PoK में लॉन्चपैड पर आतंकियों का जमावड़ा, हर रात होती है घुसपैठ की कोशिशः सेना

पीओके में टेरर लॉन्चपैड में खूंखार आतंकियों का जमावड़ा लग गया है. अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद से पाकिस्तानी आतंकी रोजाना रात को घुसपैठ की कोशिश कर रहे हैं, जिसको भारतीय सेना लगातार विफल कर रही है. इसके अलावा कश्मीर के कुछ इलाकों में अनुच्छेद 370 को हटाए जाने के बाद से कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की गई है. वहीं, एलओसी से सटे इलाकों में 370 के हटाए जाने को लेकर कोई खास असर देखने को नहीं मिल रहा.

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  • अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद पीओके में टेरर लॉन्चपैड में खूंखार आतंकियों का जमावड़ा
  • एलओसी से सटे सीमावर्ती इलाकों में अनुच्छेद 370 हटाए जाने का नहीं दिख रहा असर

नई दिल्ली।  मोदी सरकार ने अनुच्छेद 370 को हटाते हुए जम्मू-कश्मीर के विशेष राज्य का दर्जा खत्म कर दिया, जिसका असर दिखने लगा है. वहीं, मोदी सरकार के इस कदम से पाकिस्तान बौखलाया हुआ है और सीमा पार से लगातार आतंकी घुसपैठ कराने की कोशिश कर रहा है. हालांकि भारतीय सेना की चौकसी के चलते खूंखार आतंकी घुसपैठ करने में नाकाम हो रहे हैं.

श्रीनगर स्थिति 15 कोर के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल केजेएस ढिल्लन ने बताया कि पीओके में टेरर लॉन्चपैड में खूंखार आतंकियों का जमावड़ा लग गया है. अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद से पाकिस्तानी आतंकी रोजाना रात को घुसपैठ की कोशिश कर रहे हैं, जिसको भारतीय सेना लगातार विफल कर रही है. हालांकि सीमा पर सीजफायर का उल्लंघन बंद है.

ढिल्लन ने कहा कि पाकिस्तान क्या-क्या कर रहा है, इसकी हमको पूरी जानकारी है. सीमा पर पाकिस्तान की हर नापाक हरकत का मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा. इसके लिए भारतीय सेना पूरी तरह से तैयार है.

एलओसी से सटे इलाकों में पाकिस्तानी गोलाबारी का खौफ

पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) से सटे जम्मू-कश्मीर के इलाकों में अनुच्छेद 370 के हटाए जाने का कोई खास असर देखने को नहीं मिल रहा है. नियंत्रण रेख (एलओसी) से सटे इलाकों के लोगों को 370 के हटने या न हटने से कोई लेना-देना नहीं है. नियंत्रण रेखा (एलओसी) से सटे तंगधार इलाके में लोगों को सिर्फ पाकिस्तान की नापाक हरकत और गोलाबारी का डर सता रहा है.

सीमावर्ती इलाकों में 370 हटाने का नहीं दिखा असर

तंगधार में सुरक्षा कर्मियों की तैनाती भी ज्यादा नहीं देखने को मिल रही है. वहीं, जम्मू-कश्मीर के दूसरे हिस्सों में भारी संख्या में सुरक्षा बलों की तैनाती की गई है. कश्मीर घाटी के कुछ हिस्सों में छिटपुट हिंसा की खबरें भी आई हैं. हालांकि एलओसी से सटे सीमावर्ती इलाकों में शांति का माहौल है. पहले की तरह ही बाजार खुलते हैं और लोग खरीददारी करते हैं. तंगधार इलाका गुज्जर, बकरवाल और पहाड़ी लोगों की आबादी वाला है. ये लोग ज्यादातर कश्मीर घाटी से पूरी तरह से कटे रहते हैं.

एक अधिकारी ने बताया कि कश्मीर घाटी की हलचल का पीओके से सटे इलाकों पर कोई असर नहीं है. तंगधार इलाके के स्थानीय लोगों का कहना है कि उन लोगों की कश्मीर से अलग पहचान है. उनकी अपनी स्थानीय बोली है, जो पंजाबी से काफी हद तक मिलती-जुलती है. यहां के लोगों की सबसे बड़ी समस्याएं पाकिस्तान के गोलाबारी का खतरा, गरीबी और सर्दी के मौसम में कश्मीर घाटी से संपर्क टूटना हैं. यहां की आबादी की राजनीति में हिस्सेदारी भी बेहद कम है.

ठंडी के मौसम में घाटी से कट जाते हैं सीमावर्ती इलाके

ठंडी के मौसम में बर्फबारी के चलते इस इलाके का कश्मीर घाटी से संपर्क टूट जाता है. यह इलाका बेहद पिछड़ा हुआ है. जब आजतक ने तंगधार में दुकान चलाने वाले मोहम्मद मकबूल से अनुच्छेद 370 को लेकर बातचीत की गई, तो उन्होंने कहा कि अनुच्छेद 370 को हटाए जाने की उनको कोई जानकारी नहीं है. उनका कहना है कि अनुच्छेद 370 का हमारे जीवन पर कोई असर नहीं है. हमको सिर्फ पाकिस्तान के गोलाबारी से सुरक्षा चाहिए. हम सरकार से अपील करते हैं कि वो यहां बंकर बनवाए और पाकिस्तानी गोलाबारी से हमारी सुरक्षा करे.

सीमावर्ती इलाकों के लोगों की मांग- बंकर बनाए सरकार

30 जून को पाकिस्तान ने तंगधार के इलाके में भारी गोलाबारी की थी. इसमें कई इमारतों को नुकसान पहुंचा था और कई लोग घायल हो गए थे. हालांकि इस बार की गोलाबारी में किसी की मौत की खबर नहीं है. स्थानीय लोगों का कहना है कि उन्होंने इतनी ज्यादा गोलाबारी इससे पहले दशकों से नहीं देखी थी.

इसके बाद भारतीय सेना ने पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब दिया था, जिसमें कई पाकिस्तानी सैनिक मारे गए थे. हालांकि यहां के लोगों को हमेशा पाकिस्तान की गोलाबारी का डर सताता रहता है. यहां के लोग लंबे समय से सरकार से बंकर बनवाने की मांग कर रहे हैं. सूत्रों के मुताबिक एलओसी से सटे इलाकों में 3000 बंकर बनाने की मंजूरी मिल गई है और जल्द ही इनका काम शुरू हो जाएगा.

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