सरकार ने 312 अधिकारियों को हटाया, खराब कार्यशैली के चलते उठाया कदम

करीब 312 सरकारी कर्मचारियों पर कथित तौर पर भ्रष्टाचार और अयोग्य पाए जाने के आरोप थे। उन्हें समय से पहले रिटायर किया गया। इससे पहले जुलाई 2014 से मई 2019 के दौरान, ग्रुप ए के 36,756 और ग्रुप बी के 82,654 अधिकारियों के सर्विस रिकॉर्ड की समीक्षा की गई। इनमें से ग्रुप ए के 125 और ग्रुप बी के 187 अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश हुई थी।

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नई दिल्ली. सरकार ने करीब 1.2 लाख कर्मचारियों की कार्यशैली की समीक्षा की। इसके बाद 312 सरकारी कर्मचारियों को समय से पहले सेवामुक्त किए जाने की सिफारिश की गई। राज्यमंत्री जितेंद्र सिंह ने बुधवार को यह जानकारी न्यूज एजेंसी के साथ साझा की।

सिंह ने बताया- करीब 312 सरकारी कर्मचारियों पर कथित तौर पर भ्रष्टाचार और अयोग्य पाए जाने के आरोप थे। उन्हें समय से पहले रिटायर किया गया। इससे पहले जुलाई 2014 से मई 2019 के दौरान, ग्रुप ए के 36,756 और ग्रुप बी के 82,654 अधिकारियों के सर्विस रिकॉर्ड की समीक्षा की गई। इनमें से ग्रुप ए के 125 और ग्रुप बी के 187 अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश हुई थी।

सरकार ने लोकसभा में अधिकारियों के जबरन रिटायरमेंट पर कहा- अनुशासनात्मक नियम के अनुसार सरकार के पास उपलब्ध साक्ष्य के आधार पर भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने का अधिकार है।

उप्र सरकार ने भी अधिकारियों पर कार्रवाई की थी
इससे पहले, उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने भी जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाई थी। प्रदेश सरकार ने 600 से अधिक अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई की। जबकि 200 से अधिक अधिकारियों तथा कर्मचारियों को जबरन रिटायर कर दिया गया। 400 से अधिक अधिकारियों और कर्मचारियों को कड़ी सजा दी गई।

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