विपक्षी नेताओं के साथ कश्मीर दौरा करना चाहते थे राहुल, राज्यपाल ने ठुकराई मांग

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने मंगलवार को एक ट्वीट कर कहा था कि राज्यपाल सत्यपाल मलिक को विपक्षी दलों के नेताओं को घाटी का दौरा करने और लोगों से बात करने की इजाजत देनी चाहिए. इसके जवाब में राज्यपाल ने कहा कि राहुल गांधी इस मामले का राजनीतिकरण कर रहे हैं.

श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी की इस मांग को खारिज कर दिया है कि विपक्ष के नेताओं को घाटी का दौरा करने की इजाजत दी जाए. जम्मू-कश्मीर राजभवन ने एक बयान जारी कर कहा है कि विपक्षी पार्टी के नेताओं के दौरे से समस्याएं और बढ़ेंगी और स्थानीय लोगों को ज्यादा परेशानी का सामना करना पड़ेगा.

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कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने मंगलवार को एक ट्वीट कर कहा था कि राज्यपाल सत्यपाल मलिक को विपक्षी दलों के नेताओं को घाटी का दौरा करने और लोगों से बात करने की इजाजत देनी चाहिए. इसके जवाब में राज्यपाल ने कहा कि राहुल गांधी इस मामले का राजनीतिकरण कर रहे हैं. राज्यपाल ने कहा कि जम्मू-कश्मीर की स्थिति पर राहुल गांधी शायद किसी फेक न्यूज को देखकर प्रतिक्रिया दे रहे हैं. राज्यपाल ने कहा कि कुछ मामूली घटनाओं को छोड़कर राज्य की स्थिति शांतिपूर्ण है.

इससे पहले राहुल गांधी ने राज्यपाल सत्यपाल मलिक से कहा कि उन्हें विमान की जरूरत नहीं है, बल्कि कश्मीर घाटी में जाने और वहां के लोगों से मिलने की आजादी चाहिए. राहुल गांधी इस समय अपने लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र वायनाड के दौरे पर हैं. उन्होंने ट्वीट किया, “डियर गवर्नर मलिक, विपक्षी नेताओं का एक प्रतिनिधिमंडल और मैं आपके जम्मू कश्मीर और लद्दाख के दौरे का आमंत्रण स्वीकार करते हैं. हमें विमान की जरूरत नहीं होगी लेकिन कृपया हमारी यात्रा की आजादी और लोगों, मुख्यधारा के नेताओं और वहां तैनात हमारे जवानों से मुलाकात सुनिश्चित करें.”

राज्यपाल मलिक ने राहुल से खुद घाटी में आकर हालात देख लेने को कहा था. कांग्रेस नेता ने अगले दिन उन्हें जवाब दिया है. राहुल गांधी ने केंद्र की ओर से अनुच्छेद 370 समाप्त किए जाने के बाद कश्मीर में हिंसापूर्ण घटनाएं होने का दावा किया था. इस पर मलिक ने उन्हें कश्मीर आकर हालात देखने के लिए आमंत्रित किया.

बीते हफ्ते कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद के साथ-साथ भाकपा और माकपा के महासचिवों डी.राजा और सीताराम येचुरी को हवाईअड्डे पर पहुंचने के बाद उन्हें श्रीनगर में प्रवेश की अनुमति नहीं दी गई थी. उन्हें लोगों और पार्टी नेताओं से मिलने की अनुमति दिए बगैर दिल्ली भेज दिया गया था.

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