मुंबई. बॉम्बे हाईकोर्ट ने टाटा सन्स के पूर्व चेयरमैन रतन टाटा, मौजूदा चेयरमैन एन चंद्रशेखरन और 8 निदेशकों के खिलाफ आपराधिक मानहानि का केस सोमवार को रद्द कर दिया। वाडिया ग्रुप के चेयरमैन नुस्ली वाडिया ने 2016 में मजिस्ट्रेट कोर्ट में मुकदमा दायर किया था। दिसंबर 2018 में अदालत ने रतन टाटा और अन्य लोगों को नोटिस भी जारी किए थे। रतन टाटा समेत अन्य ने मामले को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी।
टाटा ग्रुप की कंपनियों के शेयरधारकों ने वाडिया के खिलाफ वोटिंग की थी
- वाडिया का कहना था कि 24 अक्टूबर 2016 को सायरस मिस्त्री को टाटा सन्स के चेयरमैन पद से हटाने के बाद रतन टाटा और टाटा ग्रुप के बाकी लोगों ने मेरे खिलाफ अपमानजनक शब्द कहे थे। मुझ पर मिस्त्री से मिले होने के आरोप लगाए गए थे। मैं रतन टाटा और अन्य लोगों के जवाब से संतुष्ट नहीं था। इसलिए मजिस्ट्रेट कोर्ट में केस किया।
- वाडिया 2016 में टाटा ग्रुप की इंडियन होटल्स, टीसीएस, टाटा मोटर्स और टाटा स्टील समेत अन्य कंपनियों के बोर्ड में स्वतंत्र निदेशक के तौर पर शामिल थे। दिसंबर 2016 से फरवरी 2017 के बीच हुई बैठकों में शेयरधारकों ने वाडिया के खिलाफ वोटिंग कर उन्हें बाहर कर दिया था।
- सोमवार को हाईकोर्ट में हुई सुनवाई में रतन टाटा के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने दलील रखी कि कॉरपोरेट विवाद में निराशा हाथ लगने की वजह से वाडिया ने मानहानि का केस कर दिया। वे सायरस मिस्त्री के समर्थक हैं।