कर्नाटक संकट पर SC में सुनवाई, स्पीकर की दलील- स्टे हटाए SC तो इस्तीफों पर कल तक लेंगे फैसला
कर्नाटक में पिछले 11 दिन से जो राजनीतिक घटनाक्रम चल रहा है, उसपर सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को सुनवाई हुई. चीफ जस्टिस ने कहा कि विधानसभा स्पीकर को क्या करना है ये सुप्रीम कोर्ट तय नहीं करेगा.
नई दिल्ली: कर्नाटक के सियासी संकट पर सुप्रीम कोर्ट में 16 बागी विधायकों की याचिका पर सुनवाई जारी है. सुनवाई के दौरान बागी विधायकों ने कहा है कि हमने इस्तीफा दिया है. पार्टी के खिलाफ वोट नहीं देना चाहते. हमें न तो पार्टी का समर्थन करना है और न विरोध करना है. फिर हमें बाध्य क्यों किया जा रहा है? बागी विधायकों ने यह भी कहा कि हम लोगों के बीच जाएंगे. चुनाव लड़ना होगा तो लड़ेंगे. नहीं लड़ना होगा तो नहीं लड़ेंगे. हमें बांध कर रखने की कोशिश हो रही है.
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई
- कर्नाटक मसले को लेकर c शुरू हो गई है. सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने मुकुल रोहतगी से विधायकों के इस्तीफे की तारीख पूछी. इसके अलावा उन्हें अयोग्य करार दिए जाने की तारीख भी पूछी.
- जिसके जवाब में मुकुल रोहतगी ने कहा कि 10 जुलाई को 10 विधायकों ने इस्तीफा दिया, वहीं सिर्फ दो विधायकों का अयोग्य करार दिया जाना 11 फरवरी से पेंडिंग है.
- इसके अलावा सीजेआई ने बाकी पांच विधायकों के बारे में पूछा, जिसके जवाब में मुकुल रोहतगी ने बताया कि वे सभी भी इस्तीफा दे चुके हैं.
- बागी विधायकों की तरफ से मुकुल रोहतगी ने कहा कि अगर व्यक्ति विधायक नहीं रहना चाहता है, तो कोई उन्हें फोर्स नहीं कर सकता है. विधायकों ने इस्तीफा देने का फैसला किया और वापस जनता के बीच जाने की ठानी है. अयोग्य करार दिया जाना इस इच्छा के खिलाफ होगा.
- सुनवाई के दौरान मुकुल रोहतगी ने कहा कि जिन विधायकों ने याचिका डाली है अगर उनकी मांग पूरी होती है तो कर्नाटक की सरकार गिर जाएगी. स्पीकर जबरन इस्तीफा नहीं रोक सकते हैं. इसी दौरान चीफ जस्टिस ने मुकुल रोहतगी से अयोग्य करार दिए जाने के नियमों के बारे में पूछा.
- चीफ जस्टिस ने इस दौरान कहा कि हम ये तय नहीं करेंगे कि विधानसभा स्पीकर को क्या करना चाहिए, यानी उन्हें इस्तीफा स्वीकार करना चाहिए या नहीं. हालांकि, हम सिर्फ ये देख सकते हैं कि क्या संवैधानिक रूप से स्पीकर पहले किस मुद्दे पर निर्णय कर सकता है. CJI ने कहा कि कोर्ट ये तय नहीं करेगा कि स्पीकर को क्या करना है. मुकुल रोहतगी ने इस दौरान कहा कि इस्तीफे के पीछे कई (Myriad) कारण हो सकते हैं.
- इस दौरान CJI ने कहा कि क्या…मिलियन? बाद में मुकुल रोहतगी ने खुद को सुधारा.बागी विधायकों की तरफ से मुकुल रोहतगी ने इस दौरान केरल, गोवा, तमिलनाडु हाईकोर्ट के कुछ फैसलों के बारे में बताया. जिसमें स्पीकर को पहले इस्तीफे पर विचार करने को कहा गया है और अयोग्य के लिए फैसले को बाद में. उन्होंने कहा कि केरल की अदालत ने तो तुरंत इस्तीफा स्वीकार करने की बात कही थी.
CJI ने मुकुल रोहतगी से पूछा बताओ क्या ऑर्डर दें?
- मुकुल रोहतगी के बाद अभिषेक मनु सिंघवी ने स्पीकर की तरफ से पैरवी की. उन्होंने कहा कि जब अयोग्य होने पर सुनवाई जारी है तो विधायक इस्तीफा कैसे दे सकते हैं. इस दौरान CJI ने स्पीकर के उपलब्ध ना होने पर कहा. जिसपर अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि स्पीकर ने पहले ही कह दिया था कि उनसे मुलाकात का समय नहीं मांगा गया था.
- अभिषेक मनु सिंघनी के कहा कि अयोग्य वाला मामला इस्तीफा देने से पहले का ही है. चीफ जस्टिस ने इस पर पूछा कि अगर कोई व्यक्ति आमने-सामने इस्तीफा नहीं देता है तो क्या होता है. उन्होंने पूछा कि क्या स्पीकर ने कोर्ट आने से पहले कुछ नहीं किया. उन्होंने नोटिस जारी करना चाहिए था. CJI ने पूछा कि जब विधायकों ने इस्तीफा दिया तो स्पीकर ने क्यों कुछ नहीं किया, क्यों वो लगातार कहते रहे कि वह तुरंत फैसला नहीं कर सकते हैं.
- चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने इस दौरान कहा कि अगर आप इस्तीफे पर फैसला कर सकते हैं, तो करिए. CJI बोले कि जब हमने पिछले साल 24 घंटे में फ्लोर टेस्ट करने का आदेश दिया तो आपने आपत्ति नहीं जताई थी, क्योंकि वो आपके हक में था. इस वक्त सुप्रीम कोर्ट में स्पीकर के अधिकारों पर तीखी बहस चल रही है.
आप कहें तो कल तक लेंगे फैसला: स्पीकर
अभिषेक मनु सिंघवी की तरफ से अदालत को कहा गया है कि स्पीकर को कुछ समय मिलना चाहिए क्योंकि उन्हें सही तर्कों के साथ इस्तीफों और अयोग्यता पर निर्णय करना है. इस बीच अदालत लंच के लिए ब्रेक पर है. लंच के बाद दोबारा इसपर बहस होगी.
Bengaluru: Congress MLAs arrive at Windflower Prakruthi resort,Devanahalli from Taj Yeshwantpur hotel. #Karnataka pic.twitter.com/73Jtim0ha6
— ANI (@ANI) July 16, 2019
अगर अयोग्यता की कार्रवाई पहले शुरू हो गयी हो तब भी इस्तीफा दिया जा सकता है
सुनवाई शुरू होने पर बागी विधायकों के वकील मुकुल रोहतगी ने कहा, ‘’ अगर अयोग्यता की कार्रवाई पहले शुरू हो गयी हो तब भी इस्तीफा दिया जा सकता है और स्पीकर उसे स्वीकार कर सकता है.’’ इसपर सुप्रीम कोर्ट ने पूछा, ‘’इस्तीफा कब दिया गया और अयोग्यता का आवेदन कब दिया गया तारीख बताएं? मुकुल रोहतगी ने बताया कि अयोग्यता का आवेदन इस्तीफे के बाद 10 जुलाई को दाखिल किया गया था.
Bengaluru: Karnataka Deputy Chief Minister G Parameshwara along with Congress MLAs leaves from Taj Yeshwantpur. #Karnataka pic.twitter.com/BdKT6Do9eQ
— ANI (@ANI) July 16, 2019
इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने पूछा, ‘’अयोग्यता आवेदन किस आधार पर दाखिल हुए?’’ वकील मुकुल रोहतगी ने कहा, ‘’अयोग्यता आवेदन सदन के बाहर की गतिविधियों के लिए दाखिल हुआ. इसमें पार्टी की बैठक में न जाना, पार्टी लाइन से अलग बात करना आदि बातें शामिल हैं.’’ उन्होंने कहा, ‘’आयोग्यता प्रक्रिया इस्तीफा स्वीकार करने के बाद भी चलती रह सकती है. स्पीकर पहले इस्तीफा स्वीकार करें. वह समय बर्बाद कर रहे हैं. दो फरवरी को दाखिल अयोग्यता आवेदन पर भी अब तक फैसला नहीं हुआ है.’’
जब सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि क्या इस्तीफा स्वीकार होने पर आप तुरंत मंत्री बन सकते हैं? तो मुकुल ने कहा, ‘’अयोग्यता के चलते मंत्री न बन पाना सिर्फ कुछ महीनों की सज़ा है. इसे बड़ा करके दिखाया जा रहा है. विधायकों का गलत तरीके से चित्रण किया जा रहा है.’’
इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि स्पीकर कैसे निर्णय लें, इस पर हम उन्हें आदेश नहीं देंगे. लेकिन क्या ऐसा कोई प्रावधान है कि वो इस्तीफे के बाद दाखिल अयोग्यता आवेदन को पहले देखें या दोनों को एक साथ जोड़ कर देखें? अगर नहीं तो ऐसा करने की क्या ज़रूरत है? इसपर मुकुल ने कहा कि ऐसा कोई प्रावधान नहीं है कि अयोग्यता आवेदन को पहले या इस्तीफे के साथ देखा जाए.’’
बता दें कि इस्तीफा देने वाले 15 विधायकों की मांग है कि सुप्रीम कोर्ट स्पीकर को उनके इस्तीफे स्वीकार करने का निर्देश दे. विधायकों का कहना है कि स्पीकर इस मामले में जानबूझकर देरी कर रहे हैं. सदन का विश्वास खो चुकी कांग्रेस-जेडीएस सरकार को बचाने के लिए विधायकों को अयोग्य करार देने का डर दिखाया जा रहा है. गौरतलब है कि कुमारस्वामी की सरकार 16 विधायकों के इस्तीफे के बाद गिरने के कगार पर है.
कर्नाटक में 11 दिनों से जारी सियासी उठापटक के बीच मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में बागी विधायकों की अर्जी पर सुनवाई हो रही है. इस दौरान चीफ जस्टिस (सीजेआई) रंजन गोगोई ने बागी विधायकों के वकील मुकुल रोहतगी से विधायकों के इस्तीफे की तारीख पूछी. इसके अलावा उन्हें अयोग्य करार दिए जाने की तारीख भी पूछी. जिसके बाद बागी विधायकों की ओर से पेश हुए वकील मुकुल रोहतगी ने कहा, ‘अगर व्यक्ति विधायक नहीं रहना चाहता है, तो कोई उन्हें फोर्स नहीं कर सकता है. विधायकों ने इस्तीफा देने का फैसला किया और वापस जनता के बीच जाने की ठानी है. अयोग्य करार दिया जाना इस इच्छा के खिलाफ होगा.’
रोहतगी ने कहा कि जिन विधायकों ने याचिका डाली है अगर उनकी मांग पूरी होती है तो कर्नाटक की सरकार गिर जाएगी. स्पीकर जबरन इस्तीफा नहीं रोक सकते हैं. इसी दौरान चीफ जस्टिस ने मुकुल रोहतगी से अयोग्य करार दिए जाने के नियमों के बारे में पूछा.
सीजेआई ने क्या कहा?
इस पर चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा, ‘हम ये तय नहीं करेंगे कि विधानसभा स्पीकर को क्या करना चाहिए, यानी उन्हें इस्तीफा स्वीकार करना चाहिए या नहीं. हालांकि, हम सिर्फ ये देख सकते हैं कि क्या संवैधानिक रूप से स्पीकर पहले किस मुद्दे पर निर्णय कर सकता है.’ CJI ने कहा कि कोर्ट ये तय नहीं करेगा कि स्पीकर को क्या करना है.
बता दें कि कांग्रेस-जेडीएस सरकार के 15 विधायकों ने अपने इस्तीफे को लेकर शीर्ष अदालत में याचिका दायर की थी. कर्नाटक के कुल बागी विधायकों में से 10 ने अपने इस्तीफे को लेकर 12 जुलाई को कोर्ट में अर्जी दाखिल की थी. इन विधायकों का आरोप था कि स्पीकर बिना वजह उनके इस्तीफे को मंजूरी देने में देरी कर रहे हैं. वहीं, सोमवार को पांच विधायकों आनंद सिंह, के सुधाकर, एन नागराज, मुनिरत्ना और रोशन बेग ने कोर्ट में याचिका दाखिल की हैं.
स्पीकर को निर्देश देने की मांग
इन सभी की याचिकाओं पर कोर्ट एक साथ सुनवाई करेगा. ये विधायक कोर्ट से उनका इस्तीफा स्वीकार करने के लिए कर्नाटक विधानसभा अध्यक्ष को निर्देश देने की मांग कर रहे हैं. बागी विधायकों ने यह स्पष्ट कर दिया कि वे लोग एकजुट हैं और अपने इस्तीफे पर ‘अडिग’ है।