प्रधानमंत्री खान के साथ सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा और खुफिया एजेंसी आईएसआई के प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल फैज हमीद भी दौरे पर आए हैं. इससे पहले पाकिस्तान में राजनयिक सूत्रों ने कहा था कि अफगान शांति प्रक्रिया, आतंकवाद एवं आतंकवादी गतिविधियों के लिए धन मुहैया कराना और पाकिस्तान को दी जाने वाली सैन्य सहायता को बहाल करने जैसे मुद्दों पर चर्चा, दौरे में अहम होगी. खान का दौरा ऐसे समय में हो रहा है जब अमेरिका और अफगान तालिबान के बीच वार्ता एक निर्णायक चरण में पहुंच गई है. तालिबान के साथ शांति वार्ता में पाकिस्तान के प्रयासों की काफी सराहना हुई है. जमात उद दावा के सरगना हाफिज सईद के खिलाफ आतंकवाद के मामले दर्ज करना जैसे कदमों को अमेरिका एवं भारत की चिताओं से निपटने के संकेत के तौर देखा गया. वह कैपिटल ‘वन एरीना’ में हजारों पाकिस्तानी-अमेरिकियों की सभा को रविवार को संबोधित करने वाले हैं. इसके अलावा 23 जुलाई को वह यूएस इंस्टीट्यूट ऑफ पीस के थिंक टैंक से बात करेंगे.

प्रधानमंत्री बनने से पहले खान नियमित रूप से अमेरिका आया करते थे और पाकिस्तानी प्रवासियों के बीच उनका अच्छा-खासा जनाधार है. ऐसा कई दशकों बाद हुआ कि दौरे पर आए किसी पाकिस्तानी नेता का अमेरिका में रह रहे पाकिस्तान के लोगों ने इतनी बड़ी संख्या में स्वागत किया हो. इस बीच उनके यहां पहुंचने से कुछ समय पहले पाकिस्तान ने लॉबिंग करने वाली संस्था होलैंड एंड नाइट की सेवाएं ली हैं. इस संबंध में पूर्व रिपबल्किन एवं कांग्रेस सदसय टॉम रेनॉल्ड्स और अमेरिका में पाकिस्तान के राजदूत मजीद खान ने सहमति पत्र पर हस्ताक्षर किए. खान के अमेरिकी दौरे को लेकर बलोच, सिंधी और मोहाजिर समेत पाकिस्तान के कई धार्मिक अल्पसंख्यक समुदाय विरोध प्रदर्शन भी कर रहे हैं.