कर्मचारियों के लिए बड़ी खबर, EPFO बोर्ड की बैठक में लिए गए कई अहम फैसले

हैदराबाद में केंद्रीय श्रममंत्री संतोष गंगवार की अध्यक्षता में हैदराबाद में हुई ईपीएफओ के बोर्ड की बैठक में कई अहम फैसले लिए गए। ...

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नई दिल्ली। निजी क्षेत्र के कर्मचारियों को सेवानिवृत्ति के समय पेंशन की एक तिहाई रकम एकमुश्त निकालने की सुविधा फिर से मिलेगी। कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) के सेंट्रल ट्रस्टी बोर्ड ने कर्मचारी पेंशन स्कीम (ईपीएस) के सदस्यों को सेवानिवृत्ति के वक्त अपनी एक तिहाई पेंशन के एवज में एकमुश्त रकम लेने का विकल्प फिर से देने का निर्णय लिया है। इससे सवा छह लाख से ज्यादा पेंशनभोगियों को लाभ मिलेगा।

 

फिर मिलेगा पेंशन के बदले एकमुश्त रकम का विकल्प

बुधवार को हैदराबाद में केंद्रीय श्रममंत्री संतोष गंगवार की अध्यक्षता में हैदराबाद में हुई ईपीएफओ के बोर्ड की बैठक में कई अहम फैसले लिए गए। इनमें से एक निर्णय ईपीएस में कम्यूटेशन अर्थात पेंशन की आंशिक रकम एकमुश्त लेने का विकल्प बहाल करने के लिए ईपीएस-95 में संशोधन करने का है। भारतीय मजदूर संघ के महासचिव विरजेश उपाध्याय के मुताबिक सरकारी कर्मचारियों की तरह पहले निजी क्षेत्र के कर्मचारियों को भी ईपीएस के तहत कम्यूटेशन की सुविधा मिलती थी। जिसमें रिटायर होने वाले कर्मचारी को दस वर्ष तक एक तिहाई पेंशन छोड़ने और बदले में एकमुश्त राशि लेने का विकल्प दिया जाता था।

 

विकल्प चुनने वाले कर्मचारी को सिर्फ दो तिहाई पेंशन मिलती थी जो 15 वर्ष बाद फिर पूरी हो जाती थी। लेकिन 2009 में इस विकल्प को समाप्त कर दिया गया था। अब इसे पुन: प्रारंभ करने का निर्णय हुआ है। ईपीएफओ के मुताबिक कम्यूटेशन का विकल्प बहाल होने से 2009 से पहले सेवानिवृत्त हुए तकरीबन 6.3 लाख पेंशनभोगी इसका लाभ ले सकेंगे। इन कर्मचारियों को सेवानिवृत्ति के 15 साल बाद अब पूरी पेंशन मिलेगी।

ईपीएफओ फंड का निवेश 

एक अन्य निर्णय के तहत सीबीटी ने ईपीएफओ फंड के निवेश को बाजार के जोखिमों से बचाने के लिए नये पोर्टफोलियो मैनेजरों का चुनाव करने तथा डेट और इक्विटी में निवेश के तौरतरीकों में सुधार का निर्णय भी लिया है। अभी इस फंड का प्रबंधन एचएसबीसी एएमसी और यूटीआइ एएमसी के पास है। भविष्य में ईपीएफ फंड का निवेश निजी बांडों में नहीं किया जाएगा तथा पीएसयू बांड में निवेश से पहले जरूरी दो रेटिंग में से एक रेटिंग क्रिसिल, केयर या इक्रा की अवश्य होगी। यही नहीं, पीएसयू के डेट प्रपत्रों में निवेश के लिए भी नया कस्टोडियन चुना जाएगा। ऐसा मुख्यतया आइएल एंड एफएस के बांडों में 574 करोड़ तथा दीवान हाउसिंग फाइनेंस (डीएचएफसी) के बांडों में 700 करोड़ रुपये के निवेश से हुए नुकसान के मद्देनजर किया गया है।

अब डेट में निवेश के लिए नए कस्टोडियन का चयन किया जाएगा और इसके लिए कंसल्टेंट की नियुक्ति की जाएगी। जबकि इक्विटी में होने वाले निवेश को निफ्टी और सेंसेक्स से जुड़े ईटीएफ में 50:50 के अनुपात में विभाजित किया जाएगा। सीबीटी ने ईटीएफ संचालक कंपनियों का चयन सार्वजनिक निविदा के जरिए करने का निर्णय भी किया है।

कामकाज की समीक्षा के लिए समिति गठित

ट्रस्टी बोर्ड ने ईपीएफ फंड के पोर्टफोलियो मैनेजर के कामकाज की समीक्षा के लिए गठित समिति में कर्मचारियों और नियोक्ताओं के प्रतिनिधियों को नामित किए जाने को भी मंजूरी दी। ये समिति क्रिसिल के अलावा एक पृथक एजेंसी का चयन एवं नियुक्ति करने के अलावा ईटीएफ को भुनाने में निवेश समिति की सहायता करेगी।

ईपीएफ ने गुजरात पेट्रोलियम कॉरपोरेशन (जीएसपीसी) के नॉन-कन्वर्टिबल डिबेंचरों में 2300 करोड़ का निवेश कर रखा है। सीबीटी ने इस निवेश को गुजरात स्टेट इंवेस्टमेंट लिमिटेड (जीएसआइएल) में स्थानांतरित करने को भी मंजूरी दी है। गुजरात सरकार की इस कंपनी ने सरकार के बजटीय समर्थन से जीएसपीसी के कर्ज को खरीदने का प्रस्ताव किया था।

ईपीएफओ 4.5 करोड़ से ज्यादा सदस्य

इस समय ईपीएफओ 4.5 करोड़ से ज्यादा सदस्यों से एकत्रित 13.50 लाख करोड़ से अधिक के प्रोविडेंट फंड तथा 2.75 लाख करोड़ से अधिक के पेंशन फंड का प्रबंध संभाल रहा है। फिलहाल ईपीएफ के 85 परसेंट फंड का निवेश डेट इंस्ट्रूमेंट्स में तथा 15 परसेंट का निवेश इक्विटी में एक्सचेंज ट्रेडेड फंडों (ईटीएफ ) के मार्फत करने का प्रावधान है। लेकिन जोखिम के डर से ईपीएफओ ने केवल 70 हजार करोड़ रुपये का निवेश ही ईटीएफ में किया है।

 

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