आरिफ मोहम्मद खान बने केरल के राज्यपाल, कलराज मिश्रा को भेजा गया राजस्थान
पूर्व पीएम राजीव गांधी की सरकार में मंत्री रहे दिग्गज नेता आरिफ मोहम्मद खान को नरेंद्र मोदी सरकार ने केरल का राज्यपाल नियुक्त किया है. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने आरिफ मोहम्मद खान समेत 5 राज्यपालों के नियुक्तियों/तबादलों पर मुहर लगाई है. राष्ट्रपति भवन से जारी विज्ञप्ति के मुताबिक वर्तमान में हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल कलराज मिश्र का तबादला राजस्थान कर दिया गया है.
- आरिफ मोहम्मद खान केरल के राज्यपाल नियुक्त
- तीन तलाक पर मोदी सरकार का किया था समर्थन
- शाहबानो केस के दौरान राजीव सरकार से दिया था इस्तीफा
नई दिल्ली। पूर्व पीएम राजीव गांधी की सरकार में मंत्री रहे दिग्गज नेता आरिफ मोहम्मद खान को नरेंद्र मोदी सरकार ने केरल का राज्यपाल नियुक्त किया है. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने आरिफ मोहम्मद खान समेत 5 राज्यपालों के नियुक्तियों/तबादलों पर मुहर लगा दी है. राष्ट्रपति भवन से जारी विज्ञप्ति के मुताबिक वर्तमान में हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल कलराज मिश्र का तबादला राजस्थान कर दिया गया है. कलराज मिश्र अब राजस्थान के राज्यपाल होंगे.
Kalraj Mishra, Governor of Himachal is transferred & appointed as Governor of Rajasthan. Bhagat Singh Koshyari appointed as Governor of Maharashtra, Bandaru Dattatreya as Governor of Himachal, Arif Mohammed Khan as Guv of Kerala, Tamilisai Soundararajan as Governor of Telangana pic.twitter.com/oKOe8xUOOz
— ANI (@ANI) September 1, 2019
वरिष्ठ बीजेपी नेता और उत्तराखंड के पूर्व सीएम भगत सिंह कोश्यारी को महाराष्ट्र का राज्यपाल नियुक्त किया गया है. बीजेपी नेता बंडारू दत्तात्रेय को हिमाचल प्रदेश का राज्यपाल बनाया गया है. तमिलनाडु की बीजेपी नेता डॉ तमिलिसाई सुंदरराजन को तेलंगाना का राज्यपाल बनाया गया है.
बता दें कि आरिफ मोहम्मद खान ने ट्रिपल तलाक को गैरकानूनी घोषित करने के नरेंद्र मोदी सरकार के फैसले का समर्थन किया था. यही नहीं आरिफ मोहम्मद खान जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद-370 खत्म करने के केंद्र सरकार के फैसले के भी समर्थन में थे.
आरिफ मोहम्मद खान 80 के दशक में कांग्रेस के बड़े नेता हुआ करते थे. 1984 में राजीव सरकार में आरिफ मोहम्मद खान केंद्रीय मंत्री थे. 1984 में शाहबानो केस में जब राजीव गांधी की सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को संसद द्वारा कानून बनाकर पलट दिया था तो उन्होंने सरकार के इस फैसले के विरोध में केंद्रीय मंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया था. इसके बाद वे लंबे समय तक सक्रिय राजनीति से दूर थे.