पुलिस अधिकारियों से ही कालोनी के नाम पर वसूले करोड़ों रुपए, 17 साल बाद भी इंसाफ नहीं मिला तो कोर्ट को देना पड़ा आदेश
पुलिस वेलफेयर कोऑपरेटिव मल्टीपर्पज सोसायटी लिमिटेड बठिंडा को फटकार लगाते पंजाब पुलिस के एक अधिकारी को कालोनी में मकान की एवज में जमा करवाएं 10 लाख 50 हजार रुपए 12 प्रतिशत सालाना ब्याज सहित लौटाने के आदेश दिए, 718 लोगों से करीब 24 करोड़ रुपए इकट्ठा किए व इसमें 2004 से लेकर आज तक लोगों को न तो मकान बनाकर दिए और न ही उनके पैसे वापिस किए गए
बठिंडा। जिला उपभोक्ता फोरम ने एक अहम फैसले में पुलिस वेलफेयर कोऑपरेटिव मल्टीपर्पज सोसायटी लिमिटेड बठिंडा को फटकार लगाते पंजाब पुलिस के एक अधिकारी को कालोनी में मकान की एवज में जमा करवाएं 10 लाख 50 हजार रुपए 12 प्रतिशत सालाना ब्याज सहित लौटाने के आदेश दिए है। जिला बठिंडा कचहरी में कार्यरत एडवोकेट विकास कुमार ने अपने क्लाइट एडीजीपी रोहित चौधरी की तरफ से अदालत में याचिका दायर की थी। इसमें सोसायटी की तरफ से 10.50 लाख की राशि जमा करवाने के बावजूद जमीन व मकान नहीं देने की बात कही थी। वही अदालत से इस जालसाजी में पुख्ता कारर्वाई करने व लोगों के जमा पैसे ब्याज सहित वापिस करने की मांग की थी। इस बाबत एडवोकेट विकास कुमार की दलील व सबूत से सहमत होते जिला उपभोक्ता फोरम ने सोसायटी को फटकार लगाते एडीजीपी रोहित चौधरी की तरफ से जमा पैसे ब्याज सहित लौटाने के आदेश दिए। फिलहाल अदालत की तरफ से एडीजीपी रोहित चौधरी को दिए इंसाफ के बाद अन्य 717 प्रभावित लोगों की भी करोड़ों रुपए की वापसी होने की उम्मीद जागी है।
718 लोगों से 24 करोड़ रुपए इकट्ठा किए व लोगों को न तो मकान बनाकर दिए और न ही पैसे वापिस किए
एडवोकेट विकास कुमार ने बताया कि पुलिस वेलफेयर कोऑपरेटिव मल्टीपर्पज सोसायटी लिमिटेड ने 718 लोगों से करीब 24 करोड़ रुपए इकट्ठा किए व इसमें 2004 से लेकर आज तक लोगों को न तो मकान बनाकर दिए और न ही उनके पैसे वापिस किए गए है। बठिंडा जोन के एक आईजी ने 2004 में कोटसमीर के पास एक पुलिस काॅलोनी बनाने का फैसला लिया था जो कि पिछले कई सालों से विवादों में घिरा हुआ है। बठिंडा पुलिस लाइन में पुलिस वेलफेयर कोऑपरेटिव मल्टीपर्पज सोसायटी लिमिटेड का चुनाव करवाने का प्रोग्राम कई बार रखा गया था जिसको ऐन मौके पर एसएसपी डाॅ. नानक सिंह ने चुनाव के दौरान लड़ाई-झगड़ा होने की बात कह कर स्थगित कर दिया। इस मौके पर सोसायटी के मेंबरों ने कहा कि वो अपनी लाखों की राशि इस काॅलोनी में प्लाट लेने को अदा कर चुके हैं पर 17 साल बाद भी प्लाट और पैसे दोनों नहीं मिले। जिनको हासिल करने के लिए उनको धक्के खाने पड़ रहे हैं। इस मौके पर रिटायर्ड पुलिस अधिकारियों ने यहां तक कहा कि जब 13 साल से पुलिस को ही इंसाफ नहीं मिल रहा तो आम लोग पुलिस से क्या उम्मीद करेंगे। तत्कालीन आईजी जो अब रिटायर्ड एडीजीपी है ने साल 2004-2005 में कोटसमीर रोड पर गांव कटार सिंह वाला-नसीबपुरा सड़क पर नई सहकारी पुलिस कालोनी का प्रोजेक्ट बनाया था। जिसके तहत मालवा पट्टी के 718 पुलिस मुलाजिमों और अफसरों की ओर से करीब 24 करोड़ रुपए सोसायटी के पास जमा करवाए थे।
2016 में भी साेसायटी का चुनाव कराने की हुई थी घोषणा
इससे पहले जनवरी और अप्रैल 2016 में एसएसपी और कोऑपरेटिव सोसायटी के रजिस्ट्रार की ओर से कमेटी का चुनाव करवाने की कोशिश की गई लेकिन उक्त रिटायर्ड एडीजीपी ने दोनों बार उक्त चुनाव कैंसिल करवा दिया। उस समय के आईजी ने अपनी मर्जी से बिना सरकार की मंजूरी से उक्त स्कीम शुरू की थी। उसके बाद सभी पुलिस मुलाजिमों को लेटर भेजे और सभी ने पैसे दिए। आज 2019 खत्म होने जा रहा है। लेकिन उक्त कालोनी के लिए कुछ नहीं किया गया। हमने हाईकोर्ट में याचिका लगाई मांग की कि इस मामले की जांच सीबीआई से करवाई जाए। कोर्ट ने एक एसआईटी बना दी। जिसमें एडीजीपी, आईजी और एसएसपी को शामिल किया था। एसआईटी से पहले एडीजीपी रिटायर्ड ने उनकी कमेटी के खिलाफ 12-4-2015 को चोरी का केस दर्ज करवा दिया।
कर्मियों को इंसाफ दे सरकार
रिटायर्ड इंस्पेक्टर हरपाल सिंह ने एसआईटी की ओर से अपनी जांच रिपोर्ट बताया था कि कालोनी के ठेकेदारों ने अपने पर्सनल प्रयोग के लिए पैसों का प्रयोग किया था। 79 लाख 52 हजार 979 रुपए का मिस यूज हुआ है। इसके अलावा 30 लाख रुपए बठिंडा के टिब्बों के लिए मुंबई के एक ऑकिटेक को बिना टेंडर के दिया गया। एक करोड़ 79 लाख रुपए भी ठेकेदार को दिया गया वो भी बिना किसी टेंडर काल किए।
पंजाब पुलिस हाउ¨सग मल्टीपर्पज वेलफेयर सोसायटी के अधीन गांव कोटशमीर में 108 एकड़ में बन रही पुलिस कॉलोनी में लगे पेड़ों को काटकर उन्हें बेचने व सोसायटी के बनाएं गए दफ्तर का सामान खुर्दबुर्द कर करोड़ों रुपये का घोटाला करने के आरोप में थाना कोटफत्ता पुलिस ने सोसायटी के प्रधान समेत तीन लोगों पर 13 अप्रैल 2015 को मामला दर्ज किया था। जिसमें सोसायटी के सचिव व कोषाध्यक्ष का नाम भी शामिल था।