मुंबई: पिछले कुछ हफ्तों में देश का विदेशी मुद्रा भंडार रिकॉर्ड ऊंचाईयों को छूने के बाद 23 अगस्त को खत्म हुए हफ्ते में 1.45 अरब डॉलर की भारी गिरावट के साथ 429.050 अरब डॉलर रह गया. इसकी वजह फॉरेन करेंसी एसेट में गिरावट आना है. रिजर्व बैंक की ओर से शुक्रवार को जारी ताजा आंकड़ों में यह जानकारी दी गई है.
इससे पहले के हफ्ते में, देश का विदेशी मुद्रा भंडार 7.08 करोड़ डॉलर की मामूली गिरावट के साथ 430.501 अरब डॉलर रह गया था लेकिन तब भी यह 430 अरब डॉलर के स्तर से अधिक बना हुआ था. इससे पहले नौ अगस्त को खत्म हुए पिछले हफ्ते में विदेशी मुद्राभंडार 430.572 अरब डॉलर की सर्वोच्च ऊंचाई को छू गया था.
रिजर्व बैंक ने शुक्रवार को कहा कि 23 अगस्त को खत्म हफ्ते में विदेशी मुद्रा आस्तियां 1.198 अरब डॉलर घटकर 397.128 अरब डॉलर तक रह गई. विदेशी मुद्रा परिसंपत्ति कुल मुद्रा भंडार का महत्वपूर्ण घटक है. आंकड़ों के अनुसार, सोने की कीमतों में भारी तेजी आने के बावजूद अंडर रिव्यू वीक के दौरान देश का स्वर्ण भंडार 24.32 करोड़ डॉलर घटकर 26.867 अरब डॉलर रह गया.
अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के साथ स्पेशल विड्रॉल अधिकार 45 लाख डॉलर घटकर 1.433 अरब डॉलर रह गया. आईएमएफ में देश का मुद्रा भंडार भी 42 लाख डॉलर घटकर 3.621 अरब डॉलर रह गया.
GDP में आई गिरावट को लेकर कांग्रेस का केंद्र सरकार पर तंज, कहा- मोदी है तो मुमकिन है
कांग्रेस ने आर्थिक विकास दर (जीडीपी ग्रोथ रेट) के पिछले साल के अपने न्यूनतम स्तर पर चले जाने को शुक्रवार को ‘मोदी मेड डिजास्टर’ करार दिया और कटाक्ष करते हुए कहा कि ‘मोदी है तो मुमकिन है.’ पार्टी प्रवक्ता राजीव गौड़ा ने ट्वीट कर कहा, “जीडीपी विकास दर पांच फीसदी पर पहुंच गई. नोटबंदी, जल्दबाजी में जीएसटी लागू करने और अक्षमता के नतीजे लगातार दिख रहे हैं.”
GDP growth tanks to 5%
Demonetisation, hasty GST, & incompetence continue to show results!
Slump is not due to global issues. It’s a pure 'Modi-made' disaster #ModiHaiToMandiHai
Can economy get any worse & new distractions emerge? Keep your seatbelts on #UnfitGovtUnfitEconomy
— Rajeev Gowda (@rajeevgowda) August 30, 2019
इससे पहले वित्त वर्ष 2012-13 की अप्रैल- जून अवधि में देश की आर्थिक वृद्धि दर सबसे निचले स्तर 4.9 फीसदी पर रही थी. एक साल पहले 2018-19 की पहली तिमाही में आर्थिक वृद्धि दर आठ फीसदी के उच्च स्तर पर थी. जबकि इससे पिछली तिमाही की बात की जाये तो जनवरी से मार्च 2019 की तिमाही में वृद्धि दर 5.8 फीसदी दर्ज की गई थी.
वित्त मंत्री ने आज कहा था देश की इकॉनमी सही हालात में है
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज घरेलू अर्थव्यवस्था को लेकर प्रेस कॉन्फ्रेंस की और बताया कि देश की इकॉनमी सही हालात में है. उन्होंने बैंकों की अच्छी स्थिति के बारे में कहा कि इनके एनपीए (नॉन पफॉर्मिंग ऐसेट) कम हुए हैं और मुनाफा बढ़ा है जो अच्छी खबर है. वित्त मंत्री ने बताया कि कम समय में लोन रिकवरी बढ़ गई है और कर्ज वसूली रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई है. एनपीए में कमी आई है और ये 8.65 लाख करोड़ रुपये से घटकर 7.90 लाख करोड़ रुपये हो गया है यानी अब 7.90 लाख करोड़ का एनपीए बचा है. 2019 में 1 लाख 21 हजार 76 करोड़ की रिकवरी हुई है जो काफी अच्छी कही जा सकती है. इसके अलावा 18 पब्लिक सेक्टर बैंकों में से 14 सरकारी बैंक फायदे में है, बैंकों का मुनाफा बढ़ा है.
देश की आर्थिक वृद्धि दर (जीडीपी ग्रोथ रेट) 2019-20 की अप्रैल-जून तिमाही में घटकर पांच फीसदी रह गयी. यह पिछले छह साल से ज्यादा वक्त में न्यूनतम स्तर है. मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में गिरावट और कृषि उत्पादन की सुस्ती से जीडीपी वृद्धि में यह गिरावट आई है. शुक्रवार को केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (सीएसओ) के द्वारा जारी आधिकारिक आंकड़ों में यह जानकारी दी गयी है.
कृषि विकास दर पिछले साल के 5.1 फीसदी के मुकाबले 2 फीसदी पर आ गई है. वहीं मैन्युफैक्चरिंग में भी भारी गिरावट दर्ज की गई है. पिछले साल मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर में ग्रोथ रेट 12.1 फीसदी थी जो अब घटकर 0.6 फीसदी पर आ गई है.
GDP at Constant (2011-12) Prices in Q1 of 2019-20 is estimated at 35.85 lakh crore, as against 34.14 lakh crore in Q1 of 2018-19, showing a growth rate of 5.0 % pic.twitter.com/0TBAkuTwKO
— ANI (@ANI) August 30, 2019
इससे पहले वित्त वर्ष 2012-13 की जनवरी से मार्च अवधि में देश की आर्थिक वृद्धि दर सबसे निचले स्तर 4.9 फीसदी पर रही थी. एक साल पहले 2018-19 की पहली तिमाही में आर्थिक वृद्धि दर आठ फीसदी के उच्च स्तर पर थी. जबकि इससे पिछली तिमाही यानि जनवरी से मार्च 2019 में वृद्धि दर 5.8 फीसदी रही थी.
भारतीय रिजर्व बैंक ने जून में हुई मौद्रिक समीक्षा में चालू वित्त वर्ष की आर्थिक वृद्धि दर का अनुमान सात फीसदी से घटाकर 6.9 फीसदी कर दिया था. इसके साथ ही केन्द्रीय बैंक ने कुल मांग बढ़ाकर वृद्धि चिंताओं से निपटने पर जोर दिया था.
RBI ने वित्त वर्ष की पहली छमाही में जीडीपी वृद्धि दर के 5.8 फीसदी से 6.6 फीसदी और दूसरी छमाही में 7.3 फीसदी से 7.5 फीसदी के दायरे में रहने का अनुमान जताया है. साल 2019 की अप्रैल-जून अवधि में चीन की आर्थिक वृद्धि दर 6.2 फीसदी रही है जो पिछले 27 साल में सबसे कम रही.