अयोध्या सुनवाई का दूसरा दिन: SC ने पूछा- क्या कभी ये विवाद उठा कि जीसस बेथलेहम में पैदा हुए थे या नहीं?

50 के दशक में विवादित स्थान पर सरकार के नियंत्रण से पहले उसे अपने पास बताने वाला निर्मोही अखाड़ा आज कोई सबूत नहीं दे पाया. कोर्ट ने निर्मोही के वकील को सबूत लाने के लिए समय देते हुए रामलला विराजमान के वकीलों को जिरह करने के लिए कहा.

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नई दिल्ली: अयोध्या मामले पर सुप्रीम कोर्ट में चल रही सुनवाई के दूसरे दिन आज रामलला विराजमान की तरफ से वरिष्ठ वकील के परासरन ने जिरह शुरू की. परासरन ने कहा, “भगवान राम के समय में लिखी गई बाल्मीकि रामायण में उनका जन्म अयोध्या में हुआ बताया गया है. जन्म का वास्तविक स्थान क्या था, इसको लेकर हजारों सालों के बाद सबूत नहीं दिए जा सकते. लेकिन करोड़ों लोगों की आस्था है कि जहां अभी रामलला विराजमान हैं, वही उनका जन्म स्थान है. इस आस्था को महत्व दिया जाना चाहिए.”

 

कोर्ट का दिलचस्प सवाल
परासरण की इन दलीलों के बीच ही 5 जजों की बेंच के सदस्य जस्टिस एस ए बोबडे ने सवाल किया, “क्या कभी किसी और धार्मिक हस्ती के जन्म स्थान का मसला दुनिया की किसी कोर्ट में उठा है? क्या कभी इस बात पर बहस हुई कि जीसस क्राइस्ट का जन्म बेथलेहम में हुआ था या नहीं? परासरन ने कहा, “मुझे इसके बारे में जानकारी नहीं है. मैं ये पता करके आपको बताऊंगा?”

 

दस्तावेज नहीं दे पाया निर्मोही अखाड़ा
50 के दशक में विवादित स्थान पर सरकार के नियंत्रण से पहले उसे अपने पास बताने वाला निर्मोही अखाड़ा आज कोई सबूत नहीं दे पाया. कोर्ट ने अखाड़े के वकील से कहा, “आप मंदिर पर सदियों से अपना नियंत्रण होने की बात कह रहे हैं. सिविल विवाद के नियमों के मुताबिक आपको इसके लिए सबूत पेश करने चाहिए.” निर्मोही के वकील सुशील जैन ने कहा, “1982 में एक डकैती हुई थी. जिसके चलते सारे दस्तावेज गायब हो गए हैं. हमें इन्हें जुटाने में समय लगेगा. कोर्ट ने निर्मोही के वकील को सबूत लाने के लिए समय देते हुए रामलला विराजमान के वकीलों को जिरह करने के लिए कहा.

 

परासरन से बैठकर दलीलें रखने का आग्रह
रामलला विराजमान की तरफ से दलीलें रखने के लिए 92 साल के वरिष्ठ वकील के परासरन खड़े हुए. बेंच की अध्यक्षता कर रहे चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने पूर्व अटॉर्नी जनरल परासरन से कहा, “आप चाहें तो बैठकर अपनी बात रख सकते हैं.” लेकिन परासरन में विनम्रता से इस आग्रह को ठुकरा दिया. उन्होंने कहा, “वकीलों के लिए तय नियम और अदालत की परंपराएं मुझे इसकी इजाजत नहीं देती हैं. मुझे उम्र की परवाह नहीं है. मैं खड़े होकर ही अपनी बात रखना चाहता हूं. आज करीब 2 घंटे तक परासरन ने मंदिर पर हिंदुओं के दावे को सही बताते हुए दलीलें रखीं. कल भी उनकी जिरह जारी रहेगी.

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