GDP के बाद मोदी सरकार को GST में भी झटका, कलेक्शन 1 लाख करोड़ से नीचे लुढ़का

गुड्स एंड सर्विस टैक्स (GST) कलेक्शन के मोर्चे पर मोदी सरकार को एक बार फिर झटका लगा है. अगस्त महीने में जीएसटी कलेक्शन फिर 1 लाख करोड़ रुपये ने नीचे रहा है.

  • अगस्त 2018 में कुल 93,960 करोड़ रुपये का जीएसटी कलेक्शन हुआ था
  • पिछले अगस्त की तुलना में इस बार जीएसटी कलेक्शन में 4.51 फीसदी का इजाफा

नई दिल्ली। गुड्स एंड सर्विस टैक्स (GST) कलेक्शन के मोर्चे पर मोदी सरकार को एक बार फिर झटका लगा है. अगस्त महीने में जीएसटी कलेक्शन फिर 1 लाख करोड़ रुपये ने नीचे रहा है. राजस्व विभाग (Department of Revenue) की तरफ से जारी आंकड़ों के मुताबिक अगस्त में कुल 98,203 करोड़ रुपये का जीएसटी कलेक्शन हुआ है.

राजस्व विभाग की मानें जीएसटी के जरिये अगस्त में कुल 98,203 करोड़ रुपये मिले हैं, जिसमें 24 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा की राशि सिर्फ इंपोर्ट से मिली है.

जीएसटी में केंद्र और राज्य दोनों का हिस्सा

आंकड़ों के मुताबिक कुल जीएसटी कलेक्शन 98,203 करोड़ रुपये में केंद्र और राज्य दोनों का हिस्सा है. 98 हजार करोड़ में से 17,733 करोड़ से अधिक की राशि केंद्र सरकार की है, जबकि 24,239 करोड़ राशि राज्यों को मिली है, जबकि 48,958 करोड़ रुपये आईजीएसटी से मिले हैं.

वहीं राजस्व विभाग के मुताबिक जुलाई से लेकर 31 अगस्त 2019 तक कुल 75.80 लाख लोगों ने जीएसटीआर 3बी के तहत रिटर्न भरा है. जिससे केंद्र सरकार को करीब 40 हजार करोड़ रुपये राजस्व मिला है.

पिछले अगस्त की तुलना में 4.51% का इजाफा

मालूम हो कि वस्तुओं और सेवा के ऊपर लगने वाले कर के दो हिस्से होते हैं, जिनमें से एक हिस्सा केंद्र और दूसरा राज्य सरकार के पास जाता है. इससे पहले पिछले साल अगस्त महीने में कुल 93,960 करोड़ रुपये का जीएसटी कलेक्शन हुआ था. पिछले साल के अगस्त महीने की तुलना में इस साल जीएसटी कलेक्शन में 4.51 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई है.

गौरतलब है कि जुलाई-2019 में यह राशि 1,02,083 करोड़ रुपये रही थी. जून में यह राशि 99,939 करोड़ रुपये रही थी. इस तरह से जून और जुलाई की तुलना में अगस्त में गिरावट दर्ज की गई है.

जीडीपी के मोर्चे पर भी बड़ा झटका

गौरतलब है कि आर्थिक मोर्चे पर मोदी सरकार को जीएसटी के पहले जीडीपी का झटका लगा. देश की विकास दर में गिरावट दर्ज हुई है. पहली तिमाही (अप्रैल-जून) में विकास दर 5.8 फीसदी से घटकर 5 फीसदी हो गई. अगर सालाना आधार पर तुलना करें तो करीब 3 फीसदी की गिरावट है. एक साल पहले इसी तिमाही में जीडीपी की दर 8 फीसदी थी.

 

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