इन आतंकियों के बच्चों ने की है IIT से पढ़ाई, मल्टिनेशनल कंपनियों में कर रहे हैं काम

मनोवैज्ञानिक बताते हैं कि अपराध जगत से जुड़े लोगों के बच्चों को सम्मानित जिंदगी जीने में बड़ी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है. ऐसे बच्चे अपने पैरेन्ट्स के बिना बड़े होते हैं, कई बार उन्हें अच्छी पढ़ाई नहीं मिलती. लेकिन इसके बावजूद ऐसे कई बच्चों ने मिसाल पेश की है.

0 900,522

 

नई दिल्ली। गलत रास्ते पर चलने वाले इंसान की जिंदगी ही बर्बाद नहीं होती, उसके काम का नतीजा परिवार को भी भुगतना पड़ता है. आतंकवाद, नक्सलवाद और अपराध के रास्ते पर निकल पड़ने वालों के परिवार की जिंदगी नर्क हो जाती है. लेकिन हमेशा ऐसा नहीं होता है. ऐसे कई उदाहरण हैं, जिसमें आतंकवादियों, नक्सलियों और खतरनाक अपराधियों के बच्चों ने अपनी नई राह चुनी और कामयाब हुए. कई मिसाल ऐसे मिलते हैं, जिसमें खूंखार अपराधियों के बच्चों ने ईमानदार और सम्मानित जिंदगी को चुना और वो ऐसा करने में कामयाब रहे. आइए जानते हैं कुछ ऐसे ही लोगों के बारे में.

हाल ही में पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या के दोष में उम्रकैद की सजा काट रही नलिनी की बेटी काफी चर्चा में रही. नलिनी को अपनी बेटी हरिद्रा श्रीहरन की शादी में शामिल होने के लिए 30 दिन की पेरोल मिली है. पेरोल पर रिहा हुई निलिनी की खबर जब मीडिया में आई तो पता चला कि जिस बेटी की शादी के लिए वो जेल से बाहर आई है, उसने विदेश में ऊंची शिक्षा हासिल की है. निलिनी और मुरुगन की बेटी हरिद्रा श्रीहरन ने श्रीलंका में शुरुआती पढ़ाई के बाद लंदन में रहकर पढ़ाई की है.

 

पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या की दोषी नलिनी की बेटी ने की है विदेश में पढ़ाई

 

iit to multinational companies these children of terrorists criminals naxalites are leading a dignified life

नलिनी श्रीहरन ने यूके की ग्लासगो यूनिवर्सिटी से पढ़ाई की है. उसने बॉयो मेडिसिन की पढ़ाई की है. हरिद्रा श्रीहरन का जन्म वेल्लोर की जेल में हुआ था, जब नलिनी पर राजीव गांधी हत्याकांड का ट्रायल चल रहा था. हरिद्रा ने अपने बचपन के 6 साल अपनी मां नलिनी के साथ जेल में ही बिताए थे. जब हरिद्रा को अपने मां-बाप के अपराध की गंभीरता का अंदाजा हुआ तो जेल में मिलने के दौरान उसने अपने पैरेन्ट्स से पूछा भी था- कि आखिर उन्होंने ऐसा रास्ता क्यों चुना. हालांकि हरिद्रा ने अपने इस अतीत के बावजूद अच्छी पढ़ाई करके अपना अलग मुकाम बनाया है.

 

अफजल गुरू के बेटे ने हासिल किए 95 फीसदी नंबर

iit to multinational companies these children of terrorists criminals naxalites are leading a dignified life

अफजल गुरू का नाम आपने सुना होगा. संसद हमले के दोषी अफजल गुरू को फांसी की सजा दी गई. आतंकवाद का चेहरा बन चुके अफजल गुरू के बेटे गालिब गुरू ने अपने पिता से अलग पहचान बनाने की कोशिश में चर्चित हुआ है. गालिब गुरू हाल में उस वक्त चर्चा में आया, जब उसने 10वीं की परीक्षा में 95 फीसदी नंबर हासिल किए. जम्मू कश्मीर बोर्ड से इतने अच्छे मार्क्स लाने के बाद पूरी दुनिया में उसकी तारीफ हुई.

कुख्यात नक्सली के बेटे ने की है IIT से पढ़ाई

देव सिंह उर्फ अरविंद झारखंड का कुख्यात नक्सली है. उसके बेटे अभिषेक राजन ने आईआईटी से पढ़ाई की है. अभिषेक राजन ने आईआईटी कानपुर से केमिस्ट्री की पढ़ाई की है. वो दो बड़ी कंपनियों में काम कर चुका है और टीम मेडिका लिमिटेड के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स में शामिल रह चुका है. नक्सली अरविंद का छोटा बेट प्रिंस पटना में कोचिंग सेंटर चलाता है.

मनोवैज्ञानिक बताते हैं कि अपराध जगत से जुड़े लोगों के बच्चों को सम्मानित जिंदगी जीने में बड़ी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है. ऐसे बच्चे अपने पैरेन्ट्स के बिना बड़े होते हैं, कई बार उन्हें समुचित पढ़ाई नहीं मिलती. हालांकि इनमें से कई विपरित परिस्थिति के बावजूद अपनी अलग पहचान बनाने में कामयाब हो जाते हैं.

वीरप्पन की बेटियों ने हासिल की है ऊंची शिक्षा

 

iit to multinational companies these children of terrorists criminals naxalites are leading a dignified life

कुख्यात चंदन तस्कर वीरप्पन पुलिस मुठभेड़ में मारा गया था. वो अपने पीछे पत्नी और दो बेटियों को छोड़ गया था. उनकी दोनों बेटियों विद्या रानी और प्रभा को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा. दोनों को हर साल अपने स्कूल बदलने पड़ते. वो स्कूल में कभी नहीं बताती कि असल में वीरप्पन उसका पिता था. हालांकि इस विपरित परिस्थिति में भी विद्या और प्रभा ने ऊंची शिक्षा हासिल की. विद्या ने इंजीनियरिंग की डिग्री ली है और प्रभा ने अंग्रेजी साहित्य में पोस्ट ग्रैजुएशन किया है.

ढाई करोड़ के इनामी नक्सली का बेटा यूएस में सॉफ्टवेयर इंजीनियर

माओवादी गणपति देश का कुख्यात नक्सली था. सरकार ने उसके सिर पर ढाई करोड़ का इनाम रखा था. उसके बेटे मुप्पला श्रीनिवास राव ने अपने पिता के काले कारनामों की परछाई अपनी जिंदगी पर नहीं पड़ने दी. उसने चित्तूर के एक इंजीनियरिंग कॉलेज से डिग्री हासिल की. हैदराबाद में एक डेवलपर के बतौर नौकरी की. फिर वो यूएस में शिफ्ट हो गया. वो शिकागो की एक ऑनलाइन मैनेजमेंट कंपनी में ऊंचे पद पर काम कर रहा है.

 

Leave A Reply

Your email address will not be published.