रूस ने पाकिस्तान के 50,000 AK राइफल्स खरीदने के आग्रह को किया खारिज, भारत को भविष्य के लिए भी किया आश्वस्त
भारतीय खुफिया एजेंसियां पाकिस्तान के ऐसे किसी भी हरकत पर करीबी नजर रखती हैं, जब वहां की सरकार द्वारा रूस के साथ नजदीकियां बढ़ाने की कोशिशें होती हैं. अमेरिका से मिलने वाले तमाम सुविधाओं के बंद होने के बाद पाकिस्तान रूस को साधना चाहता है. यूएस ने पाकिस्तान को एफ-16 विमान देने से भी मना कर दिया था.
रूस ने पाकिस्तान के 50 हजार एके राइफल्स खरीदने के आग्रह को खारिज कर दिया है और भविष्य में भी किसी भी प्रकार के रक्षा डील नहीं करने को लेकर भारत को आश्वस्त किया है. नई पीढ़ी के कलाशिन्कोव राइफल्स को ही एके राइफल्स कहा जाता है. रूस ने भारत से कहा है कि भविष्य में भी इस तरह की कोई डील इस्लामाबाद के साथ नहीं होगा.
द प्रिंट की रिपोर्ट के मुताबिक, रूस के साथ यह डील पाकिस्तान अपने रक्षा संबंधों को प्रगाढ़ करने के लिए करना चाह रहा था. ऐसा इसलिए भी क्योंकि पाकिस्तानी सेना फिलहाल एके-56 राइफल्स का इस्तेमाल करती है जो चीन द्वारा उत्पादित किया जाता है.
एके-56 चीनी असाल्ट राइफल्स है जो एके-47 का ही अपग्रेडेड वर्जन है. जम्मू-कश्मीर और पूर्वोतर के आतकवादियों के पास एके-56 हथियार आये दिन बरामद होते रहते हैं.
भारतीय अधिकारियों के लिए यह एक सरप्राइज मूवमेंट था क्योंकि जब पाकिस्तानी सेना ऐसे राइफल्स का पहले से ही इस्तेमाल कर रही है तो फिर इस डील का मकसद क्या था.
एयर डिफेंस सिस्टम हासिल करने की ललक
भारतीय खुफिया एजेंसियां पाकिस्तान के ऐसे किसी भी हरकत पर करीबी नजर रखती हैं जब वहां की सरकार द्वारा रूस के साथ नजदीकियां बढ़ाने की कोशिश होती हैं. अमेरिका से मिलने वाले तमाम सुविधाओं के बंद होने के बाद पाकिस्तान रूस को साधना चाहता है. यूएस ने पाकिस्तान को एफ-16 विमान देने से भी मना कर दिया था.
बालाकोट एयरस्ट्राइक के बाद पाकिस्तान रूस से नए एयर डिफेंस तकनीक भी हासिल करने की कोशिशों में लगा हुआ है. रूस और पाकिस्तान के बीच 2015 में MI-35 अटैकिंग हेलिकॉप्टर की डील हुई थी, जिसकी डिलीवरी पाकिस्तान को की जा चुकी है.
बढ़ती नजदीकियां
रूस और पाकिस्तान के बीच 2016 में साझा युद्धाभ्यास भी हुआ था. भारत जब भी अमेरिका और इजराइल के ज्यादा करीब जाता है, पाकिस्तान रूस के साथ अपने संबंधों को लेकर इसे एक अवसर के रूप में लेता है.
भारत और रूस के द्विपक्षीय संबंध हाल के वर्षों में मजबूत हुए हैं. रूस से भारत एंटी-मिसाइल डिफेंस सिस्टम S-400 की खरीद कर रहा है. यह डील 5.2 बिलियन डॉलर का है. भारत अमेरिका की तरह रूस के साथ भी लॉजिस्टिक साझा करने का एग्रीमेंट साइन करने वाला है. इसके बाद युद्ध या आपात स्थिति में भारत रूसी सैनिकों के साजो-समान का इस्तेमाल कर पायेगा.