Chandrayan-2: चांद पर ऐसे कदमताल करेगा प्रज्ञान, इन खासियतों से है लैस
इसरो ने अपने वीडियो में दिखाया है कि किस तरह विक्रम लैंडर अपने बॉक्सनुमा आकार के बीचोंबीच से ठीक वैसे ही प्रज्ञान को बाहर उतारेगा, जैसे कोई हवाई जहाज लैंडिंग के बाद अपनी सीढ़ियां नीचे गिराकर सवारियों या सामान को उतारते हैं. हां, ये सीढि़यां नहीं बल्कि एक समतल आकार की प्लेट होगी.
बेंगलुरू। आज देश ही नहीं पूरी दुनिया भारत की तरफ देख रही है. 6 सितंबर यानी आज भारत चांद पर नया इतिहास लिखने जा रहा है. लैंडर विक्रम से रोवर प्रज्ञान के अलग होने का दिन है आज. चांद पर प्रज्ञान के पहुंचते ही तमाम राजों से पर्दा उठना शुरू हो जाएगा. चांद पर अशोक स्तंभ का निशान बनाते हुए प्रज्ञान किस तरह भारत का नाम चांद पर लिखने जा रहा है, ये एक भावुक पल है. ISRO ने प्रज्ञान के चांद पर लैंड करने और उसके काम करने के पूरे अंदाज को Video में कुछ यूं दिखाया है कि कोई भी गर्व से भर जाए. आइए, जानें प्रज्ञान चांद पर जाकर कैसे और किस तरह हमें सूचनाएं भेजेगा.
छह पहियों वाला प्रज्ञान तमाम खूबियों से लैस है. इसके छह पहियों के ऊपर सोने के रंग की ट्रालीनुमा बॉडी है. इस बॉडी के सबसे ऊपर के हिस्से में सोलर पैनल लगा हुआ है जो सूर्य से ऊर्जा लेकर रोवर को संचालित रखेगा. वहीं इसके दोनों हिस्सों में एक-एक कैमरा लगा है. ये दोनों ही नैविगेशन कैमरे हैं जो रोवर को रास्ता बताएंगे.
सोलर पैनल के साथ ही दो रिसीव और ट्रांसमिट एंटीना लगे हैं. ये दोनों चंद्रमा की सतह पर मिलने वाली सभी जानकारियों को संदेशों के माध्यम से भेजेगा. ये ट्रांसमिट एंटिना रोवर्स का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा माना जाता है.वहीं जिस जगह किसी गाड़ी में आगे के हिस्से में हेडलाइट लगती है, ठीक वैसे ही रोवर में एपीएक्सएस लगा है. ये अल्फा पार्टिकल एक्सरे स्पेक्टोमीटर है जो यहां मौजूद कणों की पूरी जानकारी धरती पर भेजेगा और रोवर को सुरक्षा भी प्रदान करेगा.
ISRO की जानकारी के मुताबिक प्रज्ञान का वजन 27 किलोग्राम है, ये 50W पावर से चलता है. इसमें दो प्लेलोड्स लगाए गए हैं. इसका डाइमेंशन 0.9×0.75×0.85 है. इसकी मिशन लाइफ एक लूनर डे है. एक लूनर डे यानी चांद का एक दिन जो कि धरती के करीब 14 दिनों के बराबर है.रोवर के दो पहियों के बीच में रॉकर बोगी असेंबली लगी हुई है, ये पहियों को सतह के हिसाब से मुड़ने और आगे बढ़ने के लिए लगाई गई हैं. ये असेंबली बीच के पहिये को छोड़कर आगे और पीछे के पहियों को जोड़ती है.
इसरो ने अपने वीडियो में दिखाया है कि किस तरह विक्रम लैंडर अपने बॉक्सनुमा आकार के बीचोंबीच से ठीक वैसे ही प्रज्ञान को बाहर उतारेगा, जैसे कोई हवाई जहाज लैंडिंग के बाद अपनी सीढ़ियां नीचे गिराकर सवारियों या सामान को उतारते हैं. हां, ये सीढि़यां नहीं बल्कि एक समतल आकार की प्लेट होगी.यहां से जैसे ही प्रज्ञान नीचे उतरेगा, उसके सोलर पैनल खुल जाएंगे और वो पूरी तरह चार्ज होगा. यहां से वो चंद्रमा की सतह पर पैर रखते ही मिशन से जुड़े सभी संदेश धरती पर भेजने लगेगा.
चांद पर धरती से गाइडेड इंस्ट्रक्शन को फॉलो करता हुआ प्रज्ञान आगे बढ़ेगा. चंद्रमा पर पहला कदम रखते ही वहां वो भारत की छाप छोड़ देगा. इसरो के मुताबिक विक्रम लैंडर से प्रज्ञान महज 500 मीटर ही आगे चलेगा.चांद पर भेजे गए 6 पहियों वाले इस रोबोटिक व्हिकल का नाम प्रज्ञान रख गया है जिसका संस्कृत में अनुवाद बुद्धि होता है. इसरो के मुताबिक ये एक सेंटीमीटर प्रति सेकेंड की रफ्तार से 500 मीटर चलेगा, इसके बाद इसे सोलर एनर्जी की जरूरत पड़ेगी.
बता दें कि यहां रोवर की सबसे कठिन परीक्षा होगी. इसे चंद्रमा पर एक दिन की यात्रा के दौरान धरती के 14 दिन तक अपनी ऊर्जा से काम करना होगा, इसे अगर वहां सौर्य ऊर्जा मिलती रही तो इसकी सबसे कठिन परीक्षा भी पास हो जाएगी. प्रज्ञान वहां सौर ऊर्जा के जरिये स्वत: चार्ज होकर पृथ्वी पर हमारे लिए चांद से संकेत भेजता रहेगा.