कश्मीर पर फैसले से बौखलाया पाक- भारतीय राजनयिक को निकाला, अपने पैरों में आप ही कुल्हाड़ी मार द्विपक्षीय व्यापार भी किया बंद

जम्मू कश्मीर पर भारत के फैसले से पाकिस्तान बौखलाया हुआ है. न्यूज एजेंसी AFP की रिपोर्ट के अनुसार पाकिस्तान ने इसे लेकर भारतीय राजनयिक को निकाल दिया है.

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नई दिल्ली : जम्मू कश्मीर पर भारत के फैसले से पाकिस्तान बौखलाया हुआ है. न्यूज एजेंसी AFP की रिपोर्ट के अनुसार पाकिस्तान ने इसे लेकर भारतीय राजनयिक को निकाल दिया है. पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने टीवी पर एक टिप्पणी की, ‘हम अपने उच्चायुक्त को दिल्ली से वापस बुलाएंगे और भारतीय उच्चायुक्त को वापस भेज रहे हैं.’ इसके साथ-साथ पाकिस्तान ने भारत के साथ द्विपक्षीय व्यापार को भी निलंबित कर दिया है. पाकिस्तान ने यह ‘धमकी’ भी दी है कि वह मामले को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में ले जाएगा. बता दें कि मोदी सरकार ने जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 को हटाया है. इसके साथ ही जम्मू-कश्मीर को मिला विशेष राज्य का दर्जा भी खत्म हो है. वहीं, इसके अलावा जम्मू कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों में भी बांटा गया है. अब जम्मू कश्मीर और लद्दाख दो केंद्र शासित प्रदेश बनाए जाएंगे.

  • पाकिस्तान की यह घोषणा इमरान खान की उस चेतावनी के एक बाद हुई है, जिसमें उन्होंने कहा था कि जम्मू कश्मीर पर भारत के उठाए गए कदम के ‘गंभीर नतीजे’ होंगे. न्यूज एजेंसी ANI के मुताबिक, इस्लामाबाद में प्रधानमंत्री आवास पर इमरान खान ने राष्ट्रीय सुरक्षा समिति की बैठक की. इस बैठक में तीन अहम कार्रवाई का फैसला लिया गया.
  • बैठक के बाद जारी बयान में बताया गया कि प्रधानमंत्री इमरान खान की अध्यक्षता में हुई बैठक में कुल 5 फैसले लिए गए हैं. पहला फैसला यह है कि भारत के साथ राजनयिक संबंध को घटाया जाएगा. दूसरा फैसला भारत के साथ द्विपक्षीय व्यापार को सस्पेंड करने का है. तीसरा फैसला भारत के साथ द्विपक्षीय रिश्तों और व्यवस्थाओं (समझौतों) की समीक्षा करने का है. चौथा फैसला मामले को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में ले जाने का है और पांचवां फैसला 14 अगस्त को ‘कश्मीरियों के साथ एकजुटता’ जाहिर करने का लिया गया है.

क्‍या है धारा 370?  जानिए इसके बारे में सबकुछ

आर्टिकल 370 है क्‍या और इसके हटाने के क्‍या मायने है? धारा 370 के प्रावधानों के अनुसार, संसद को जम्मू-कश्मीर के बारे में रक्षा, विदेश मामले और संचार के विषय में कानून बनाने का अधिकार है लेकिन किसी अन्य विषय से सम्बन्धित कानून को लागू करवाने के लिए केन्द्र को राज्य सरकार का अनुमोदन चाहिए. इसे आप इस तरह समझ सकते हैं:


  • इसी विशेष दर्जे के कारण जम्मू-कश्मीर राज्य पर संविधान की धारा 356 लागू नहीं होती.
  • इस कारण राष्ट्रपति के पास राज्य के संविधान को बर्खास्‍त करने का अधिकार नहीं है.
  • जम्मू-कश्मीर के नागरिकों के पास दोहरी नागरिकता (भारत और कश्मीर) होती है.
  • भारत की संसद जम्मू-कश्मीर के सम्बन्ध में अत्यन्त सीमित क्षेत्र में कानून बना सकती है.
  • जम्मू-कश्मीर का राष्ट्रध्वज अलग है. वहां के नागरिकों द्वारा भारत के राष्ट्रीय ध्वज का सम्मान करना अनिवार्य नहीं है.
  • इसके तहत भारतीय नागरिक को विशेष अधिकार प्राप्त राज्यों के अलावा भारत में कहीं भी भूमि खरीदने का अधिकार है. यानी भारत के दूसरे राज्यों के लोग जम्मू-कश्मीर में जमीन नहीं खरीद सकते.
  • भारतीय संविधान की धारा 360 जिसके अन्तर्गत देश में वित्तीय आपातकाल लगाने का प्रावधान है, वह भी जम्मू-कश्मीर पर लागू नहीं होती.
  • जम्मू-कश्मीर की विधानसभा का कार्यकाल 6 वर्षों का होता है जबकि भारत के अन्य राज्यों की विधानसभाओं का कार्यकाल 5 वर्ष का होता है.
  • भारत के उच्चतम न्यायालय के आदेश जम्मू-कश्मीर के अन्दर मान्य नहीं होते हैं.
  • जम्मू-कश्मीर की कोई महिला अगर भारत के किसी अन्य राज्य के व्यक्ति से विवाह कर ले तो उस महिला की नागरिकता समाप्त हो जाएगी. इसके विपरीत अगर वह पकिस्तान के किसी व्यक्ति से विवाह कर ले तो उसे भी जम्मू-कश्मीर की नागरिकता मिल जाएगी.
  • धारा 370 की वजह से कश्मीर में आरटीआई और सीएजी (CAG) जैसे कानून लागू नहीं होते हैं.
  • कश्मीर में महिलाओं पर शरियत कानून लागू है.
  • कश्मीर में पंचायत को अधिकार प्राप्त नहीं है.
  • धारा 370 की वजह से ही कश्मीर में रहने वाले पाकिस्तानियों को भी भारतीय नागरिकता मिल जाती है.

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