कर्नाटक सियासी संकट: व्हिप को निष्प्रभावी करने वाले SC के फैसले ने खराब न्यायिक मिसाल पेश की- कांग्रेस
कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि व्हिप को निष्प्रभावी और संविधान की दसवीं सूची का विस्तार करने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश ने खराब न्यायिक मिसाल पेश की है. सुरजेवाला ने कहा, ''दुखद है कि सुप्रीम कोर्ट ने पिछले पांच सालों में मोदी सरकार द्वारा लोकतांत्रिक जनादेशों को पलटने के लिए दलबदल के अभिकल्पित इतिहास और संदर्भ को नहीं समझा.''
नई दिल्ली: कांग्रेस ने कहा कि कर्नाटक के सियासी संकट पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने व्हिप को अमान्य करार दे दिया है और उन विधायकों को ‘पूर्ण संरक्षण’ दे दिया है जिन्होंने जनादेश के साथ विश्वासघात किया. उसने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले ने ‘बेहद खराब न्यायिक मिसाल’ पेश की है. सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कहा कि कर्नाटक में कांग्रेस-जेडीएस के 15 असंतुष्ट विधायकों को राज्य विधानसभा के मौजूदा सत्र की कार्यवाही में भाग लेने के लिए बाध्य ना किया जाए और उन्हें इसमें भाग लेने या ना लेने का विकल्प दिया जाए. चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि कर्नाटक विधानसभा अध्यक्ष के. आर. रमेश कुमार अपने द्वारा तय की गई अवधि के भीतर असंतुष्ट विधायकों के इस्तीफे पर फैसला लेने के लिए स्वतंत्र हैं.
SC’s order nullifying the Whip & by extension, operation of Constitution’s Xth Schedule to punish MLA’s betraying the public mandate, sets a terrible judicial precedent!
Blanket protection to MLA’s, who are driven not by ideology but by far baser concerns, is unheard-of.
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कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कई ट्वीट कर कहा कि व्हिप को निष्प्रभावी और संविधान की दसवीं सूची का विस्तार करने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश ने खराब न्यायिक मिसाल पेश की है. उन्होंने कहा कि विधायकों को जिस तरह का पूर्ण संरक्षण दिया गया है वह पहले कभी नहीं सुना गया. उन्होंने हैरानी जताई कि क्या आदेश का मतलब यह है कि अदालत व्हिप कब लागू किया जाएगा, इसका फैसला करके राज्य विधानसभा के कामकाज में हस्तक्षेप कर सकती है.
Karnataka Chief Minister HD Kumaraswamy & Deputy Chief Minister Dr G Parameshwara hold meeting with Congress MLAs at Prakriti Resort ahead of trust vote in the assembly session tomorrow. pic.twitter.com/3FmVHlHkJR
— ANI (@ANI) July 17, 2019
सुरजेवाला ने कहा, ”दुखद है कि सुप्रीम कोर्ट ने पिछले पांच सालों में मोदी सरकार द्वारा लोकतांत्रिक जनादेशों को पलटने के लिए दलबदल के अभिकल्पित इतिहास और संदर्भ को नहीं समझा.” उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से उत्तराखंड में सरकार बनाने के लिए बीजेपी की अवैध कोशिश को निष्प्रभावी करने के लिए मई 2016 को दिए अपने आदेश को याद करने का अनुरोध किया. चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस दीपक गुप्ता और जस्टिस अनिरूद्ध बोस की पीठ ने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष के आर रमेश कुमार इन 15 विधायकों के इस्तीफों पर उस समय सीमा के भीतर निर्णय लेंगे जिसे वह उचित समझते हों.
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Does this mean-:1. Court can interfere with the working of the State Legislature by deciding when a Whip will be enforced?
2. Abandonment of the ‘Basic Structure’ doctrine of Separation of Powers?#KarnatakaPoliticalCrisis pic.twitter.com/H9f7v1b3f5
— Randeep Singh Surjewala (@rssurjewala) July 17, 2019
पीठ ने कहा कि 15 विधायकों के इस्तीफों पर निर्णय लेने के अध्यक्ष के विशेषाधिकार पर कोर्ट के निर्देश या टिप्पणियों की बंदिश नहीं होनी चाहिए और वह इस विषय पर फैसला लेने के लिये स्वतंत्रत होने चाहिए. इसके साथ ही कोर्ट ने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष के फैसले को उसके समक्ष पेश किया जाये. कोर्ट ने कहा कि इस मामले में उठाये गये बाकी सभी मुद्दों पर बाद में फैसला लिया जायेगा.