जी-7 शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने फ्रांस पहुंचे पीएम मोदी, कश्मीर से 370 हटाने के बाद पहली बार ट्रंप से मिलेंगे

फ्रांस के विशेष न्यौते पर पीएम मोदी जी-7 की बैठक में शामिल होने लिए बियारिट्ज पहुंचे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी टीम विश्व नेताओं के साथ बातचीत में कश्मीर के मुद्दे पर खरे जवाबों की तैयारी के साथ फ्रांस पहुंचे हैं.

0 955,676

 

बियारिट्ज (फ्रांस): प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप महज दो महीने बाद एक बार फिर रूबरू होंगे. मौका होगा फ्रांस के बियारिट्ज में हो रही G-7 की शिखर बैठक का. इस बैठक से पहले अमेरिकी खेमे ने इस बात को जता दिया है कि पीएम मोदी से मिलने पर ट्रंप कश्मीर के मुद्दे पर बात करना चाहेंगे.

वहीं भारतीय पक्ष भी कश्मीर और खासतौर पर अनुच्छेद 370 के विशेष प्रावधानों को खत्म करने के अपने फैसलों को लेकर बेझिझक और बेलाग बातचीत को तैयार हैं. हालांकि सूत्रों के मुताबिक मोदी और ट्रंप की इस मुलाकात में कश्मीर पर अमेरिकी राष्ट्रपति की जिज्ञासाओं का जवाब भारत के संप्रभु अधिकारों की हदें बताते हुए दिया जाएगा.

 

फ्रांस के विशेष न्यौते पर बैठक में शामिल हो रहा है भारत

 

दरअसल, पहली बार जी-7 का शिखर बैठक में शरीक हो रहे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी टीम विश्व नेताओं के साथ बातचीत में कश्मीर के मुद्दे पर खरे जवाबों की तैयारी के साथ फ्रांस पहुंची है. फ्रांस के विशेष न्यौते पर बियारिट्ज की इस बैठक में पहुंच रहे पीएम मोदी जहां जी-7 शिखर बैठक के दो सत्रों में शरीक होंगे वहीं सम्मेलन के हाशिए पर उनकी कई विश्व नेताओं से मुलाकात होनी है. प्रधानमंत्री मोदी ने आज ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉन्सन और संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुतरेज से मुलाकात की.

तीन दिन में दूसरी बार फ्रांस पहुंचे हैं पीएम मोदी

 

संयुक्त अरब अमीरात और बहरीन का दौरा पूरा कर तीन मोदी रविवार शाम फ्रांस के बियारिट्ज पहुंचे हैं. तीन दिन में दूसरी बार फ्रांस पहुंचे पीएम मोदी के साथ इस बार एनएसए अजीत डोभाल भी साथ होंगे जो सीधे कश्मीर के हालात पर निगरानी बनाए हुए हैं. सूत्रों के अनुसार इस संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता कि अजीत डोभाल की अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जॉन बोल्टन से अलग मुलाकात भी संभव है.

 

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ पीएम मोदी की मुलाकात सुबह 11:30 से एक बजे के बीच संभव है. दोनों नेताओं की सहूलियत और उपलब्धता के आधार पर इस मुलाकात के लिए समय निकाल लिया जाएगा. महत्वपूर्ण है कि मोदी और ट्रंप के बीच बीते हफ्ते करीब 30 मिनट फोन पर भी बातचीत हुई थी. विदेश मंत्रालय के मुताबिक इस बातचीत में भी भारत-पाक तनाव का का जिक्र आने पर पीएम मोदी ने कहा था कि कुछ क्षेत्रीय नेताओं की भड़काऊ भाषा शांति और स्थायित्व के लिए खतरा बन रही है.

 

कश्मीर को लेकर पूरी तैयारी के साथ फ्रांस पहुंची है भारतीय टीम

 

आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक पीएम मोदी समेत पूरी भारतीय टीम इस तैयारी के साथ फ्रांस पहुंची है, अगर द्विपक्षीय मुलाकातों में कोई नेता कश्मीर के मुद्दे पर जानने की जिज्ञासा दिखाता है तो उसे संवैधानिक स्थिति और संप्रभु सीमाएं बताते हुए बेझिझक जवाब दिए जाए. साथ ही यह बताया और समझाया जाए कि कानून-व्यवस्था को बनाए रखने के लिए सूबे में अस्थाई तौर पर लागू पाबंदियों की जरूरत इसलिए है ताकि पाकिस्तान को सीमा-पार से आतंकवाद फैलाने और हिंसा भड़काने का मौका न मिल पाए. साथ ही यह भी समझाने की कोशिश हो कि जम्मू-कश्मीर में फौरी तौर पर लगा गए संचार व परिवहन प्रतिबंधों को महज दो हफ्ते के भीतर ढीला करने की कवायद भी शुरू हो चुकी है.

 

मोदी-ट्रंप की मुलाकात से पहले अमेरिकी खेमा यह साफ कर चुका है कि चर्चा के दौरान भारत-पाकिस्तान संबंधों का मुद्दा भी उठेगा. ट्रंप मोदी मुलाकात से पहले मीडिया से वॉशिंगटन में मीडिया से बातचीत में अमेरिकी प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारियों का कहना था कि- पीएम मोदी से चर्चा में राष्ट्रपति यह जानना चाहेंगे कि आखिर क्षेत्रीय तनाव घटाने को लेकर उनकी योजना क्या है. साथ ही दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र होने के नाते भारत कश्मीर में लोगों के मानवाधिकारों को किस तरह सुनिश्चित करेगा.

 

कश्मीर को लेकर खास दिलचस्पी दिखा रहे हैं डोनाल्ड ट्रंप

 

गौरतलब है कि बीते कुछ दिनों से अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप कश्मीर को लेकर खासी दिलचस्पी जता रहे हैं. खासतौर पर पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान के साथ बीते महीने हुई मुलाकात के बाद इस मुद्दे मध्यस्थता की पेशकश तक कर चुके हैं. कश्मीर मुद्दे पर ट्रंप की ताजा रुचि की जड़ में जानकार अफगानिस्तान से अपनी सेनाओं की वापसी और इस काम में पाकिस्तानी मदद की दरकार को भी देख रहे हैं. जाहिर है अगले साल होने वाले अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव से पहले ट्रंप तालिबान के साथ शांति-समझौता कर अपनी सेनाओं की वापसी का दरवाजा तलाश रहे हैं. इस काम में उन्हें पाकिस्तान की मदद की भी जरूरत है.

 

हालांकि कश्मीर पर मध्यस्थता को लेकर भारत के सख्त रुख के बाद ट्रंप के बयानों में भी बदलाव आया है. जापान के ओसाका में पीएम मोदी से मुलाकात के दौरान कश्मीर पर मध्यस्थता का न्यौता मिलने के दावा करने वाले ट्रंप अब कहने लगें हैं कि ‘अगर भारत और पाकिस्तान चाहें तो वो विवाद सुलझाने में मदद को तैयार हैं.’ स्पष्ट है कि ट्रंप के रुख का यह बदलाव इस मामले पर भारत की उस तीखी प्रतिक्रिया के बाद आया जिसमें नई दिल्ली ने साफ कर दिया था कि जम्मू-कश्मीर पर वो किसी भी तीसरे पक्ष की न तो मध्यस्थता चाहता है और न दखल.

 

अमेरिकी नीति के विपरीत नजर आ रहा है ट्रंप का रुख

 

माना जा रहा है कि कश्मीर पर स्थापित अमेरिकी नीति के विपरीत इस मामले में ट्रंप की जागी दिलचस्पी भी एक वजह थी कि भारत सरकार ने अनुच्छेद 370 पर अपने फैसले को अमली जामा पहना था. अमेरिका इस बात को तो मान रहा है कि जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाना भारत का अंदरूनी मामला है. लेकिन ट्रंप प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी यह भी कहते हैं कि, ‘इस फैसले के क्षेत्रीय प्रभाव भी हैं. ऐसे में प्रधानमंत्री मोदी से मुलाकात के दौरान राष्ट्रपति ट्रंप यह जानने को उत्सुक होंगे कि आखिर क्षेत्रीय तनाव को कम करने के लिए भारत की क्या योजना है और इस दिशा में क्या हो रहा है?’

 

हालांकि भारत जैसे रणनीतिक साझेदार के साथ रिश्तों की नजाकत को समझते हुए अमेरिका इस मामले में अपने हदों को लांघने से भी बचता नजर आ रहा है. ट्रंप सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों के मुताबिक अमेरिका पाकिस्तान से यह बात कह रहा है कि वो क्षेत्रीय तनाव घटाने पर ध्यान दे. साथ ही अपने यहां फल-फूल रहे आतंकियों के खिलाफ भी ठोस कार्रवाई करे. ध्यान रहे कि भारत का भी लगातार यही कहना है कि जम्मू-कश्मीर समेत किसी भी द्विपक्षीय मुद्दे पर पाकिस्तान से बातचीत आतंकवाद और हिंसा मुक्त माहौल में ही हो सकती है.

Leave A Reply

Your email address will not be published.