कोलकाता: भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) खड़गपुर के 65वें सालाना दीक्षांत समारोह में उस समय सन्नाटा छा गया, जब केंद्रीय मानव संसाधन विकास (एचआरडी) मंत्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने अपने संबोधन में दावा किया कि राम सेतु को भारतीय इंजीनियरों ने बनाया था.
#WATCH Union HRD Minister Ramesh Pokhriyal at IIT Kharagpur, West Bengal: When we talk about Ram Setu, was it built by engineers from US, Britain & Germany? It was built by our engineers & it amazes the world even today. (27.08.2019) pic.twitter.com/Ils3jpMe9g
— ANI (@ANI) August 28, 2019
पोखरियाल ने मंगलवार को खचाखच भरे सभागार में कहा, “कोई इस तथ्य से इंकार कर सकता है कि हमारे देश में विकसित टेक्नोलॉजी थी और महान इंजीनियर थे? अगर आप राम सेतु की बात करें, तो क्या इसे जर्मनी या अमेरिका के इंजीनियरों ने बनाया था? इसे भारतीय इंजीनियरों ने बनाया था.”
उनकी इस बात पर दर्शकों में सन्नाटा छा गया. जब कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली तो मंत्री ने कहा, “ठीक है, सही है? बताइए न. आप चुप क्यों हैं?” तब दर्शकों की ओर से हल्की ताली बजाई गई. इसके बाद दर्शकों के मूड को भांपते हुए पोखरियाल ने कहा कि जब हम अपने अतीत के गौरव के बारे में बात करते हैं, तो लोग मजाक उड़ाते हैं, लेकिन हमारे देश के पास ज्ञान था और हमारा कर्तव्य है कि हम इसका व्यवहारिक उपयोग करें.
जब निशंक से बाद में संवाददाता सम्मेलन में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के इस रुख के बारे में पूछा गया कि यह साबित करने के लिए कोई ऐतिहासिक या वैज्ञानिक साक्ष्य नहीं है कि राम सेतु मानव निर्मित सेतु है. इस पर एचआरडी मंत्री ने कहा, ‘‘मेरा आशय है कि नया अनुसंधान होना चाहिए और राम सेतु के बारे में अध्ययन होना चाहिए.’’
उन्होंने कहा, ‘‘मैंने कहा था कि हमारे युवा इंजीनियरों की भावी पीढ़ी को राम सेतु जैसे ऐतिहासिक चमत्कारों के बारे में नये निष्कर्ष पर पहुंचने के लिए नये अनुसंधान करने चाहिए ताकि हमारे गौरवपूर्ण स्मारकों के बारे में नये सत्य खोजे जाएं. जिससे दुनिया को एक बार फिर इस बारे में बताया जा सके कि सदियों पहले हमने किस किस का निर्माण किया था.’’
एएसआई ने कांग्रेस नीत यूपीए सरकार के कार्यकाल में सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर दावा किया था कि भगवान राम के अस्तित्व और मानव निर्मित सेतु के तौर पर राम सेतु के अस्तित्व को साबित करने के लिए कोई ऐतिहासिक या वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है. हालांकि सितंबर 2007 में हलफनामा वापस ले लिया गया था.
भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद (आईसीएचआर) ने पिछले साल अप्रैल में घोषणा की थी कि वह यह पता लगाने के लिए कोई अध्ययन नहीं करेगा या अध्ययन के लिए धन नहीं देगा कि राम सेतु मानव निर्मित है या प्राकृतिक है.