राजस्थान: पूर्व मंत्रियों को 2 महीने में खाली करना होगा सरकारी आवास, नहीं तो हर दिन देने होंगे 10 हजार रुपये

राजस्थान विधानसभा में आज 'राजस्थान मंत्री वेतन संशोधन विधेयक 2019' को पारित कर दिया गया. इस विधेयक में कहा गया है कि पूर्व मंत्रियों को दो महीने में सरकारी आवास खाली करना होगा नहीं तो हर दिन 10 हजार रुपये देने होंगे.

 

जयपुर: राजस्थान में अगर पूर्व मंत्री आवंटित सरकारी मकान दो महीने की निर्धारित अवधि में खाली नहीं करते हैं तो उन्हें उस मकान में रहने के लिए हर दिन 10,000 रुपये देने होंगे. यही नहीं, सरकार अब उनसे सरकारी मकान जबरदस्ती भी खाली करवा सकती है. राजस्थान विधानसभा ने ‘राजस्थान मंत्री वेतन संशोधन विधेयक 2019’ को विपक्ष के शोर-शराबे के बीच ध्वनिमत से पारित कर दिया.

 

संसदीय कार्यमंत्री शांति धारीवाल ने सदन को बताया कि इस विधेयक में सरकारी आवास जबरदस्ती खाली करवाने का भी प्रावधान है. विधेयक 22 जुलाई को सदन में पेश किया गया था. अब तक पूर्व मंत्रियों से उन्हें आवंटित आवास में निर्धारित समयावधि के बाद रहने पर अधिकतम 5000 रुपये प्रतिमाह लिया जाता था. धारीवाल ने बताया कि मंत्री का दर्जा प्राप्त सभी लोग इस विधेयक के दायरे में आते हैं. नये मंत्रियों को आधिकारिक निवास जल्द से जल्द मिले यह सुनिश्चित करने के लिए यह पहल की गयी है.

 

नेता प्रतिपक्ष ने 10 हजार जुर्माने को बताया बहुत ज्यादा

 

इससे पहले विधेयक पर हुई बहस में भाग लेते हुए नेता प्रतिपक्ष गुलाब चंद कटारिया ने कहा कि पूर्व विधायकों से सरकारी आवास खाली करवाया जाना चाहिए, लेकिन सरकार को मकान खाली करने की समयसीमा पर भी विचार करना चाहिए. कटारिया ने 10,000 रुपये प्रति दिन के जुर्माने को भी बहुत ज्यादा बताया.

 

उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने आरोप लगाया कि यह संशोधन लाने के पीछे सरकार का कोई छुपा हुआ एजेंडा है. बीजेपी के विधायक वासुदेव देवनानी व किरण महेश्वरी ने भी 10,000 रुपये प्रति दिन जुर्मान पर आपत्ति जताई.

 

शोरशराबे के बीच ध्वनि मत से पारित हुआ विधेयक

 

निर्दलीय विधायक संयम लोढ़ा ने भी इस बहस में भाग लिया. आसन ने लोढ़ा से अपनी बात निर्धारित समय में पूरी करने को कहा. लेकिन लोढ़ा बोलते रहे और बीजेपी के विधायकों ने नाराजगी जताते हुए बोलना शुरू कर दिया. इसी शोरशराबे के बीच विधेयक को ध्वनि मत से पारित कर दिया गया. विधेयक में कहा गया है, “यह देखने में आया है कि पूर्व मंत्री अपने आवंटित आधिकारिक आवास को तय समय में खाली नहीं करते. इससे नये मंत्रियों को आवास आवंटित करने में दिक्कत होती है.”

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