जाकिर नाईक की मलेशिया से छिन सकती है स्थायी नागरिकता, PM ने दिए संकेत
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक मलेशिया (Malaysia) सरकार जाकिर नाईक (Zakir Naik) मामले में तब तक कोई एक्शन नहीं लेगी जब तक पुलिस अपनी जांच पूरी नहीं कर लेती.
नई दिल्ली। विवादिक इस्लामिक प्रचारक जाकिर नाईक (Zakir Naik) की मुश्किलें बढ़ सकती है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, मलेशिया (Malaysia) के प्रधानमंत्री महातिर मोहम्मद के हवाले से बताया गया है कि जाकिर नाईक की स्थाई नागरिकता रद्द की जा सकती है. इसके लिए जाकिर नाईक से जल्द ही पूछताछ की जा सकती है.
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक सरकार इस मामले में तब तक कोई एक्शन नहीं लेगी जब तक पुलिस अपनी जांच पूरी नहीं कर लेती. जाकिर नाईक पर मलेशियाई अल्पसंख्यकों, चीनी नागरिकों और भारतीयों को लेकर विवादास्पद और संवेदनशील भाषण देने का आरोप है. जाकिर नाइक ने अपने भाषण में कहा था कि मलेशिया में हिंदुओं के पास भारत के अल्पसंख्यक मुसलमानों से सौ गुना ज्यादा अधिकार हैं. पिछले तीन साल से मलेशिया में रह रहे नाइक के इस बयान को लेकर मलेशियाई सरकार बेहद नाराज है. बता दें कि मलेशिया एक मुस्लिम बहुल देश है.
मलेशिया के एक मंत्री मुहिद्दीन यासीन ने कहा कि वो नाइर्क के खिलाफ एक्शन ले सकते हैं. उन्होंने कहा कि जो लोग भी यहां की शांति भंग करने की कोशिश करेंगे, उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी. बता दें कि मलेशिया में मलय मुसलमान की कुल आबादी का साठ फीसद हैं.
मनी लॉन्ड्रिंग का लग चुका है आरोप
जाकिर नाईक पर भारत में मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप हैं. इस विवादित प्रचारक ने अभी मलेशिया में शरण ले रखी है. भारत सरकार ने मलेशियाई सरकार से जाकिर नाईक के प्रत्यर्पण की औपचारिक मांग भी की है. दिसंबर, 2016 में नाईक के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का मुकदमा दर्ज हुआ था. भारत में ईडी ने जाकिर नाईक और कुछ अन्य लोगों के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में चार्जशीट दायर की थी.
नाईक के नफरत भरे भाषण
बांग्लादेश की राजधानी ढाका में आतंकी हमले के बाद एक जुलाई, 2016 को नाईक भारत से बाहर चले गये थे. बांग्लादेश ने दावा किया था कि हमले में शामिल आतंकवादी नाईक के भाषणों से प्रेरित थे. इसके बाद एनआईए ने नफरत भरे भाषणों के जरिए युवाओं को आतंकी गतिविधियों के लिए उकसाने के आरोप में नाईक के खिलाफ विशेष अदालत में आरोप पत्र दायर किया था.