- गया में लाइटिंग की वजह से कई लोगों की आंख की रोशनी थोड़ी देर के लिए चली गई
- आनन-फानन में लोगों को प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचाया गया
गया। बिहार के गया में लाइटिंग की वजह से कई लोगों की आंख की रोशनी थोड़ी देर के लिए चली गई. मामला गया के टिकारी का है. बुधवार रात टिकारी में आयोजित एक समारोह के मौके पर जमा हुए लोगों की आंख की रोशनी उस समय प्रभावित होने लगी, जब समारोह के दौरान हैलोजन बल्बों से सजे भवन की रोशनी को नंगी आंखों से लोगों ने देखा. आनन-फानन में लोगों को प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचाया गया, जहां से उन्हें मेडिकल कॉलेज भेज दिया गया.
गया के टिकारी में हैलोजेन लाइट की वजह से करीब दो-ढाई सौ लोगों के आंखों में खराबी आ गई. किसी को दिखना बंद हो गया तो किसी को धुंधला दिखाई देने लगा. पूरे टिकारी में अफरा-तफरी का माहौल हो गया. इस घटना में स्थानीय जेडीयू विधायक अभय कुशवाहा और बिहार सरकार में मंत्री संतोष निराला भी प्रभावित हुए.
बुधवार की शाम टिकारी में एक समारोह में शामिल अधिकतर लोगों की आंखें प्रभावित हुईं. यहां तक कि उत्तर प्रदेश से आए 2 गायक की आंखें भी प्रभावित हुईं. गया से आए नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉक्टरों को टीम ने आकर हालात को संभाला.
प्रतिबंध के बाद भी 1 साल से जला रहा था लाइट, टूटे कवर से निकली गैस से संक्रमण
इसी तरह कुछ समय पहले बालोद के गांव मनौद में प्रतिबंधित हैलोजन की तेज रोशनी के चलते 170 लोगों की आंखें सूज गईं। ये सभी रात को गांव में चल रहे सांस्कृतिक कार्यक्रम (नाचा-गम्मत) में मौजूद थे। पंडाल में प्रतिबंधित हैलोजन से रोशनी की गई थी। रात 1 बजे कार्यक्रम खत्म हुआ तो ग्रामीण घरों को जाकर सो गए। सुबह उठे तो किसी की आंख में तेज जलन थी तो किसी की आंखें सूज गईं थीं।
मनौद में 170 लोगों की आंखें सूजने के मामले में बड़ी लापरवाही किराया भंडार संचालक की सामने आई थी। जो लगभग एक साल से प्रतिबंधित हैलोजन लाइट का इस्तेमाल अलग अलग जगह कर रहा था। जो लाइट मंगलवार रात के आयोजन में लगी उसका कवर कांच टूट चुका था। इससे निकलने वाली गैस ज्यादा मात्रा में बाहर आती है। लापरवाही बरतते हुए बीती रात संचालक ने कला मंच के पास लाइट लगाई थी। बस्ती के बीच कला मंच है। जहां बैठने के लिए पर्याप्त जगह नहीं रहती है। ऐसे में ग्रामीण मंच के एकदम नजदीक होकर बैठे थे। जितने लोग पास बैठे थे, उतने की आंखों में संक्रमण हो गया। सवाल यह भी है कि पिछले साल जब घोटिया और बिरेतरा में मामला सामने आया था तो प्रशासन ने ही हैलोजन लाइट पर प्रतिबंध लगाया। लेकिन इसका इस्तेमाल हो रहा है या नहीं? इसकी निगरानी ना तो पुलिस ने की और ना ही प्रशासन ने। यहां तक कि पिछली दिवाली में भी इस तरह के चाइना और हैलोजन लाइट इलेक्ट्रॉनिक दुकानों में बिकते नजर आए। गांव-गांव में किराया भंडार इलेक्ट्रॉनिक संचालक प्रतिबंधित लाइटों का इस्तेमाल कर रहे हैं।
लापरवाही: प्रतिबंध के बावजूद हैलोजन लाइट का उपयोग किया गया जिसके चलते ग्रामीणों को परेशानी हुई
नजरअंदाजी: प्रशासन ने लाइट के उपयोग पर प्रतिबंध लगाकर निगरानी नहीं की, नतीजतन ऐसा हादसा हुआ