन ने कहा कि गगनयान समेत ISRO के सारे मिशन तय समय के अनुसार पूरे किए जाएंगे। चंद्रयान-2 मिशन 95 फीसदी सफल रहा है। विक्रम से अलग हुआ ऑर्बिटर साड़े सात साल तक चंद्रमा में सफलतापूर्वक काम कर सकता है।

इसके साथ ही इसरो प्रमुख सिवन ने बताया कि लैंडर विक्रम से दोबारा संपर्क करने के प्रयास किए जा रहे हैं, अगले 14 दिनों में संपर्क की कोशिश की जाएगी। हमें ऑर्बिटर से काफी आकंड़े मिलेंगे। यह वैज्ञानिक शोध के लिए उपलब्ध होगा। अंत में सिवन ने कहा कि चंद्रयान 2 मिशन के नतीजों का हमारे आगे के प्रॉजेक्ट्स पर कोई असर नहीं पड़ेगा।

बता दें कि चंद्रयान-2 के तीन हिस्से थे – ऑर्बिटर, लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान। फिलहाल लैंडर-रोवर से संपर्क भले ही टूट गया है लेकिन ऑर्बिटर की उम्मीदें अभी कायम हैं। लैंडर-रोवर को दो सिंतबर को ऑर्बिटर से अलग किया गया था। ऑर्बिटर इस समय चांद से करीब 100 किलोमीटर ऊंची कक्षा में चक्कर लगा रहा है।

मिशन चंद्रयान 2 को लेकर 2379 किलोग्राम वजन वाला ऑर्बिटर चांद से जुड़ी हुई निम्न जानकारी जुटाएगा।

चांद का एक्सरे
चंद्रयान-2 पर लगा लार्ज एरिया सॉफ्ट एक्सरे स्पेक्ट्रोमीटर यहां सतह पर पड़ने वाले सूर्य के प्रकाश के आधार पर यहां मौजूद मैग्नीशियम, एल्यूमिनियम, सिलिकॉन आदि का पता लगाएगा।

3डी मैप बनेगा
यान पर लगा लगा पेलोड टेरेन मैपिंग कैमरा हाई रिजॉल्यूशन तस्वीरों की मदद से चांद की सतह का नक्शा तैयार करेगा। इससे चांद के अस्तित्व में आने से लेकर इसके विकासक्रम को समझने में मदद मिलेगी।

पानी व अन्य खनिजों के जुटाएगा प्रमाण
इमेजिंग आइआरएस स्पेक्ट्रोमीटर की मदद से यहां की सतह पर पानी और अन्य खनिजों की उपस्थिति के आंकड़े जुटाने में मदद मिलेगी।

 

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