हरियाणा कांग्रेस में बदलाव पर सोनिया की मुहर, जानिए हुड्डा को कैसे मिली तरजीह

पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा का लीड रोल में आना और हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष पद से अशोक तंवर की छुट्टी से साफ जाहिर है कि टीम सोनिया गांधी की चली है.

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  • पिछले 6 साल से पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष थे अशोक तंवर
  • हुड्डा चुनाव समिति अध्यक्ष के साथ सीएलपी के नेता भी होंगे


नई दिल्ली। 
हरियाणा विधानसभा चुनाव सिर पर हैं, लेकिन जिस तरह से प्रदेश में कांग्रेस के दिग्गजों के अलग सुर सुनाई दे रहे थे उससे यही संदेश जा रहा था कि बाजी पार्टी के हाथ से निकलती जा रही है. हरियाणा में बीजेपी का विश्वास इसी से झलकता रहा है कि वो अबकी बार 75 पार का उद्घोष लगाती रही है. यानी 90 सदस्यीय में बीजेपी 75 से ज्यादा सीटें जीतने की बात कर रही है. वहीं कांग्रेस से खेमों में बंटी और बिखरी होने जैसी खबरें ही बाहर आती रहीं.

ऐसे में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा का लीड रोल में आना और हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष पद से अशोक तंवर की छुट्टी से साफ जाहिर है कि टीम सोनिया गांधी की चली है. यह बात किसी से छुपी नहीं कि अशोक तंवर राहुल गांधी की पसंद हैं. तमाम रस्साकशी के बावजूद वो पिछले 6 साल से पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष बने रहे और तो और अशोक तंवर खुद भी सबको यह बता चुके थे कि वह कहीं नहीं जाने वाले और उन्हीं के नेतृत्व में पार्टी चुनाव लड़ेगी, लेकिन सियासत ने बाजी पलटते टाइम नहीं लगता.

दरअसल, भूपेंद्र सिंह हुड्डा को तंवर के तेवरों के साथ पटरी बिठाने में हमेशा दिक्कत महसूस होती रही. उन्हें ये भी मलाल रहा कि उनकी वरिष्ठता को ज्यादा तवज्जो नहीं दी जा रही थी और तो और अशोक तंवर राहुल गांधी को रिपोर्ट करते थे. हो सकता है इससे हुड्डा के सम्मान को ठेस पहुंची हो और तभी से उनकी तंवर से ठन गई.

हुड्डा और तंवर के बीच खींचतान ने उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले तूल पकड़ लिया था. तब कांग्रेस की देवरिया से दिल्ली विकास यात्रा में हुड्डा और तंवर समर्थकों के बीच आपस में जमकर हाथापाई हो गई थी. तब तंवर को भी चोट आई थी. उन्होंने भूपेंद्र हुड्डा के खिलाफ मामला भी दर्ज करवाया. उस वक्त राहुल गांधी ने तंवर को सपोर्ट किया.

राहुल का आशीर्वाद ही था कि हुड्डा के विरोध के बावजूद भी तंवर लगातार प्रदेश पार्टी अध्यक्ष पद पर टिके रहे. मगर अब सोनिया गांधी कांग्रेस कार्यकारी अध्यक्ष हैं और उनके करीबी अहमद पटेल के हुड्डा से अच्छे संबंध है. यही नहीं हरियाणा के इंचार्ज गुलाम नबी आजाद भी लगातार आलाकमान को यही समझाते आए कि बीजेपी के सामने भूपेंद्र सिंह हुड्डा के अलावा किसी का सिक्का नहीं चल पाएगा.

हुड्डा ने 18 अगस्त को रोहतक में पार्टी पर दबाव बनाने के लिए अपनी परिवर्तन रैली की. वहां इशारों-इशारों में पार्टी को अल्टीमेटम भी दे दिया. ऐसे में कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं ने हुड्डा को समझाया कि हुड्डा पार्टी पर अपना विश्वास जताऐ और अल्टीमेटम से पीछे हटें. मंगलवार को उनके द्वारा बनाई गई कमेटी ने खानापूर्ती के लिए उनको अधिकृत कर दिया फैसला लेने के लिए फिर ठीक एक दिन बाद बुधवार को गुलाम नबी आजाद ने कांग्रेस दफ्तर में पहुंचकर बिना अशोक तंवर का नाम लिए शैलजा कुमारी को हरियाणा कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष घोषित कर दिया.

भूपेंद्र सिंह हुड्डा की पहली शर्त ही अशोक तंवर को हटाकर किसी और नेता को अध्यक्ष बनाने की मांग की थी. वहीं रणदीप सुरजेवाला लगातार अशोक तंवर को बैक कर रहे थे. आखिरकार चली भूपेंद्र हुड्डा की, उन्होंने शैलजा कुमारी के नाम पर सहमति भरी थी. शैलजा के लिए उनका दलित महिला कार्ड काम आया. अहमद पटेल और आजाद के समर्थन के चलते उनका पलड़ा भारी पड़ गया.

भूपेंद्र हुड्डा के लिए ट्रिपल खुशखबरी उनकी तीनों ही मांग मंजूर कर ली गई. हुड्डा को दो पद मिले. हरियाणा चुनाव समिति का अध्यक्ष घोषित कर दिया और साथ ही वो सीएलपी के नेता भी होंगे यानी की टिकट वितरण में अहम भूमिका और पृष्टभूमि के अनुसार सीएम उम्मीदवार भी अब वही होंगे.

साथ ही यह पहला बड़ा बदलाव है, जिसमें सोनिया की छाप नजर आई है और ऐसे में कयासबाजी तेज है कि बाकी भी राहुल के नुमाइंदों पर गाज गिरेगी या हरियाणा का बदलाव एक मजबूरी थी और आगे सोनिया गांधी संतुलन बनाकर चलेंगी.

 

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