पटना। ‘मरने वाले तो एक दिन बिना बताए मर जाते हैं, रोज तो वो मरते हैं, जो खुद से ज्यादा किसी को चाहते हैं.’ फेसबुक पर यह स्टेट्स डालने वाली स्नेहा कुमारी अब इस दुनिया में नही हैं. स्नेहा कोई आम लडकी नही थी. वह बिहार पुलिस में कांस्टेबल के पद पर तैनात थी. लेकिन उसकी मौत हो जाती है और विभाग को दो दिन बाद उसका पता चलता है.
पिता का कहना है कि मेरी बेटी खूबसूरत थी और यही उसके मौत का कारण भी है. जिस तरह के आरोप स्नेहा के परिवार वाले लगा रहे हैं उससे निश्चित रूप से पुलिस की भूमिका पर शक पैदा होता है. हालांकि स्नेहा की अभी पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट सामने नहीं आई है. पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के बाद ही इस मामले से जुड़े और खुलासे हो सकते हैं.
इस पूरे प्रकरण में पुलिस की भूमिका संदिग्ध है. स्नेहा उसी बिहार पुलिस का हिस्सा है, जो इस मामले को संदिग्ध बनाने में लगी है. आखिर क्यों. सवाल यह है कि किसको बचाने का प्रयास किया जा रहा है.
स्नेहा कुमारी सीवान जिले में तैनात थीं लेकिन 1 जून को उसके सरकारी क्वॉर्टर में वो मरी हुई पायी जाती है. लेकिन बॉडी की स्थिति देखते हुए कहा जा सकता था कि उसकी मौत 48 घंटे पहले हुई होगी. इस हिसाब से हत्या 30 मई को हुई.
आखिर दो दिनों तक स्नेहा के बारे में किसी ने खोज खबर क्यों नहीं ली. पुलिस ने उसकी मौत को आत्महत्या करार दिया. जिस संदिग्ध तरीके से इस मामले को छिपाने की कोशिश की जा रही है उससे शक लगातार बढता जा रहा है कि आखिर पूरी की पूरी पुलिस किसको बचाने में लगी है.
स्नेहा की मौत के बाद पुलिस ने उनके पिता को खबर दी कि उनकी तबीयत खराब हो गई है, इसलिए तुरंत सीवान आ जाएं. जब पिता मुंगेर से सीवान पहुंचते हैं तो कहा गया कि स्नेहा को पटना भेज दिया गया है.
दो पुलिसकर्मी पिता को लेकर पटना जाने के लिए निकलते हैं और उन्हें सीधे मुंगेर पहुंचा दिया जाता है. जबकि शरीर खराब होने की वजह से सीवान के डाक्टरों ने पोस्टमॉर्टम से इंकार कर दिया था. जिसके बाद पुलिस ने उनके साथ मारपीट की जिससे डॉक्टर हड़ताल पर चले गए थे. बाद में पोस्टमार्ट के लिए स्नेहा के शव को पीएमसीएच पटना भेजा गया.
लेकिन स्नेहा की मौत में मोड़ तक आया जब शव उसके पैतृक स्थान मुंगेर पहुंचा. परिवार वालों ने शव को पहचाने से इंकार कर दिया और जमकर हंगामा करते हुए हाईवे जाम कर दिया.
पुलिस ने सख्ती दिखते हुए 10 परिजनों को हिरासत में लेकर स्नेहा का जबरन दाह संस्कार कराया. यहां तक पुलिस खुद शव लेकर श्मशान घाट पहुंची. परिजनों ने स्नेहा के साथ दुष्कर्म का आरोप भी लगाया है. स्नेहा के पिता विवेकानंद मंडल का कहना है कि उनकी बेटी की जान उसकी सुंदरता ने ले ली.
एक बेबस पिता का यह बयान अपने आप में सब कुछ बयां कर रहा है. यह संभव हो सकता है कि इस पूरे मामले में पुलिस विभाग का ही कोई ताकतवार है, जिसे बचाने के लिए सीवान और मुंगेर दोनों जगहों की पुलिस लगी है. स्नेहा की मौत का पता 1 जून को चलता है और परिजनों को 4 जून दाह संस्कार के लिए सौंपा जाता है.
फाइल फोटो- स्नेहा कुमारी
आखिर इतना वक्त क्यों लगा पुलिस को शव सौपने में? ये पुलिस की लापरवाही नहीं तो और क्या है. सीवान के एसपी नवीन झा का कहना है कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद ही परिजनों के आरोपों पर कुछ कहा जा सकता है. वहीं मुंगेर के एसपी का कहना है कि स्नेहा के शव नहीं होने की बात सामने आई है, इसलिए उसका बॉडी सैंपल लेकर डीएनए टेस्ट के लिए भेजा गया है. शव को अंतिम संस्कार के लिए परिजनों को सौप दिया गया है.
बिहार पुलिस में महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण मिला है. इसलिए महिलाओं को बिहार पुलिस में नौकरी का अच्छा अवसर मिलता है लेकिन इसके विपरीत इसमें कुछ शोषण की खबरें भी आती रहती हैं. लेकिन स्नेहा के साथ क्या हुआ उसका पता पोस्टमार्टम रिपोर्ट से ही चल पाएगा.