खय्याम: हीर रांझा से उमराव जान तक, 92 साल की उम्र में खामोश हो गई सबसे प्यारी धुन

दिग्गज संगीतकार मोहम्मद जहुर खय्याम हाशमी का 93 साल की उम्र में निधन हो गया. वे लंबे वक्त से बीमार चल रहे थे. उन्होंने मुंबई के एक अस्पताल में आखिरी सांस ली. सोमवार शाम से ही उनकी हालत नाजुक बताई जा रही थी.

 

मुंबई. दिग्गज संगीतकार मोहम्मद जहुर खय्याम हाशमी का 92 साल की उम्र में निधन हो गया. वे लंबे वक्त से बीमार चल रहे थे. उन्होंने मुंबई के एक अस्पताल में आखिरी सांस ली. सीने में संक्रमण और न्यूमोनिया की शिकायत के बाद उन्हें पिछले महीने 28 जुलाई को मुंबई के सुजय अस्पताल में भर्ती कराया गया था. उनके निधन से बॉलीवुड में शोक की लहर है. खय्याम साहब द्वारा रची गई धुनों में एक खास किस्म का आकर्षण रहा है जिससे उन्हें संगीत जगत में एक खास मुकाम मिला.

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खय्याम का जन्म 18 फरवरी, 1927 को पंजाब में हुआ था. उनका पूरा नाम संगीतकार के जीवन के बारे में बात करें तो खय्याम ने अपने म्यूजिक करियर की शुरुआत लुधियाना में 1943 में 17 वर्ष की आयु में की थी. साल 1953 में फुटपाथ फिल्म से उन्होंने अपने बॉलीवुड करियर की शुरुआत की. साल 1961 में आई फिल्म शोला और शबनम में संगीत देकर खय्याम साहब को पहचान मिलनी शुरू हुई. आखिरी खत, कभी-कभी, त्रिशूल, नूरी, बाजार, उमराव जान और यात्रा जैसी फिल्मों में धुनें दीं.

अपने शानदार काम के लिए उन्हें कई सारे अवॉर्ड भी मिले हैं. उन्हें साल 2007 में संगीत नाटक एकेडमी अवॉर्ड और साल साल 2011 में पद्म भूषण जैसे सम्मानों से नवाजा गया. कभी-कभी और उमराव जान के लिए उन्हें फिल्मफेयर अवॉर्ड और उमराव जान के लिए नेशनल अवॉर्ड भी मिला. बहुत कम लोगों को ये बात पता होगी कि साल 2007 में आई फिल्म यात्रा में खय्याम साहब का संगीत था. फिल्म में रेखा और नाना पाटेकर लीड रोल में थे. भले ही खय्याम साहब इस दुनिया से रुखसत हो गए हों मगर उनके संगीत की अमूल्य विरासत हमें यूहीं मंत्रमुग्ध करती रहेगी.

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