बजट से एक दिन पहले आर्थिक सर्वे रखा जाएगा देश के सामने, तय करेगा आम बजट के भविष्य की रुपरेखा

आर्थिक सर्वे में देश के विकास का सालाना लेखा-जोखा होता है. इसमें पिछले एक साल में अर्थव्‍यवस्‍था और सरकार की योजनाओं से देश में क्‍या प्रगति हुई इसकी जानकारी मिलती है.

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नई दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूसरे कार्यकाल का पहला बजट शुक्रवार को पेश किया जाना है. इससे एक दिन पहले यानी आज गुरुवार को आर्थिक सर्वे देश के सामने रखा जाएगा जो आम बजट के भविष्य की रुपरेखा तय करेगा. मोदी सरकार के लगातार दूसरी बार अस्तित्व में आने के बाद हर किसी की नजर रोजगार, स्वास्थ्य, विदेशी निवेश और मेक इन इंडिया समेत कई सेक्टरों पर रहेगी, जिससे देश की अर्थव्यवस्था अपनी रफ्तार पकड़े.

देश के विकास का सालाना लेखा-जोखा होता है आर्थिक सर्वे

दरअसल आर्थिक सर्वे में देश के विकास का सालाना लेखा-जोखा होता है. इसमें पिछले एक साल में अर्थव्‍यवस्‍था और सरकार की योजनाओं से देश में क्‍या प्रगति हुई इसकी जानकारी मिलती है. आर्थिक सर्वेक्षण पेश होने के अगले दिन आम बजट आएगा. ऐसे में आर्थिक सर्वेक्षण से बजट में मोदी सरकार की आर्थिक दिशा और दशा का अंदाजा लगाया जा सकेगा.

ये दस्‍तावेज वित्‍त मंत्रालय के मुख्‍य आर्थिक सलाहकार तैयार करते है. य‍ह वित्‍त मंत्रालय का बहुत ही महत्‍वपूर्ण दस्‍तावेज होता है. खासकर इसमें सरकार की नीतियों के बारे में जानकारी होती है.

देश की पहली पूर्णकालिक महिला वित्त मंत्री हैं निर्मला सीतारमण

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का ये पहला बजट है और इसी लिहाज से पहली बार वो आर्थिक सर्वेक्षण भी सदन के पटल पर रखेंगी. इससे पहले वो मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में रक्षा मंत्री का प्रभार संभाल चुकी हैं. निर्मला सीतारमण देश की पहली पूर्णकालिक महिला वित्त मंत्री हैं और इस लिहाज से उनके सामने कई चुनौतियां भी होंगी. इस बजट में वित्त मंत्री के ऊपर फिर से देश की इकोनॉमी को सही ट्रेक पर लाने की जिम्मेदारी भी है.

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 5 जुलाई को सुबह 11.00 बजे अपने बजटीय भाषण की शुरुआत करेंगी. वित्त मंत्री अपने भाषण की शुरुआत लोकसभा स्पीकर को संबोधित करके शुरू करेंगी. इसके अलावा 8 जुलाई को बजट पर आम चर्चा हो सकती है और 11 से 17 जुलाई के बीच अनुदान मांगों पर भी चर्चा हो सकती है.

आर्थिक सर्वेक्षण को लेकर ब्रीफिंग करेंगे मुख्य आर्थिक सलाहकार

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की तरफ से संसद में आर्थिक सर्वेक्षण 2018-19 पेश किए जाने के बाद मुख्य आर्थिक सलाहकार डॉ कृष्णमूर्ति वी. सुब्रमण्यन अपनी टीम के साथ दोपहर में प्रेस ब्रीफिंग करेंगे.

आर्थिक सर्वे देश के सामने रखा जाएगा जो आम बजट के भविष्य की रुपरेखा तय करेगा.

  • उज्ज्वला योजना

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस साल लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना का जमकर जिक्र किया क्योंकि इससे ग्रामीण अंचलों और गरीब महिलाओं को काफी फायदा मिला था. योजना की शुरुआत का मकसद कमजोर वर्ग के परिवारों खासकर महिलाओं को धुएं और गंभीर बीमारियों से राहत दिलाना था. प्रधानमंत्री मोदी ने इस योजना को 2016 में 1 मई को उत्तर प्रदेश के बलिया में लॉन्‍च किया था. 2016-17 में उज्ज्वला योजना के लिए 2,500 करोड़ खर्च किए गए. जो 2017-18 में बढ़कर 2,251 करोड़ हो गया. माना जा रहा है कि इस बार के वित्तीय वर्ष में यह राशि बढ़कर 3,200 करोड़ तक पहुंच जाएगी.

 

  • विदेशी निवेश में वृद्धि की आस

भारत में 2017-18 की तुलना में 2018-19 में विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (एफडीआई) में मामूली कमी आई और 44.9 बिलियन डॉलर से घटकर यह 44.4 बिलियन डॉलर हो गया था. 2015-16 से लेकर हर साल देश में 40 बिलियन डॉलर से ज्यादा विदेशी निवेश हुआ है. 2004-05 में देश में एफडीआई 3.2 बिलियन डॉलर था और इसमें लगातार वृद्धि ही देखी गई है. उम्मीद है कि इस बार बजट में कुछ ऐसी व्यवस्था की जाएगी कि एफडीआई 45 बिलियन डॉलर के सर्वोच्च आंकड़े को पार कर जाए.

 

  • मनरेगा में बजट की बढ़ोतरी की आस

देश में बेरोजगारी की दर अपने 4 दशक के इतिहास में सबसे खराब दौर में है. ऐसे में निचले तबके के लोगों को मनरेगा से  काफी आस होगी जिससे उन्हें रोजगार मिलता रहा. 2015-16 में औसतन 49 दिन रोजगार मिला था जो 2018-19 में बढ़कर 51 दिनों का हो गया. मनरेगा के तहत 2015-16 में जहां 35,975 करोड़ रुपए की राशि जारी की गई थी वो 2018-19 में बढ़कर 62,185 करोड़ हो गई. जनवरी-मई के बीच बेरोजगारी की दर 7 फीसदी तक पहुंच गई है. नए बजट में मनरेगा में राशि की बढ़ोतरी की उम्मीद है क्योंकि इसमें लगातार इजाफा हो रहा है. साथ ही बेरोजगारी की दर में भी गिरावट आए.

 

  • आयुष्मान भारत

‘आयुष्मान भारत’ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चुनिंदा और बेहद खास योजनाओं में से एक है. आयुष्मान भारत जिसे प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के नाम से भी जाना जाता है कि शुरुआत का ऐलान पिछले साल के बजट में किया गया था. 2018-19 में आयुष्मान भारत पर 2,400 करोड़ का बजट आवंटित किया गया था, जिसके 2019-20 के वित्त वर्ष में दोगुने से भी ज्यादा बढ़ने के आसार हैं. माना जा रहा है कि इस बार बजट में आयुष्मान भारत के लिए 6,400 करोड़ रुपए आवंटित की जा सकती है.

 

  • मेक इन इंडिया

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2014 में सत्ता में आने के बाद 25 सितंबर 2014 को स्वदेशी अभियान के तहत महत्वाकांक्षी मेक इन इंडिया योजना की शुरुआत की थी जिसमें 25 सेक्टर्स को शामिल किया गया. 2014-15 में 5.4 लाख करोड़ के प्रोजेक्ट रूके हुए थे जिसमें 3.3 लाख करोड़ के प्रोजेक्ट निजी क्षेत्रों के थे और 2018-9 में बढ़कर 6.7 लाख करोड़ रुपए का हो गया. 2018-19 में कुल 169 प्रोजेक्ट अधर में लटके थे जिसमें 97 तो निजी क्षेत्रों के थे. इसके अलावा 10.1 लाख करोड़ के नए प्रोजेक्ट आ सकते हैं जिसमें 6.6 लाख करोड़ तो निजी क्षेत्रों के हैं. दूसरी ओर, मेक इन इंडिया अभियान के तहत 5.9 लाख करोड़ के प्रोजेक्ट पूरे हुए जिसमें 2.7 लाख करोड़ के प्रोजेक्ट भी शामिल हैं. अब उम्मीद होगी कि इस बार कई बंद प्रोजेक्ट्स भी अपनी राह पकड़ेंगे और मेक इन इंडिया अभियान कामयाबी की ओर बढ़ेगा. अब देखना होगा कि इस बार का बजट किस तरह का होता है और समाज के कितने वर्ग को इसका फायदा मिलता है.

इस साल 7 फीसदी की दर से बढ़ सकती है देश की अर्थव्यवस्था

इस आर्थिक सर्वे में सरकार चालू कारोबारी साल 2019 -20 के लिए जीडीपी में 7 फीसदी विकास दर का अनुमान पेश कर सकती है, जो पिछले साल से ज़्यादा है. सर्वे में इस दौरान निवेश और खपत में बढोत्तरी की उम्मीद जताई गई है.

मोदी सरकार के लिए राहत की ख़बर

सर्वे में मोदी सरकार के लिए अच्छी खबर आ सकती है. एबीपी न्यूज़ को मिली एक्सक्लूसिव जानकारी के मुताबिक़, सर्वे में चालू कारोबारी साल (2019 -20) के दौरान देश की आर्थिक विकास दर 7% रहने की उम्मीद जताई गई है. सर्वे के मुताबिक 31 मार्च को ख़त्म हुए कारोबारी साल (2018 – 19) में आर्थिक विकास दर 6.8 % जबकि 2017-18 के दौरान 7.2% रही थी.

निवेश और खपत में बढोत्तरी की संभावना

सर्वे के मुताबिक़, पिछले साल की अपेक्षा इस कारोबारी साल में आर्थिक विकास दर में बढ़त की सबसे बड़ी वजह निवेश और खपत में बढ़ोतरी हो सकती है. साथ ही कंस्ट्रक्शन यानि निर्माण क्षेत्र में भी रफ़्तार पकड़ने की उम्मीद जताई गई है. पिछले सालों में निवेश, खासकर निजी निवेश और निर्माण क्षेत्र में लगातार आ रही मंदी अर्थशास्त्री चिंता जताते रहे हैं. इसलिए सर्वे में निवेश बढ़ाने पर ज़ोर दिए जाने की संभावना है.

 

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