कश्मीर पर तनाव के बीच पाकिस्तान ने किया ‘गजनवी’ मिसाइल का परीक्षण
सतह से सतह पर 290 से 320 किलोमीटर की दूरी तक मार करने में सक्षम गजनवी मिसाइल 700 किलोग्राम विस्फोटक ले जाने में सक्षम है.
नई दिल्ली: जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने के भारत सरकार के ऐतिहासिक फैसले के बाद से ही पाकिस्तान युद्ध की गीदड़भभकी दे रहा है. अब उसने बैलिस्टिक मिसाइल गजनवी का परीक्षण किया है. इसको लेकर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने अपने देश को बधाई भी दी है. इसके साथ ही पाकिस्तान के राष्ट्रपति आरिफ अल्वी ने भी बधाई दी है.
इस मिसायल की रेंज 290 से 320 किलोमीटर बताई जा रही है. इस मिसाइल का इस्तेमाल हवाई नहीं, बल्कि सतह से सतह के लिए होगा. साथ ही खबरों की मानें तो यह मिसाइल 700 किलोग्राम विस्फोटक ले जाने में सक्षम है. ऐसे में पाकिस्तान का गजनवी मिसाइल का परीक्षण करना दुनिया को तनाव का संदेश देने की कोशिश मात्र मानी जा रही.
बता दें कि भारत और पाकिस्तान के बीच समझौते के अनुसार किसी भी परीक्षण की सूचना कम से कम तीन दिन पूर्व देनी होती है. पाकिस्तान की ओर से इसकी सूचना पहले ही भारत को दी जा चुकी है. पाकिस्तान ने इसकी सूचना 26 अगस्त को भारतीय अधिकारियों से साझा कर दी थी.
आर्टिकल 370 पर मोदजी सरकार के फैसले से बौखलाया हुआ है पाकिस्तान
बता दें कि पाकिस्तान की तरफ भारत सरकार द्वारा जम्मू-कश्मीर में आर्टिकल 370 को खत्म करने के बाद से ही युद्ध की धमकी दी जा रही है. पाक प्रधानमंत्री इमरान खान ने परमाणु युद्ध की चेतावनी दी थी. उन्होंने राष्ट्र के नाम अपने संबोधन से लेकर अमेरिकी अखबार न्यूयॉर्क टाइम्स को दिए साक्षात्कार तक, भारत के साथ परमाणु युद्ध के संकेत दिए. पाक प्रधानमंत्री ही नहीं, बल्कि उनके अन्य मंत्री भी युद्ध का राग अलाप चुके हैं. पाकिस्तान की सभी गीदड़भभकी का भारत के दो टूट जवाब दिया है. भारत सरकार की तरफ से साफ कहा गया है कि कश्मीर का मामला देश का आंतरिक मामला है और किसी भी तरह का हस्तक्षेप इसमें नहीं बर्दाश्त किया जाएगा.
कितना ताकतवर है ‘गजनवी’, भारत के सामने कहां ठहरते हैं पाकिस्तान के मिसाइल
पाकिस्तान (Pakistan) ने पूरी दुनिया का ध्यान कश्मीर (Kashmir) की तरफ खींचने के लिए एक नया पैंतरा चला है. पाकिस्तान ने अपने बैलेस्टिक मिसाइल गजनवी (Ballistic Missile Ghazanavi) का परीक्षण किया है. पाकिस्तान का ये मध्यम दूरी का बैलेस्टिक मिसाइल है. इससे पहले पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान परमाणु हमले की धमकी भी दे चुके हैं. पाकिस्तान की पूरी कोशिश है कि किसी भी तरह से दुनिया के पटल पर वो कश्मीर मसले को जिंदा रख सके. इसलिए वो तनाव पैदा करने वाले ऐसे कदम उठा रहा है.
कितना ताकतवर है पाकिस्तान का गजनवी
पाकिस्तान का गजनवी मिसाइल सतह से सतह पर मार करने वाला बैलिस्टिक मिसाइल है. गजनवी मिसाइल 290 किलोमीटर की दूरी तक लक्ष्य भेदने में सक्षम है. पाकिस्तान इसके पहले भी गजनवी मिसाइल का परीक्षण कर चुका है.
इसे गजनवी या हत्फ-3 मिसाइल के नाम से जाना जाता है. ये 700 किलोग्राम तक विस्फोटक ले जाने में सक्षम है. इसे पाकिस्तान के कम या मध्यम दूरी वाले बैलेस्टिक मिसाइल के तौर पर जाना जाता है. इसे बनाने की शुरुआत 1987 में हुई थी. कई परीक्षण से गुजरने के बाद 2007 में इसे पाकिस्तानी सेना में शामिल किया गया.
पाकिस्तान के नेशनल डेवलपमेंट कॉम्पलैक्स ने इस मिसाइल को डिजाइन और डेवलप किया है. इसका पहला वर्जन 2004 से ही पाकिस्तानी सेना के पास है.
पाकिस्तान का गजनवी बैलेस्टिक मिसाइल
कैसे पड़ा गजनवी नाम
पाकिस्तान ने अपने इस बैलेस्टिक मिसाइल का नाम तुर्की के मुस्लिम हमलावर महमूद गजनवी के नाम पर रखा है. विशेषज्ञों का राय है कि इस मिसाइल का नाम रखने के पीछे पाकिस्तान की भारत के प्रति घृणा ही झलकती है. महमूद गजनवी ने 17 बार भारत पर आक्रमण किया था और वो यहां से अपार धन संपदा लूटकर गजनी ले गया था. उसने ग्यारहवी सदी में भारत में जमकर लूट खसोट मचाई.
महमूद गजवनी ने सबसे बड़ा आक्रमण 1026 में काठियावाड़ के सोमनाथ मंदिर पर किया था. उसने सोमनाथ मंदिर का शिवलिंग तोड़ डाला, कीमती मूर्तियां लूट लीं और हजारों पुजारियों को मौत के घाट उतार दिया. 1027 में उसने आखिरी बार भारत पर आक्रमण किया था. ऐसे खूंखार लुटेरे के नाम पर पाकिस्तान ने अपने बैलेस्टिक मिसाइल का नाम रखा.
गजनवी मिसाइल का एक और नाम हत्फ 3 है. अरबी में हत्फ का मतलब खतरनाक होता है.
पाकिस्तान ने कैसे हासिल की गजनवी की टेक्नोलॉजी
पाकिस्तान पहले चीन से एम-11 मिसाइल टेक्नोलॉजी हासिल करना चाहता था. पाकिस्तान की प्रधानमंत्री रहते हुए बेनजीर भुट्टो ने चीन की एम-11 मिसाइल की टेक्नोलॉजी हासिल करने के लिए खूब लॉबिइंग की, लेकिन अमेरिका के विरोध की वजह से उसे ये टेक्नोलॉजी हासिल नहीं हो पाई. जब पाकिस्तान चीन से एम-11 हासिल नहीं कर सका तो नब्बे के दशक में उसने गजनवी पर काम करना शुरू किया.
पाकिस्तान के गजनवी और अब्दाली मिसाइल की टेक्नोलॉजी चीन के एम-11 मिसाइल की टेक्नोलॉजी की तरह ही है. दरअसल चीन ने ही चोरी चुपके पाकिस्तान को बैलेस्टिक मिसाइल टेक्नोलॉजी दी. हालांकि पाकिस्तान दावा करता है कि उसने स्वदेशी तौर पर ये मिसाइल विकसित की है. 1995 में पाकिस्तान ने इसके इंजन को बनाने में कामयाबी हासिल की और उसका सफल परीक्षण किया.
पाकिस्तान का बैलेस्टिक मिसाइल शाहीन
पाकिस्तान ने कई बार किया गजनवी का परीक्षण
पाकिस्तान ने सबसे पहले 26 मई 2002 को अपने मिलिट्री बेस से इसका परीक्षण किया. पाकिस्तान ने इसके सफल रहने का दावा किया. इसके बाद 3 अक्टूबर 2003 को पाकिस्तान ने फिर से इस मिसाइल का परीक्षण किया. कहां से परीक्षण किया गया इसकी कोई जानकारी नहीं दी गई. लेकिन पाकिस्तान ने दावा किया कि बैलेस्टिक मिसाइल ने करीब 290 किलोमीटर दूर के अपने लक्ष्य को सफलतापूर्वक भेदने में कामयाब रही.
इसके बाद मार्च 2004 में इसे पाकिस्तानी सेना में शामिल कर लिया गया. इस बैलेस्टिक मिसाइल को खास तौर से भारत के लिए खतरा बताया जाता है.
8 दिसंबर 2004 को पाकिस्तान ने इसका तीसरा परीक्षण किया. इसके बाद दिसबंर 2006, फरवरी 2008 और मई 2010 में भी इसका परीक्षण किया. मई 2012 में पाकिस्तानी सेना की ट्रेनिंग एक्सरसाइज के दौरान इस मिसाइल का परीक्षण हुआ.
भारत के सामने कहां ठहरते हैं पाकिस्तान के मिसाइल
भारत और पाकिस्तान दोनों देशों के पास बैलेस्टिक मिसाइल हैं. दोनों देशों के बैलेस्टिक मिसाइल न्यूक्लियर बम ले जाने में सक्षम हैं. भारत के पास नौ तरह के बैलेस्टिक मिसाइल हैं. इसमें अग्नि-3 की क्षमता सबसे अधिक है. अग्नि-3 मिसाइल की रेंज 3 हजार किलोमीटर से लेकर 5 हजार किलोमीटर तक की है.
भारत का लंबी दूरी वाला बैलेस्टिक मिसाइल अग्नि-3
वहीं पाकिस्तान की मिसाइल टेक्नोलॉजी पूरी तरह से चीन की मदद पर आधारित है. पाकिस्तान के पास मध्यम दूरी तक मार करने वाले बैलेस्टिक मिसाइल हैं. शाहीन-2 पाकिस्तान की सबसे लंबी दूरी तक मार करने वाली मिसाइल है. इसकी रेंज करीब 2 हजार किलोमीटर है.
एक आंकड़े के मुताबिक भारत के 130 से 140 न्यूक्लियर वॉर हेड की तुलना में पाकिस्तान के पास 140 से 150 न्यूक्लियर वॉर हेड हैं.