मोदी कैबिनेट की बैठक से पहले कश्मीर में सर्वदलीय मीटिंग, 35A पर हुई ये बात

बैठक के बाद फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि हिंदुस्तान और पाकिस्तान को ऐसा कोई कदम नहीं उठाना चाहिए जिससे दोनों मुल्कों में तनाव बढ़े.

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नई दिल्ली: कश्मीर में तनाव के बीच नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता और जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला के आवास पर रविवार को एक सर्वदलीय बैठक हुई. बैठक में पीपल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती भी शामिल हुईं. यह बैठक जम्मू कश्मीर के मौजूदा हालात पर केंद्रित थी जिसमें विशेष राज्य के दर्जे पर चर्चा की गई. बैठक के बाद फारूक अब्दुल्ला ने मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि किसी सूरत में जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा नहीं छीना जाना चाहिए.

फारूक अब्दुल्ला ने मीडिया से कहा कि हम हिंदुस्तान के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री से अपील करते हैं कि ऐसा कोई कदम न उठाया जाए जिससे घाटी के अमन चैन में खलल पड़े. उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर में सेना की तैनाती से लोगों में डर है और ऐसा पहले कभी नहीं हुआ कि अमरनाथ यात्रा रद्द की गई हो. हालांकि उन्होंने घाटी के लोगों से शांति के लिए सब्र रखने की सलाह दी. फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि सभी दलों ने एकसुर में फैसला किया कि जम्मू कश्मीर और लद्दाख के विशेष दर्जे, उसकी पहचान और स्वायत्तता को बचाने के लिए एकजुट रहेंगे, चाहे किसी प्रकार के हमले या और कुछ भी हो.

फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा हर हाल में बचाए रखा जाना चाहिए. उन्होंने विशेष दर्जा बचाए रखने के लिए सभी विपक्षी पार्टियों को एक साथ आने की अपील की. अब्दुल्ला ने कहा कि हिंदुस्तान और पाकिस्तान को ऐसा कोई कदम नहीं उठाना चाहिए जिससे दोनों मुल्कों में तनाव बढ़े. नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष ने यह भी कहा कि कश्मीर के लिए यह सबसे बुरा वक्त है.

जम्मू कश्मीर (Jammu Kashmir) को लेकर चल रहे कई कयासों के बीच पूर्व मुख्यमंत्री और पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती (Mehbooba Mufti) ने सर्वदलीय बैटक बुलाई है. पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ़्ती (Mehbooba Mufti) ने कहा कि हमें कोई नहीं बता रहा है कि क्या होने वाला है?

दूसरी ओर, केंद्र सरकार ने एडवाइजरी जारी करते हुए कहा है कि सभी पयर्टक और तीर्थयात्री यथासंभव जल्द से जल्द जम्मू कश्मीर छोड़ दें. अमरनाथ यात्रा 28 जून से शुरू हुई थी. इसका समापन 15 अगस्त को होना था लेकिन इसे बीच में ही समाप्त कर दिया गया है. राज्य के लोगों का कहना है कि अमरनाथ यात्रा को पहले ही समाप्त करने से कश्मीर घाटी में अफरातफरी का माहौल है, और लोग बुरी परिस्थितियों के लिए जरूरी चीजों की तेजी से खरीदारी कर रहे हैं. फारूक अब्दुल्ला ने भी अपने संबोधन में इस बात का जिक्र किया.

उधर केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने रविवार को जम्मू कश्मीर में बढ़ते तनाव के बीच एक उच्चस्तरीय सुरक्षा बैठक की अध्यक्षता की. बैठक में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल, गृह सचिव राजीव गौबा, खुफिया ब्यूरो (आईबी) के प्रमुख अरविंद कुमार, रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (रॉ) के प्रमुख सामंत कुमार गोयल और गृह मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों ने हिस्सा लिया. इसके बाद सोमवार सुबह पीएम नरेंद्र मोदी के आवास पर दिल्ली में कैबिनेट की बैठक होने जा रही है. अटकलें ये भी हैं कि इस बैठक में कोई बड़ा फैसला लिया जा सकता है. इससे पहले ही कश्मीर के सभी दलों ने बैठक कर अपनी मंशा साफ कर दी है.

ऐसे में जम्मू-कश्मीर की सियासी पार्टियों और आवाम को साथ मिलकर हालात का मुक़ाबला करना है. साथ ही उन्होंने बताया कि चूंकि किसी होटल में हमें बैठक की इजाज़त नहीं मिल रही है, इसलिए आज शाम हम घर पर ही सर्वदलीय बैठक करेंगे. महबूबा मुफ्ती (Mehbooba Mufti) ने कहा कि साथ मिलकर आफत का मुकाबला करें.

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महबूबा मुफ्ती ने ट्वीट कर केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि यात्रियों, पर्यटकों, कामगारों, छात्रों और क्रिकेटरों को कश्मीर से जाने को कहा गया है. कश्मीरियों को राहत देने की कोशिश नहीं की जा रही है. कहां गई इंसानियत, कश्मीरियत और जम्हूरियत?

बता दें कि इससे पहले महबूबा मुफ्ती ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अपील की थी कि वह राज्य के विशेष दर्जें के साथ छेड़छाड़ ना करें. उन्होंने कहा कि ऐसे कदम के नतीजे अच्छे नहीं होंगे. महबूबा ने अन्य पार्टियों के नेताओं के साथ शुक्रवार रात को राज्यपाल सत्यपाल मलिक से मुलाकात की थी और उनसे उन ‘अफवाहों को खारिज करने का अनुरोध किया था, जिससे घाटी में भय का माहौल पैदा हो गया है.’ उन्होंने कहा कि ऐसा लगता है कि अपनी विशिष्ट पहचान की रक्षा के लिए जो कुछ भी बाकी बचा है, उसे भारत, जम्मू कश्मीर की जनता से ‘बलपूर्वक छीनने’ की तैयारी में है.

उधर, जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने एक बार णफिर राज्य के हालात को सामान्य बताया है. उन्होंने कहा है कि अफ़वाहें फैलाई जा रही हैं, जिसपर ध्यान देने की ज़रूरत नहीं है. जम्मू कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने शनिवार को राज्य के विशेष दर्जे के बारे में चर्चा करते हुए कहा कि चिंता की कोई बात नहीं है. उनकी यह टिप्पणी उमर अब्दुल्ला के साथ हुई मुलाकात के कुछ घंटों के बाद आई थी.

नेशनल कांफ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने अंदेशा जताया था कि केंद्र सरकार जम्मू कश्मीर राज्य के विशेष दर्जे को लेकर बड़ा कदम उठाने की तैयारी में है. बता दें कि उमर अब्दुल्ला ने कहा था कि जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने उनकी पार्टी को भरोसा दिलाया दिया है कि संविधान के ‘अनुच्छेद 370 और 35 ए’ को रद्द किए जाने या राज्य को तीन हिस्सों में बांटने जैसा कदम उठाने की कोई योजना नहीं है. हालांकि, जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि वह इन मुद्दों पर सोमवार को संसद में केंद्र का आश्वासन चाहते हैं क्योंकि जम्मू कश्मीर पर राज्यपाल अंतिम प्राधिकार नहीं हैं.

 

 

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