नई दिल्लीः कर्नाटक के राजनीतिक नाटक का आज भी पटाक्षेप होता नहीं दिख रहा है. आज भी फ्लोर टेस्ट नहीं होगा और अब कर्नाटक विधानसभा की कार्यवाही शाम तक के लिए बढ़ाई गई. मुख्यमंत्री एच डी कुमारस्वामी ने कहा है कि वो सोमवार को विश्वास प्रस्ताव का जवाब देंगे. इससे पहले राज्य के गवर्नर वजूभाई वाला ने सीएम को चिट्ठी लिखकर दूसरी बार विश्वास मत प्राप्त करने के लिए समयसीमा दे थी और शाम 6 बजे तक बहुमत साबित करने के लिए कहा था. इस तरह कर्नाटक में फ्लोर टेस्ट के लिए भी दूसरी डेडलाइन को भी पार कर लिया गया.
CM HD Kumaraswamy: I have respect for the Governor. But the second love letter from the Governor has hurt me. He only came to know about horse trading 10 days ago?(Shows photos of BS Yeddyurappa's PA Santosh, reportedly boarding a plane with independent MLA H Nagesh) pic.twitter.com/VIcA4TUmeI
— ANI (@ANI) July 19, 2019
हालांकि इसके बाद सीएम कुमारस्वामी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर दी और राज्यपाल के निर्देश को चुनौती दी. सीएम ने गवर्नर की बहुमत साबित करने की डेडलाइन पर सवाल उठाते हुए कहा कि राज्यपाल विधानसभा स्पीकर को आदेश नहीं दे सकते हैं. कल यानी गुरुवार को राज्यपाल ने मुख्यमंत्री को चिट्ठी लिख कर आज डेढ़ बजे तक बहुमत परीक्षण कराने को कहा था जो पूरा न होने के बाद राज्यपाल ने दूसरी डेडलाइन आज शाम 6 बजे तक की दी थी. खबर ये भी है कि राज्यपाल वजूभाई वाला केंद्र सरकार को राज्य के हालात पर रिपोर्ट भेजेंगे और ये रिपोर्ट गृह मंत्रालय को भेजी जाएगी.
कर्नाटक कांग्रेस ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर कहा कि उसके 17 जुलाई के आदेश से अपने विधायकों को व्हिप जारी करने का पार्टी का अधिकार जोखिम में पड़ गया है. कर्नाटक कांग्रस के अध्यक्ष दिनेश गुन्डू राव ने याचिका में दावा किया कि शीर्ष अदालत के आदेश से अपने विधायकों को व्हिप जारी करने का राजनीतिक दल का अधिकार कमजोर हुआ है. कर्नाटक कांग्रेस ने न्यायालय के इस आदेश पर स्पष्टीकरण देने का अनुरोध किया कि बागी विधायकों को विधान सभा की कार्यवाही में हिस्सा लेने के लिये बाध्य नहीं किया जायेगा. इसके बाद कांग्रेस ने कोर्ट से कहा कि राजनीतिक दलों को व्हिप जारी करने का अधिकार है ओर न्यायालय इसे सीमित नहीं कर सकता है.
कर्नाटक कांग्रेस अध्यक्ष दिनेश गुन्डु राव ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है और 15 बागी विधायकों को सदन में जाने के लिए बाध्य न करने के आदेश पर स्पष्टीकरण मांगा है. उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का ये आदेश संविधान के 10वें शेड्यूल के खिलाफ है. इस शेड्यूल में राजनीतिक पार्टी को व्हिप जारी करने का अधिकार दिया गया है. कोर्ट का आदेश उसके कुछ पुराने फैसलों के भी उलट है.