मुंबई. अनिल अंबानी की आरकॉम समेत तीन कंपनियों पर एसबीआई और अन्य कर्जदाता बैंकों को फंड डायवर्जन का शक है। इकोनॉमिकटाइम्स अखबार की रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से बुधवार को यह जानकारी दी गई। रिपोर्ट के मुताबिक एसबीआई की जांच में अनिल अंबानी ग्रुप की कंपनियों के 5,500 करोड़ रुपए के लेन-देन पर सवाल उठाए गए हैं।
ऐसी कंपनियों से डील हुई जिनमें रिलायंस ग्रुप के कर्मचारी ही डायरेक्टर थे: रिपोर्ट
रिपोर्ट के मुताबिक आरकॉम, रिलायंस टेलीकॉम और रिलायंस टेलीकॉम इन्फ्रास्ट्रक्चर में पूंजी के प्रवाह (फंड फ्लो) की जांच में कर्ज को आगे बढ़ाते रहने (लोन एवरग्रीनिंग) की बात सामने आई। रिलेटेड पार्टी ट्रांजेक्शंस और उन कंपनियों के साथ प्रेफरेंशियल डील का भी पता चला है जिनमें ग्रुप के कर्मचारी ही निदेशक थे। इन मामलों में आगे और जांच की जरूरत है।
लेन-देन से संबंधित एक लाख से भी ज्यादा एंट्री की जांच
एसबीआई तीनों कंपनियों के मई 2017 से मार्च 2018 तक के लेन-देन से संबंधित एक लाख से भी ज्यादा एंट्री की जांच कर रहा है। रिपोर्ट के मुताबिक यह पता चला है कि बहुत से लेन-देनों का कोई औचित्य नहीं था। सिर्फ एडजस्टमेंट के लिए एंट्री कर दी गईं।
कैपिटल एक्सपेंडिचर एडवांस के तौर पर 4,000 करोड़ रुपए मिले
इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक नेटीजन नाम की कंपनी को मई 2017 में कैपिटल एक्सपेंडिचर एडवांस के तौर पर 4,000 करोड़ रुपए मिले थे। इससे जुड़े ट्रांजेक्शन रिलायंस ग्रुप की कंपनियों के जरिए हुए थे। इनती बड़ी रकम को लेकर सवाल उठे तो बाद में रकम को देनदारी बता दिया गया।
कंपनी के प्रवक्ता ने रिपोर्ट को आधारहीन बताया
आरकॉम ने आरोपों से इनकार किया है। कंपनी के प्रवक्ता ने रिपोर्ट को आधारहीन बताया है। उसके मुताबिक जून 2017 से मार्च 2018 तक कंपनी के कर्ज की रिस्ट्रक्चरिंग की जा रही थी और सभी लेन-देन कर्जदाताओं की निगरानी में थे।