क्या स्पीकर के फैसले ने cको संकट से निकाल दिया है?

ऐसी उम्मीद की जा रही है कि बीजेपी सरकार आसानी से बहुमत हासिल कर लेगी, लेकिन अगले 6 महीने के अंदर 17 विधानसभा सीटों के चुनाव और उसके परिणाम पर येदियुरप्पा सरकार का भविष्य निर्भर करेगा.

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बेंगलुरु। कर्नाटक राजनीतिक संकट का अंत नजर आने लगा है. रविवार को कर्नाटक विधानसभा के अध्यक्ष केआर रमेश ने 14 अन्य असंतुष्ट विधायकों को अयोग्य घोषित कर दिया. मौजूदा राजनीतिक घटनाक्रम के बाद येदियुरप्पा सरकार के लिए सोमवार को बहुमत साबित करना आसाना हो जाएगा. ऐसी उम्मीद की जा रही है कि बीजेपी सरकार आसानी से बहुमत हासिल भी कर लेगी, लेकिन अगले 6 महीने के अंदर 17 विधानसभा सीटों के चुनाव और उसके परिणाम पर येदियुरप्पा सरकार का भविष्य निर्भर करेगा. इस उपचुनाव में अगर ज्यादा से ज्यादा सीट बीजेपी नहीं जीतती है तो फिर येदियुरप्पा का सीएम बने रहना मुश्किल हो जाएगा. ये वो सीटें हैं जो कांग्रेस-जेडीएस की गढ़ रही हैं.

बता दें कि राज्य में कांग्रेस-जेडीएस गंठबंधन की सरकार गिरने के दो दिन बाद ही गुरुवार को स्पीकर ने तीन बागी विधायकों को अयोग्य करार दे दिया था. कर्नाटक विधानसभा में अब अयोग्य विधायकों की संख्या बढ़कर 17 हो गई है. रविवार को अयोग्य होने वाले विधायकों में कांग्रेस के 11 और जेडीएस के तीन विधायक हैं. अध्यक्ष के इस आदेश के बाद अब सभी 17 विधायक इस विधानसभा के कार्यकाल तक चुनाव लड़ने से अयोग्य करार दे दिए गए हैं. हालांकि, सभी 17 विधायकों के पास कोर्ट जाने का विकल्प अभी भी खुला हुआ है.

17 जेडीएस और कांग्रेस विधायकों को अयोग्य घोषित करने के स्पीकर के फैसले से वास्तव में बीजेपी को फायदा हुआ है. येदियुरप्पा के पास अब 105 विधायकों की संख्या हो गई है और बहुमत भी उनके साथ है. कर्नाटक में कुल 225 विधानसभा सीटें हैं. विधानसभा चुनाव 224 सीटों पर होता है. 17 विधायकों के अयोग्य करार दिए जाने के बाद कर्नाटक विधानसभा में सीटों की संख्या 207 हो जाती है. इस लिहाज से 104 विधायक और एक आरक्षित सीट मिलाकर 105 सीटों का जादुई आंकाड़ा सत्ता हासिल करने के लिए अब जरूरी होगा.

रविवार को कर्नाटक विधानसभा के अध्यक्ष के आर रमेश कुमार ने मीडिया से बात करते हुए कहा, ‘उनकी पोस्ट के कारण जिस तरह से उनके सहयोगी उन पर दबाव डाल रहे थे, उसने उन्हें डिप्रेशन में डाल दिया. मैंने वादा किया था कि मैं कुछ दिनों में निर्णय ले लूंगा. मैं समय-सीमा का सम्मान कर रहा था. यह ड्रामा या हेरफेर नहीं है, मैं सज्जन की तरह व्यवहार कर रहा हूं.’

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