भारी बारिश के बाद बिहार में कोसी, गंडक और बागमती नदी ने दिखाया रौद्र रूप, दर्जन भर जिलों में बाढ़ का खतरा

बिहार में सूखे जैसी स्थिति के बाद अब बाढ़ का खतरा मंडरा रहा है. भारी बारिश के बाद कोसी, बागमती, कमला बलान, महानंदा जैसी नदियां उफान पर है. गंगा में जलस्तर लगातार बढ़ रहा है.

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पटना: बिहार में सभी नदियां उफान पर हैं और उत्तर बिहार को एक बार फिर से बाढ़ का खतरा सताने लगा है. दरअसल बिहार और नेपाल के कुछ हिस्सों में पिछले एक हफ्ते से हो रही लगातार बारिश की वजह से उत्तर बिहार के कई हिस्से जलमग्न हो चुके हैं, नदियां खतरे के निशान के करीब पहुंच चुकी हैं. उत्तर बिहार एक बार फिर बाढ़ की चपेट में जाता हुआ नजर आ रहा है.

भारत-नेपाल सीमा पर बने कोसी बराज पर फिलहाल पानी की रफ्तार 3 लाख 7 हजार क्यूसेक है, जो इस मौसम में सबसे ज्यादा है. पूर्वोत्तर के बाद अब बिहार भी बाढ़ की चपेट में आ गया है. असम में ज्यादातर जिले बाढ़ से बुरी तरह प्रभावित हैं. वहीं बिहार में आज छह जिलों में पानी घुस आया. इस बीच नई दिल्ली में गृहमंत्री अमित शाह ने बाढ़ की स्थिति की समीक्षा की और जरूरी कदम उठाने के निर्देश दिए. बैठक में मौसम विभाग (आईएमडी) ने बताया कि पिछले तीन-चार दिनों के दौरान, असम और बिहार में भारी बारिश हुई है और अगले 48 घंटों में दोनों राज्यों में भारी बारिश होगी.

बैठक के बाद गृह राज्यमंत्री और बिहार के उजियारपुर से सांसद नित्यानंद राय ने कहा, ”गृह मंत्री अमित शाह ने आपदा प्रबंधन विभाग को बाढ़ प्रभावित राज्यों के संपर्क में रहने और आवश्यक उपाय करने के निर्देश दिए.”

 

Amit Shah directed officials to be high alert for Bihar Assam floods

 

बिहार में बाढ़ की स्थिति
बिहार के उत्तरी हिस्सों और नेपाल के तराई क्षेत्रों में हो रही लगातार बारिश के बाद कई नदियों का जलस्तर बढ़ गया है, जिससे राज्य के कम से कम छह जिलों में बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हो गई है. राज्य में भारी बारिश कोसी और सीमांचल के क्षेत्रों में तबाही लेकर आई है. कोसी के जलस्तर में लगातार वृद्धि हो रही है, जिससे कई क्षेत्रों में बाढ़ का पानी घुस गया है.

ये जिले हैं प्रभावित
राज्य आपदा प्रबंधन विभाग के प्रधान सचिव प्रत्यय अमृत ने बताया, “राज्य के छह जिले शिवहर, सीतामढ़ी, पूर्वी चंपारण, मधुबनी, अररिया और किशनगंज के क्षेत्रों में बाढ़ का पानी प्रवेश कर गया है. राहत और बचाव कार्य प्रारंभ कर दिए गए हैं.” उन्होंने कहा कि विभाग पूरी तरह अलर्ट है.

अररिया और पूर्णिया के इलाकों में बाढ़ का खतरा पैदा हो गया है. एनडीआरएफ को अलर्ट कर दिया गया है. भारी बारिश के चलते नेपाल से निकलने वाली नदियों ने चंपारण में तबाही मचानी शुरू कर दी है. लालबकेया, बागमती और बूढ़ी गंडक ने चंपारण, शिवहर और मुजफ्फरपुर के कई गांवों को अपनी चपेट में लेना शुरू कर दिया है. पूर्वी चंपारण के कई गांवों में बाढ़ का पानी प्रवेश कर गया है.

नेपाल में हो रही बारिश की वजह से आने वाले दिनों में ‘बिहार का शोक’ कही जाने वाली कोसी नदी में पानी का लेवल बढ़ रहा है, जिससे उत्तर बिहार बाढ़ की चपेट में आ सकता है.

 

कोशी बराज एसडीओ लाला दास ने कहा, ”नेपाल से जो भी पानी आता है वो सीधे नीचे की ओर जाता है, बराज में पानी को रोका नहीं जाता बल्कि रेग्युलेट किया जाता है. बराज में जो 56 गेट लगे हुए हैं वो पानी को रोकने के लिए नहीं बल्कि पूर्वी और पश्चिमी नहर में पटवन के लिए डाइवर्ट करने के लिए हैं. नेपाल में अभी बारिश हुई है तो संभावना है कि आगे भी पानी का प्रवाह बढ़ेगा, सुबह से पानी की रफ्तार बढ़ ही रही है.”

 

कोसी के अलावा बागमती, कमला बलान और महानंदा नदियां उफान पर हैं. गंगा में भी लगातार पानी की वृद्धि हो रही है. बाढ़ की आहट से राज्य के कई इलाकों के लोगों की परेशानी बढ़ने लगी है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी शुक्रवार को संभावित बाढ़ की स्थिति से निपटने की तैयारियों की समीक्षा की.

 

मुख्यमंत्री ने बैठक में अधिकारियों को नदियों के जलस्तर पर नजर बनाए रखने का निर्देश दिया है, वहीं बांधों की स्थिति पर भी निगरानी रखने की ताकीद की है. उन्होंने जल संसाधन विभाग और आपदा प्रबंधन विभाग को संभावित सभी परिस्थितियों से निपटने के लिए आपस में समन्वय बनाए रखने का भी निर्देश दिया है.

जल संसाधन विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक, बाढ़ की समस्या के निदान के लिए राज्य में कोसी, कमला और बागमती नदियों पर जलाशय बनवाए गए हैं, ताकि नदियों से आने वाली गाद को रोका जा सके. बाढ़ के मामले में संवेदनशील स्थलों को पहचान कर कुल 208 बाढ़ सुरक्षात्मक योजनाओं की स्वीकृति जल संसाधन विभाग ने दी थी. इसमें से 202 योजनाएं पूरी कर ली गई हैं.

 

बाढ़ से बचाव के लिए आधुनिक तकनीक के उपयोग के जरिए 72 घंटे पहले अनुमान लगाने की व्यवस्था है. जल संसाधन विभाग के मंत्री संजय कुमार झा ने कहा कि बाढ़ से बचाव की सारी तैयारियां की जा चुकी हैं, और विभाग पूरी तरह अलर्ट पर है.

असम में बाढ़
ब्रह्मपुत्र और उसकी सहायक नदियों के पानी से जूझ रहे असम राज्य के ज्यादातर जिलों में बाढ़ की स्थिति गंभीर बनी हुई है. यहां बाढ़ से छह लोगों की मौत हुई है और 8.7 लाख लोग प्रभावित हुए हैं. असम राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एएसडीएमए) के अनुसार प्रभावित जिलों में धेमाजी, लखीमपुर, बिस्वनाथ, नलबाड़ी, चिरांग, गोलाघाट, माजुली, जोरहाट, डिब्रूगढ़, नगांव, मोरीगांव, कोकराझार, बोंगाईगांव, बक्सा, सोनितपुर, दर्रांग और बारपेटा शामिल हैं.

काजीरंगा संभागीय वन अधिकारी रुहिनी सैकिया ने बताया कि बाढ़ से काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान भी प्रभावित हुआ है, जिसके कारण अधिकारियों ने राष्ट्रीय राजमार्ग से होकर गुजरने वाहनों की आवाजाही सीमित करने के लिये सड़क पर अवरोधक स्थापित किये हैं. गोलाघाट प्रशासन ने उद्यान के आस-पास सीआरपीसी की धारा 144 लगा दी है क्योंकि बाढ़ की वजह से पशु यहां से निकलकर अपनी सुरक्षा में ऊंचाई वाले स्थान की तलाश में राष्ट्रीय राजमार्ग को पार कर कार्बी आंगलोंग पर्वतीय क्षेत्र की ओर जा रहे हैं.

 

नेपाल में बाढ़ की स्थिति
नेपाल की कई नदियों में आई बाढ़ के कारण मरने वाले वालों की संख्या शनिवार को 28 तक पहुंच गई और 16 लोग अब भी लापता हैं. यहां मानसून की भारी बारिश के कारण कई इलाकों में बाढ़, भूस्खलन का खतरा पैदा हा गया है और सभी मुख्य राजमार्गों पर यातायात प्रभावित हुआ है.

 

कई नदियों के तटबंधों को नुकसान पहुंचा है जिससे उनके किनारे रहने वाले लोगों के समक्ष संकट की स्थिति बन गई है. नेपाल पुलिस के न्यूज बुलेटिन में कहा गया है कि बारिश से आई आपदा की वजह से देश में कम से कम 28 लोगों की मौत हो गई है और कम से कम 10 लोग घायल हो गये. 16 लोग लापता हैं.

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