जयपुर. राजस्थान की राजधानी जयपुर के लिए आज बड़ा ऐतिहासिक दिन है. शहर का परकोटा विश्व धरोहर घोषित हुआ है. यूनेस्को की विश्व धरोहर की समिति ने यह घोषणा की है. इस समिति की बाकू में चल रही बैठक में यह निर्णय लिया गया है. इसी के साथ जयपुर देश का दूसरा शहर बना, जो विश्व धरोहर की सूची में शामिल हुआ है. इससे पहले केवल अहमदाबाद को ही यह गौरव मिला था.
दरअसल यूनेस्को की संस्था इंटरनेशनल कौन्सिल ऑन मॉन्यूमेंट्स एंड साइट्स (ICOMOS) की सिफारिश पर ही किसी भी क्षेत्र को उसकी अनूठी विरासत के कारण विश्व धरोहर की सूची में शामिल किया जाता है. देश का एकमात्र शहर अहमदाबाद ही अब तक इस सूची में शामिल हो पाया है. आपको सबसे पहले बताते हैं कि जयपुर के विश्व धरोहर की सूची में शामिल होने का क्या महत्व है और इसका क्या फायदा जयपुर वासियों को मिलेगा.
गुलाबी शहर के नाम से मशहूर जयपुर की चारदीवारी (परकोटा) को यूनेस्को ने विश्व धरोहर सूची में शामिल किया है। शनिवार को अजरबैजान की राजधानी बाकू में हुई विश्व धरोहर समिति की बैठक में यह निर्णय लिया गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने ट्वीट कर यूनेस्को के फैसले पर खुशी जताई। इससे पहले जयपुर स्थित आमेर किले और जंतर-मंतर को इस सूची में स्थान मिल चुका है।
नरेंद्र मोदी ने ट्वीट किया, ”जयपुर का संबंध संस्कृति और वीरता से रहा है। उत्साह से भरपूर जयपुर की मेहमाननवाजी लोगों को अपनी ओर खींचती है। खुशी है कि इसे यूनेस्को ने विश्व विरासत स्थल घोषित किया है।” केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री प्रह्लाद पटेल ने इसे देश के लिए गर्व का विषय बताया है।
Jaipur is a city associated with culture and valour. Elegant and energetic, Jaipur’s hospitality draws people from all over.
Glad that this city has been inscribed as a World Heritage Site by @UNESCO. https://t.co/1PIX4YjAC4
— Narendra Modi (@narendramodi) July 6, 2019
2018 में निरीक्षण करने जयपुर आई थी टीम
एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक, नामांकन किए जाने के बाद यूनेस्को की अंतरराष्ट्रीय परिषद की टीम 2018 में निरीक्षण करने जयपुर आई थी। दिल्ली स्थित यूनेस्को कार्यालय की ओर से कहा गया है कि जयपुर की शहरी योजना प्राचीन हिन्दू, मुगल और समकालीन पश्चिमी महत्ता को प्रदर्शित करती है। ऐतिहासिक जयपुर शहर की स्थापना 1727 में राजा जयसिंह ने की थी। यह अपनी स्थापत्य कला के कारण पर्यटकों में आकर्षण का केंद्र है।
अब तक दुनिया के 1092 स्थल धरोहर सूची में शामिल
यूनेस्को की संस्था इंटरनेशनल काउंसिल ऑन मॉन्यूमेंट्स एंड साइट्स (ICOMOS) की सिफारिश पर किसी शहर या क्षेत्र को अनूठी विरासत के कारण विश्व धरोहर की सूची में शामिल किया जाता है। अब तक विश्व धरोहर सूची में 167 देशों के 1092 स्थानों को शामिल किया जा चुका है।
विश्व धरोहर की सूची में शामिल होने के क्या है फायदे:
- जयपुर की स्थापत्य कला और शिल्पकला के अनूठेपन को विश्व में फिर से पहचान मिलेगी
- विश्व धरोहर घोषित होने पर यहां आने वाले पर्यटकों की संख्या में ईजाफा होगा
- पर्यटन बढ़ने पर विभिन्न तरह के रोजगार में भी बढ़ोतरी होगी
- विरासत संरक्षण और आधारभूत सुविधाओं के विकास के लिए धन जुटाना आसान होगा
- अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थाओं से आसान शर्तों पर इसके लिए ऋण मिल सकेगा
- विश्व धरोहर सूची में शामिल अन्य शहरों के साथ सांस्कृतिक आदान-प्रदान बढ़ेगा
बता दें कि वर्ष 1727 में सवाई जयसिंह द्वितीय की ओर से बसाया यह गुलाबी नगर अपने अनूठी स्थापत्य कला और शिल्पकला के लिए विश्व भर में विख्यात रहा है. शहर के एतिहासिक दरवाजे, हेरिटेज लुक वाले बरामदे, छोटी चौपड़-बड़ी चौपड़, चारदीवारी के प्राचीन दरवाजे, चारदीवारी की गुलाबी रंगत, धरोहर, लाख की चूड़ियां, चौकड़ी खाना और स्वर्ण मीनाकारी की दम पर चारदीवारी इलाके की खूबसूरती में चार चांद लगाते हैं.