हरियाणा / चाउमीन खाने के बाद 3 साल के बच्चे के फेफड़े फटे, डॉक्टर बोले- स्वाद के लिए मिलाया जाने वाला एसिड जानलेवा

फूड स्टॉल पर चाउमीन खाने के बाद बच्चे का शरीर काला पड़ा, डॉक्टरों ने बमुश्किल जान बचाई डॉक्टरों ने कहा- चाउमीन में इस्तेमाल हो रहा खतरनाक एडिस लिवर और किडनी के लिए भी नुकसानदेह

यमुनानगर.सड़क के किनारे स्टॉल पर बिक रही चाउमीन जानलेवा हो सकती है। यमुनानगर में पिछले दिनों चाउमीन खाने के बाद 3 साल के उस्मान के दोनों फेफड़े फट गए। शरीर भी अचानककाला पड़ गया। परिजन उसे अस्पताल ले गए तो डॉक्टरों ने ऑपरेशन कर बमुश्किल जान बचाई। डॉक्टरों का कहना है कि चाउमीन में स्वाद के लिए खतरनाकएसिड का इस्तेमाल सेहत के लिए खतरनाक है।

बच्चे के पिता मंजूर हसन ने बताया कि चाउमीन खाने के कुछ देर बाद ही उस्मान की हालत बिगड़ गई थी। उसे सांस लेने में तकलीफ हो रही थी। कई प्राइवेट अस्पतालों से जवाब मिलने के बाद वे उसे गाबा अस्पताल में लाए। यहां डॉ. निखिल बंसल और डॉ. बीएस गाबा ने उस्मान को आईसीयू में भर्ती कर इलाजशुरू किया।

इलाज के दौरान बच्चे को कार्डियक अरेस्ट आया

एक्सरे रिपोर्टमें सामने आया है कि उस्मान केदोनों फेफड़े फट चुके हैं। डॉक्टरों ने उसे वेंटीलेटर पर रखा है। फेफड़ों का ऑपरेशन कर चेस्ट ट्यूबडाली गई। इलाज के दौरान उसे एक बार कार्डियक अरेस्ट भी आया। 16 दिन से अस्पताल में भर्ती बच्चे की हालत अब खतरे से बाहर है।

लिवर-किडनी को नुकसान पहुंचाता है एसिड

उस्मान का इलाज करने वाले डॉ. बीएस गाबा औरडॉ. निखिल बंसल ने बताया किचाउमीन में स्वाद के लिए खतरनाक एसिड का इस्तेमाल काफी नुकसानदेह है। इस एसिड से न केवल फेफड़ों को नुकसान पहुंचता हैबल्कि कई बार लिवर औरकिडनी डैमेज होने का भी खतरा होता है।

सॉस खाने से फट गये थे फेफड़े
उपचार करने वाले डॉक्टरों के मुताबिक बच्चे द्वारा अधिक साॅस खाने से उसके फेफड़े फट गये। जिससे उसकी जान बन आई। जिसके बाद उसे वेंटिलेटर पर रखा गया। डॉक्टरों ने बताया कि बच्चे का 23 दिन से अस्पताल में इलाज चल रहा है और इसके इलाज में काफी खर्च आया है। डॉक्टरों ने बताया कि आयुष्मान योजना के बच्चे के परिवार को कोई खर्च नहीं हुआ है।

हार्ट काम करना कर दिया था बंद
गाबा अस्पताल के हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. बीएस गाबा ने बताया कि जिस तरह से बच्चे की हालत खराब हो चुकी थी। उसे बचाना काफी मुश्किल था। लेकिन हमने भी हिम्मत नहीं हारी और इलाज में जुटे रहे। फेफड़े फट जाने से उसे सांस लेने में भी काफी दिक्कत आ रही थी। ऐसे में उसे कृत्रिम सांस दिया गया। उन्होंने बताया कि एसिटिक एसिड के कारण उसके ऑर्गन अंदर से जल चुके थे।

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