DAY 8: रामलला के वकील ने कहा- मुस्लिम पक्षकार भी मान चुके हैं जन्मस्थान का महत्व, इसे हिंदुओं को सौंपा जाए

रामलला के वकील वैद्यनाथन ने सबसे पहले 12 वीं सदी के एक शिलालेख की तस्वीर कोर्ट में रखी. उन्होंने बताया कि इस शिलालेख पर साकेत मंडल के राजा गोविंद चंद्र का जिक्र है. संस्कृत में लिखा है कि उन्होंने भव्य विष्णु मंदिर बनवाया था. शिलालेख की प्रामाणिकता पर कोई शक नहीं है. पुरातत्व सर्वे इसकी पुष्टि कर चुका है.

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  • सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या विवाद पर रोजाना सुनवाई का आठवां दिन
  • रामलला विराजमान के वकील रख रहे हैं अपने तर्क
  • सोमवार को अदालत में नहीं हो पाई थी सुनवाई
  • 6 अगस्त से जारी है अयोध्या विवाद पर रोजाना सुनवाई

नई दिल्ली। रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद पर सुप्रीम कोर्ट में रोजाना सुनवाई हो रही है. सोमवार को इस मामले की सुनवाई नहीं हो पाई थी, इसलिए अब मंगलवार को मामला आगे बढ़ रहा है. 6 अगस्त से इस मामले को सर्वोच्च अदालत में रोजाना यानी हफ्ते में पांच दिन सुना जा रहा है. सोमवार को जस्टिस बोबड़े अदालत में अनुपस्थित रहे, इसी वजह से मामला सुना नहीं गया. आज रामलला विराजमान के वकील सीएस. वैद्यनाथन एक बार फिर अदालत में अपनी दलील पेश कर रहे हैं.

तीर्थ यात्रियों का आना-जाना लगा रहता था. लेकिन किसी हिंदू गवाह ने वहां नमाज होते हुए नहीं देखा.

अयोध्या मामले पर सुनवाई के आठवें दिन रामलला के वकील ने अपने दावे के समर्थन में इलाहाबाद हाई कोर्ट में हुई गवाहियों को रखा. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के 5 जजों की संविधान पीठ को बताया कि गवाहों के मुताबिक विवादित स्थान पर हिंदू पूजा करते थे. वहां तीर्थ यात्रियों का आना-जाना लगा रहता था. लेकिन किसी हिंदू गवाह ने वहां नमाज होते हुए नहीं देखा.

पिछले हफ्ते हुई सुनवाई में रामलला विराजमान के वकील सीएस वैद्यनाथन ने ऐतिहासिक और पुरातात्विक सबूतों के आधार पर अयोध्या में विवादित ढांचा बनने से पहले भव्य हिंदू मंदिर होने की बात कही थी. आज उन्होंने इलाहाबाद हाई कोर्ट में हुई गवाही के जरिए इसे साबित करने की कोशिश की.

सबसे पहले 12 वीं सदी के एक शिलालेख की तस्वीर कोर्ट में रखी

 

वैद्यनाथन ने सबसे पहले 12 वीं सदी के एक शिलालेख की तस्वीर कोर्ट में रखी. उन्होंने बताया कि इस शिलालेख पर साकेत मंडल के राजा गोविंद चंद्र का जिक्र है. संस्कृत में लिखा है कि उन्होंने भव्य विष्णु मंदिर बनवाया था. शिलालेख की प्रामाणिकता पर कोई शक नहीं है. पुरातत्व सर्वे इसकी पुष्टि कर चुका है. विवादित ढांचा गिराए जाने के समय वहां मौजूद रहे एक पत्रकार ने गवाही दी है कि उन्होंने दक्षिणी गुंबद से इसे गिरते हुए देखा था. इस शिलालेख के अलावा भी विवादित ढांचे के मलबे से कई कलाकृतियां मिली थीं, जो हिंदू मंदिर से जुड़ी मानी गई हैं. ASI की खुदाई में जो विशालकाय मंदिर मिला है, वो राजा गोविंद चंद्र का बनवाया विष्णु मंदिर ही था.

हाईकोर्ट में हुई 90 साल के बुजुर्ग रामनाथ की गवाही का भी जिक्र किया

 

रामलला के वकील ने हाईकोर्ट में हुई 90 साल के बुजुर्ग रामनाथ की गवाही का भी जिक्र किया. उन्होंने बताया कि दूसरे पक्ष के वकीलों ने रामनाथ से कई सवाल किए. आखिर उनकी गवाही सही साबित हुई. बचपन से अयोध्या में रहे बुजुर्ग ने बताया था कि उन्होंने हमेशा विवादित स्थान को हिंदुओं के कब्जे में देखा. बचपन से देखा कि वहां हिंदू भगवान राम की पूजा अर्चना करते हैं. वहां बाहर से आने वाले तीर्थ यात्रियों का भी मेला लगा रहता था. विवादित इमारत में नमाज होते हुए उन्होंने कभी नहीं देखा. वकील ने बताया कि दूसरे हिंदू गवाहों ने भी इस बात की पुष्टि की.

 

मोहम्मद यासीन ने वहां नमाज पढ़ने का दावा किया. लेकिन उन्होंने भी माना कि हिंदू धर्म से जुड़ी कई आकृतियां थीं

 

सीएस वैद्यनाथन ने कहा,”एक मुस्लिम गवाह मोहम्मद यासीन ने वहां नमाज पढ़ने का दावा किया. लेकिन उन्होंने भी माना कि इमारत में हिंदू धर्म से जुड़ी कई आकृतियां थीं. मुख्य मुस्लिम पक्षकारों में से एक मोहम्मद हाशिम खुद कह चुके हैं कि जो दर्जा मुसलमानों के लिए मक्का का है, वही हिंदुओं के लिए अयोध्या का है.” रामलला के वकील ने संविधान पीठ से आगे कहा, “एक दूसरे मुस्लिम गवाह ने भी कोर्ट में कहा था कि अगर साबित हो जाए कि बाबरी मस्जिद किसी मंदिर को गिरा कर बनाई गई थी तो वह उसे मस्जिद नहीं मानेंगे. वह चाहेंगे कि जगह हिंदुओं को सौंप दी जाए.”

20.8.2019 सुनवाई का अपडेट…

 

12.22 PM: रामलला के वकील के इस दावे पर जस्टिस बोबडे ने पूछा कि वो स्लैब कहां मिले थे? उन्होंने कहां से पता लगा कि स्लैब वहां से आ रही है? इसके बाद जस्टिस चंद्रचूड़ ने पूछा कि क्या इस शिलालेख को भी लेकर चैलेंज किया गया है?

इस पर सीएस वैद्यनाथन ने कहा कि स्लैब पर उत्कीर्ण कंटेंट के अनुवाद या इस शिलालेख की प्रमाणिकता को चैलेंज नहीं किया गया है बल्कि सवाल इस पर उठाया गया है कि ये स्लैब विवादित जमीन से मिला है या नहीं. इस दौरान उन्होंने 1950 में ली गई कुछ तस्वीरों को कोर्ट के सामने पेश किया गया.

12.10 PM: रामलला के वकील सीएस वैद्यनाथन ने अदालत में पाञ्चजन्य के एक रिपोर्टर की रिपोर्ट को पढ़ा और बताया कि जब 6 दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद का ढांचा गिराया गया तो जो स्लैब वहां से गिर रही थीं, उनमें संस्कृत भाषा में कुछ लिखा हुआ था. रिपोर्टर ने इसकी तस्वीर भी खींची थी, बाद में पुलिस ने उन स्लैब को जब्त कर लिया था.

11.55 AM: सुनवाई के दौरान जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि क्या से सब ASI के द्वारा इकट्ठा किया गया था? इस पर वैद्यनाथन ने कहा कि ये ASI रिपोर्ट में नहीं था, ASI काफी बाद में आई थी. रामलला विराजमान के वकील सीएस वैद्यनाथन ने कहा कि मस्जिद को बनाने के लिए मंदिर तोड़ा गया था. उन्होंने ASI रिपोर्ट का हवाला देते हुए मगरमच्छ, कछुओं का भी जिक्र किया और कहा कि इनका मुस्लिम कल्चर से मतलब नहीं था.

11.43 AM: रामलला के वकील वैद्यनाथन ने कहा कि 1114 AD से 1155 AD तक 12वीं शताब्दी में साकेत मंडल का राजा गोविंदचंद्र था, तब अयोध्या ही उसकी राजधानी हुआ करती थी. उन्होंने बताया कि यहां विष्णु हरि का बहुत भव्य मंदिर था, पुरातत्वविदों ने इसकी पुष्टि भी की है.

11.15 AM: रामलला के वकील सीएस. वैद्यनाथन ने अदालत में बताया कि मुस्लिम पक्ष ने पहले कहा था कि जमीन के नीचे कुछ नहीं था, लेकिन बाद में उन्होंने कहा कि जो ढांचा मिला है वह इस्लामिक ढांचा है. उन्होंने कहा कि पुरातत्व विभाग की रिपोर्ट के मुताबिक, भूमि के नीचे मंदिर था. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भी इस रिपोर्ट पर भरोसा किया है.

रामलला के वकील की तरफ से उदाहरण देते हुए कहा गया कि आज के दौर में लोग फ्लाइट ले कर सुबह सबरीमाला के दर्शन के लिए जाते हैं और शाम को लौट आते हैं. लेकिन राम जन्मभूमि को लेकर श्रद्धालु कई सदियों से यानी तब से दर्शन के लिए आते-जाते हैं, जब कि सरयू और अन्य नदियों पर कोई पुल नहीं था.

10.50 AM: अयोध्या विवाद पर अदालत में सुनवाई शुरू हो गई है. रामलला विराजमान के वकील सी.एस. वैद्यनाथन अपनी दलीलें रख रहे हैं. उन्होंने अदालत में पुरातत्व विभाग की खुदाई में मिले सबूत पेश किए.

अभी तक की दलीलों में रामलला के वकील की तरफ से पौराणिक, ऐतिहासिक तथ्यों का हवाला दिया गया, कुछ रिपोर्ट, पुरातत्व विभाग की तस्वीरें भी साझा की. सीएस. वैद्यनाथन ने अदालत में कहा कि जन्मभूमि स्थान पर बाबरी मस्जिद से पहले मंदिर था और उसके कई साक्ष्य भी थे. सुप्रीम कोर्ट में उन्होंने इस दौरान कुछ स्तंभों जिनपर भगवान के चित्र थे, उनका जिक्र किया. कुछ नक्शे भी दिखाए.

मामले की सुनवाई कर रहे जजों ने भी कई सवाल पूछे और रामलला के वकीलों से जवाब मांगे. फिर चाहे रामजन्मभूमि पर दावा करने का सबूत हो या फिर मंदिर गिराने का आदेश बाबर ने ही दिया था ऐसा कोई सबूत हो.

आपको बता दें कि मंगलवार को रोजाना सुनवाई का आठवां दिन है. 6 अगस्त तक रोजाना सुनवाई हुई, शुरुआत में निर्मोही अखाड़ा की तरफ से अदालत में अपनी दलीलों को पेश किया गया, उसके बाद से ही रामलला विराजमान के वकील अपनी बात रख रहे हैं.

SC की तरफ से आदेश दिया गया है कि कोई भी वकील जितना समय लेना चाहे वो ले सकता है, समय की कोई सीमा नहीं है. रोजाना सुनवाई से पहले अदालत ने मध्यस्थता का रास्ता भी दिया था, लेकिन उससे काम नहीं हो सका.

इस विवाद की सुनवाई चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संवैधानिक पीठ कर रही है. इसमें जस्टिस एस. ए. बोबडे, जस्टिस डी. वाई. चंद्रचूड़, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एस. ए. नजीर भी शामिल हैं.

 

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