कर्नाटक: पद संभालने के 25 दिनों बाद येदियुरप्पा ने किया कैबिनेट विस्तार, 17 नेताओं को बनाया गया मंत्री

कर्नाटक में कांग्रेस-जेडीएस सरकार गिरने के बाद बीएस येदियुरप्पा ने 26 जुलाई को मुख्यमंत्री पद संभाली थी. हालांकि उन्होंने कैबिनेट विस्तार नहीं किया था.

 

बेंगलुरू: कर्नाटक के मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा ने आज कैबिनेट विस्तार किया. उन्होंने 26 जुलाई को मुख्यमंत्री पद संभालने के बाद पहली बार कैबिनेट विस्तार किया है. पिछले दिनों येदियुरप्पा ने बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह से मुलाकात की थी. जिसके बाद उन्होंने दावा किया था कि जल्द ही कैबिनेट विस्तार किया जाएगा.

 

राज्यपाल वजुभाई वाला ने सुबह करीब साढ़े दस बजे राजभवन में 17 नये मंत्रियों को पद और गोपनीयता की शपथ दिलायी. जिन विधायकों को मंत्री पद की शपथ दिलाई गई उनमें निर्दलीय विधायक एच नागेश भी शामिल हैं. एच नागेश कुमारस्वमी सरकार में भी मंत्री थे, लेकिन आखिरी समय में उन्होंने इस्तीफा दे दिया था और मुंबई चले गए थे जहां वे बागी विद्यायको के साथ ठहरे थे.

 

कम से कम आधा दर्जन मंत्री शामिल किए जाएंगे- सूत्र

 

बीजेपी सूत्रों के मुताबिक, मंत्रिमंडल के पहले विस्तार में कम से कम आधा दर्जन मंत्री शामिल किए जाएंगे. हालांकि कैबिनेट में मंत्रियों की लिस्ट को सार्वजनिक नहीं किया गया है लेकिन माना जा रहा है कि इन नेताओं को कैबिनेट में जगह मिल सकती है जगदीश शेट्टर, उमेश कट्टी, मधु स्वामी, बसवराज बोम्मई, वी सोमन्ना, शशिकला जोले- ये नेता लिंगायत समुदाय से हैं. जबकि दलित वर्ग से गोविंद कर्जोल, एस अंगारा. वाल्मीकि समुदाय से श्रीरामलू, शिवन्ना गौड़ा नायक, बालाचंद्र जारकीहोली. वहीं एमएलसी कोटा श्रीनिवास पुजारी बिलावा समुदाय से, आर अशोक वोक्कलीगा समुदाय से और सुरेश कुमार ब्राह्मण कम्युनिटी से.

 

राज्य में गरमाया हुआ है फोन टैपिंग स्कैंडल का मामला

 

26 जुलाई को येदियुरप्पा ने चौथी बार कर्नाटक के मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली थी. कर्नाटक में इससे पहले महीनों तक कर्नाटक का नाटक चलता रहा. जिसके बाद जेडीएस और कांग्रेस की गठबंधन की सरकार गिरने के बाद बीजेपी की सरकार बनी. दूसरी ओर कर्नाटक में फोन टैपिंग स्कैंडल का मामला भी राज्य भर में गरमाया हुआ है, जिसे मुख्यमंत्री येदियुरप्पा ने सीबीआई को सौंपने का फैसला किया है. साथ ही कहा कि फोन टैपिंग मामले में उच्च स्तरीय जांच की जाएगी. गठबंधन की सरकार के दौरान कई बीजेपी नेता ब्यूरोक्रेट्स और पत्रकारों के फोन टैप करने का मामला सामने आया है.

 

वहीं पिछले 25 दिन तक मंत्रिमंडल का गठन नहीं करने को लेकर दोनों ही विपक्षी पार्टियों ने बीजेपी पर लगातार वार किया और कहा कि येदुरप्पा बिना कैबिनेट के ही बैठक कर रहे हैं. कर्नाटक की राजनीति में जातिवाद हमेशा ही हावी रहा है यही कारण है कि पार्टियां अपने कैबिनेट में भी इसे बैलेंस करती दिखती है.

 

लिंगायतों को माना जाता है सबसे ज्यादा और मजबूत वोट बैंक

 

कर्नाटक में सबसे ज्यादा और मजबूत वोट बैंक लिंगायतों को माना जाता है. जो कि अब तक बीजेपी के साथ मजबूती के साथ डटे रहे हैं. यही कारण है कि बीजेपी के कैबिनेट में सबसे ज्यादा चेहरे लिंगायत के हो सकते हैं. राज्य की आबादी में करीब 19 फ़ीसदी लिंगायत है. जबकि वोककलिगा करीब 14 फ़ीसदी है. ओबीसी कुल मिलाकर 20 फीसदी जिसमें कुरबा 7 फीसदी है. वहीं शेड्यूल कास्ट 19.5 फीसदी है. जबकि अल्पसंख्यक करीब 16 फीसदी है.

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