छुआछूत का ये आलम, मुस्लिमों ने दलितों के बाल काटने से किया इनकार

छुआछूत का ताजा मामला उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद के थाना भोजपुर इलाके से सामने आया है, जहां नाई समाज (मुसलमानों के सलमानी समुदाय) अपनी दुकानों में दलित (वाल्मीकि) समाज के बाल काटने और दाढ़ी बनाने को तैयार नहीं हैं.

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लखनऊ। मनुष्य भले ही चांद पर पहुंच गया हो लेकिन लोग अभी भी छुआछूत की मानसिकता छोड़ने को तैयार नहीं हैं. छुआछूत का ताजा मामला उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद के थाना भोजपुर इलाके का है, जहां नाई समाज (मुसलमानों के सलमानी समुदाय जिन्हें पहले हज्जाम के तौर पर जाना जाता था) अपनी दुकानों में दलित (वाल्मीकि) समाज के बाल काटने और दाढ़ी बनाने को तैयार नहीं हैं.

मुरादाबाद के थाना भोजपुर के गांव पीपलसाना के दलित (वाल्मीकि) एसएसपी मुरादाबाद के पास शिकायत लेकर पहुंचे. उन्होंने बताया कि भेदभाव के चलते उनके गांव की नाई की दुकानों पर उनके बाल नहीं काटे जाते. इस पर एसएसपी ने गंभीरता से डीएम से बातचीत कर पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों की टीम बनाकर जांच के आदेश दिए. दलितों द्वारा पुलिस में की गई शिकायत के बाद सभी नाई की दुकानें बंद है. उनका कहना है कि वे किसी भी कीमत पर इन लोगों के बाल नहीं काटेंगे. उनका कहना है कि हमारे सामने कभी इनके बाल गांव की दुकानों पर कटते नहीं देखे, यदि हमने इनके बाल काटे तो हमारी बिरादरी के लोग ही हमारी दुकान पर नहीं आएंगे. इसके अलावा कुछ लोग आक्रामक तेवर में भी दिखे और गलत शब्द के प्रयोग भी किए गए.

अन्य मुस्लिम लोगों ने भी दिया साथ

पीपालसाना गांव के नाई समाज (मुसलमानों के सलमानी समुदाय) के अलावा अन्य मुस्लिम लोग भी दलितों के बाल काटे जाने का विरोध करते हुए नाई समाज के साथ दिखाई दे रहे हैं और दुकानों के बंद का समर्थन करते हुए ये कह रहे हैं कि दलित लोग अब तक जहां से बाल कटाते आए हैं वहीं से कटवाएं. सभी मुस्लिम अपनी-अपनी बातें कहते हुए नाई समाज का ही समर्थन करते दिख रहे थे. गांव की प्रधान मुस्लिम हैं. उनके पति ने इस मसले पर मुस्लिमों की पंचायत करते हुए कहा, ‘हमारे यहां का माहौल बहुत बढ़िया है, लेकिन नया काम नहीं होना चाहिए, जैसा पहले से होता रहा है वैसे ही होना चाहिए. किसी भी हालत में माहौल खराब नहीं होने दिया जएगा, जबकि कुछ लोग ऐसा ही चाहते हैं.’

छुआछूत हो खत्म: दलित समाज

दूसरी ओर उसी इलाके में कुछ ही दूरी पर रह रहे दलित (वाल्मीकि) समाज के लोग भी इसी मुद्दे पर बिरादरी की पंचायत करते दिखाई दिए. बिरादरी के बुजुर्ग का कहना था, ‘हमारी तो कट गई, लेकिन अब छुआछूत खत्म होनी चाहिए और गांव की दुकानों पर ही और लोगों की तरह हमारे भी बाल कटने चाहिए. हमारे बच्चों की शादी नहीं हो पा रही है, रिश्तेदारी में बात खराब हो गई है, हमारे बच्चों के नाम पूछ कर बिना बाल काटे दुकान से वापस भेज दिया जाता है.’

दलितों का कहना है, ‘बच्चे पढ़ लिख गए हैं, जमाना बदल गया है, लिहाजा इस पुरानी छुआछूत से बाहर निकल कर जीवन जीना चाहिए. गांव में किसी तरह का कोई भेदभाव नहीं है, सब प्रेम से रहते हैं, इसलिए अन्य लोगों की तरह ही हम लोगों के बाल भी इलाके की दुकानों पर ही कटें. इसी बात को लेकर हम बिरादरी के लोग पुलिस अधिकारी से मिले थे उन्होंने हमें पूरा आश्वासन भी दिया है.’

बता दें कि दलित और मुस्लिम के बीच का छुआछूत का ये मामला भले ही पुलिस के पास पहुंच गया है, लेकिन दोनों ही पक्ष अपनी अपनी बात पर अड़े हुए हैं.

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