मनी लॉन्ड्रिंग मामले में ED ने फारूक अब्दुल्ला से की पूछताछ, NC प्रमुख ने कहा- मैंने कुछ भी गलत नहीं किया

जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री चंडीगढ़ में ईडी के दफ्तर में पेश हुए और मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम के तहत अपना बयान दर्ज कराया. फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि उन्होंने कुछ भी गलत नहीं किया है.

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श्रीनगर: जम्मू-कश्मीर क्रिकेट एसोसिएशन में कथित आर्थिक अनियमितता से संबंधित मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में बुधवार को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की पूछताछ की पृष्ठभूमि में नेशनल कॉन्फ्रेंस के प्रमुख फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि उन्होंने कुछ भी गलत नहीं किया है.

 

जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री अब्दुल्ला चंडीगढ़ में केंद्रीय जांच एजेंसी के दफ्तर में पेश हुए और मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम के तहत अपना बयान दर्ज कराया. ईडी की पूछताछ के बाद अब्दुल्ला ने कहा, ”मैंने कुछ भी गलत नहीं किया है. मैं जांच के लिए तैयार हूं.” ईडी ने सीबीआई की एक प्राथमिकी और आरोप पत्र को ध्यान में रखते हुए मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज किया था.

 

अब्दुल्ला और तीन अन्य के खिलाफ बीते साल जुलाई में आरोप पत्र दायर किया गया था. आरोप पत्र उस अनुदान से 43 करोड़ रुपये से अधिक की राशि के कथित गबन के लिए दायर किया गया था जो भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) द्वारा 2002-2011 के बीच जम्मू-कश्मीर क्रिकेट संघ (जेकेसीए) को राज्य में खेल को बढ़ावा देने के लिए दिया गया था.

साल 2015 में जम्मू कश्मीर हाईकोर्ट ने जम्मू कश्मीर क्रिकेट एसोसिएशन (जेकेसीए) में कथित 113 करोड़ रुपए के घोटाले का मामला सीबीआई को सौंपा था. हाईकोर्ट ने कहा था कि जम्मू कश्मीर की पुलिस कथित गबन के इस केस में सही ढंग से जांच नहीं कर पा रही है. कोर्ट ने जांच के उचित कारण गिनाते हुए और सीबीआई को जांच सौंपते हुए कहा था कि जेकेसीए के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला पूरी तरह से एक सियासी शख्सियत हैं और केंद्र में मंत्री और राज्य में मुख्यमंत्री रह चुके हैं.

फारूक अब्दुल्ला पर आरोप है कि उन्होंने दो विवादित प्रस्तावों को मंजूरी दी. एक आरोपी अहसान मिर्जा के हाथों में वित्तीय अधिकार दिए गए जिसके मातहत जेकेसीए के फर्जी अकाउंट से लेनदेन की गई. 2011 चुनाव संपन्न होने और ट्रेजरर पद से हटाए जाने के बाद भी वित्तीय लेनदेन चलती रही. कोर्ट कह चुका है कि इस फर्जी फंड की निकासी बीसीसीआई मुंबई से हुई है इसलिए क्राइम ब्रांच को जांच में दिक्कतें पेश आएंगी क्योंकि जांच क्षेत्र का दायरा उस राज्य तक सीमित है. सीबीआई ने इस केस में अन्य कई लोगों से पूछताछ की है.

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