अमेरिका में बलूचिस्तान समर्थकों ने किया इमरान खान का विरोध, कहा- हम पर अत्याचार हो रहा है
अमेरिका के दौरे पर गए पाकिस्तान के प्रधानमंत्री को विरोध का सामना करना पड़ा. एक सभा के दौरान बलूच युवाओं ने इमरान खान का विरोध किया.
वाशिंगटनः अमेरिका पहुंचे पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान को बलूचिस्तान के समर्थकों का विरोध झेलना पड़ा. युवाओं के समूह ने इमरान खान का विरोध उस समय किया जब वह वहां एक इंडोर स्टेडियम में सभा को संबोधित कर रहे थे. युवाओं का यह समूह अपने नारों के जरिए स्वतंत्र बलूचिस्तान की मांग कर रहे थे. इमरान की इस सभा में भारी संख्या में लोग मोजूद थे. संबोधन के दौरान युवकों का समूह खड़ा हुआ और इमारन खान के विरोध में नारे लगाने लगे.
युवाओं का यह समूह बलूचिस्तानी है लेकिन फिलहाल अमेरिका में रह रहा है. अपने नारों में इन युवाओं ने कहा कि पाकिस्तान में बलूचिस्तानियों के साथ अत्याचार हो रहा है. ब्लूचिस्तान में पाकिस्तानी सुरक्षा बलों की ओर से मानवाधिकार का उल्लंघन भी किया जा रहा है.
#WATCH Baloch activists disrupt Pakistan PM Imran Khan's speech during a community event in Washington DC, USA. pic.twitter.com/S9xdXF1yt8
— ANI (@ANI) July 22, 2019
युवाओं का यह समूह मोबाइल बिलबोर्ड अभियान चलाकर अमेरिका के राष्ट्रपति से मांग की है कि पाकिस्तान से गायब हो रहे बलूचिस्तानियों को बचाया जाए. नारेबाजी में शामिल 3 लोगों को पुलिस ने पकड़ कर हॉल से बाहर कर दिया.
क्रिकेटर से नेता बने खान कतर एअरवेज की उड़ान से यहां पहुंचे और अमेरिका में पाकिस्तान के राजदूत अजद मजीद खान के आधिकारिक निवास में ठहरे हुए हैं. हवाई अड्डे पर उनके स्वागत के लिए उनके विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी मौजूद थे. काफी तादाद में वहां मौजूद पाकिस्तानी मूल के अमेरिकियों ने भी उनका स्वागत किया. गौरतलब है कि इससे पहले अमेरिका की आधिकारिक यात्रा पर आने वाले पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज शरीफ थे जो अक्टूबर 2015 में यहां आए थे. वॉशिंगटन डीसी में ठहरने के दौरान खान ट्रंप से मुलाकात करने के अलावा अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के कार्यकारी प्रमुख डेविड लिप्टन और विश्व बैंक के अध्यक्ष डेविड मालपास से भी मिलेंगे.
Protesters from Muttahida Qasmi Movement (MQM) and other minority groups held protest in Washington DC during Pakistan PM Imran Khan's visit to the United States of America. pic.twitter.com/KFPeypdsjG
— ANI (@ANI) July 22, 2019
अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ मंगलवार को उनसे मिलेंगे. ओवल ऑफिस में आमने-सामने की मुलाकात के साथ ही ट्रंप दौरे पर आए प्रतिनिधिमंडल को सोमवार को व्हाइट हाउस में दोपहर के भोजन पर बुलाएंगे. इसके अलावा वह कैपिटल हिल में सांसदों से मुलाकात करेंगे. ट्रंप के कार्यकाल के दौरान पाकिस्तान और अमेरिका के रिश्तों में तनाव बढ़ा है. अमेरिकी राष्ट्रपति ने सार्वजनिक तौर पर कहा था कि पाकिस्तान ने “झूठ एवं धोखे” के अलावा हमें कुछ नहीं दिया है. साथ ही आतंकवादी समूहों की मदद करने के लिए पाकिस्तान को मिलने वाली सुरक्षा एवं अन्य सहायता रोक दी थी.
प्रधानमंत्री खान के साथ सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा और खुफिया एजेंसी आईएसआई के प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल फैज हमीद भी दौरे पर आए हैं. इससे पहले पाकिस्तान में राजनयिक सूत्रों ने कहा था कि अफगान शांति प्रक्रिया, आतंकवाद एवं आतंकवादी गतिविधियों के लिए धन मुहैया कराना और पाकिस्तान को दी जाने वाली सैन्य सहायता को बहाल करने जैसे मुद्दों पर चर्चा, दौरे में अहम होगी. खान का दौरा ऐसे समय में हो रहा है जब अमेरिका और अफगान तालिबान के बीच वार्ता एक निर्णायक चरण में पहुंच गई है. तालिबान के साथ शांति वार्ता में पाकिस्तान के प्रयासों की काफी सराहना हुई है. जमात उद दावा के सरगना हाफिज सईद के खिलाफ आतंकवाद के मामले दर्ज करना जैसे कदमों को अमेरिका एवं भारत की चिताओं से निपटने के संकेत के तौर देखा गया. वह कैपिटल ‘वन एरीना’ में हजारों पाकिस्तानी-अमेरिकियों की सभा को रविवार को संबोधित करने वाले हैं. इसके अलावा 23 जुलाई को वह यूएस इंस्टीट्यूट ऑफ पीस के थिंक टैंक से बात करेंगे.
प्रधानमंत्री बनने से पहले खान नियमित रूप से अमेरिका आया करते थे और पाकिस्तानी प्रवासियों के बीच उनका अच्छा-खासा जनाधार है. ऐसा कई दशकों बाद हुआ कि दौरे पर आए किसी पाकिस्तानी नेता का अमेरिका में रह रहे पाकिस्तान के लोगों ने इतनी बड़ी संख्या में स्वागत किया हो. इस बीच उनके यहां पहुंचने से कुछ समय पहले पाकिस्तान ने लॉबिंग करने वाली संस्था होलैंड एंड नाइट की सेवाएं ली हैं. इस संबंध में पूर्व रिपबल्किन एवं कांग्रेस सदसय टॉम रेनॉल्ड्स और अमेरिका में पाकिस्तान के राजदूत मजीद खान ने सहमति पत्र पर हस्ताक्षर किए. खान के अमेरिकी दौरे को लेकर बलोच, सिंधी और मोहाजिर समेत पाकिस्तान के कई धार्मिक अल्पसंख्यक समुदाय विरोध प्रदर्शन भी कर रहे हैं.