बलिदान बैज पर ICC का BCCI को जवाब- धोनी ने किया नियम का उल्लंघन
बीसीसीआई के अनुरोध के बावजूद आईसीसी बलिदान बैज मामले पर अपने रुख पर कायम है। धोनी को अपने ग्लव्स से इस लोगों का हटना होगा। जानिए क्या हैं विकेटकीपिंग ग्लव्स को लेकर आईसीसी के नियम।
नई दिल्ली: साउथ अफ्रीका के खिलाफ बलिदान बैज वाले ग्लव्स पहनकर खेलते महेंद्र सिंह धोनी को जिसने भी देखा, वो धोनी की वाह-वाही करने से खुद को रोक नहीं पाया, लेकिन आईसीसी को ये जरा भी रास नहीं आया. आईसीसी ने बीसीसीआई से कहा कि धोनी ने नियमों का उल्लंघन किया है. वह ग्लव्स पर कोई निजी मैसेज नहीं लिख सकते हैं.
अब सवाल उठता है कि क्या धोनी को ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ अगले मैच में अपने इन ग्लव्स का बलिदान करना पड़ेगा? आईसीसी के रूख से ऐसा ही लगता है. आज सुबह बीसीसीआई ने आईसीसी से मांग की थी कि धोनी को बलिदान बैज वाले ग्लव्स पहनकर खेलने की इजाजत दी जाए. इस मांग पर आईसीसी ने साफ कर दिया है कि धोनी बलिदान बैज के ग्लव्स के साथ नहीं खेल सकते हैं.
- आईसीसी ने बीसीसीआई से कह दिया कि धोनी दोबारा ये ग्लव्स पहनकर मैदान पर ना उतरें. इसके पीछे आईसीसी ने जी-1 नियम की दलील दी जो कहता है कि मैदान पर कोई भी खिलाड़ी अपनी ड्रेस पर ऐसा कोई चिन्ह इस्तेमाल नहीं कर सकता है, जिससे कोई धार्मिक, राजनीतिक या नस्लीय संदेश जाए या फिर किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचे.
- बीसीसीआई के सीईओ विनोद राय ने कहा था कि हमने बीसीसीआई की तरफ से आईसीसी को सुचना भेज दी है की धोनी के ग्लव्स में जो चिन्ह है उसका किसी व्यवसायिक और धर्म के सांकेतिक से कोई लेना देना नहीं है. जैसा की हम सब जानते है तो उन्हें इसकी अनुमति जल्दी ही मिल सकती है. हालांकि, विनोद राय की उम्मीद से उलट आईसीसी ने अनुमति देने से इंकार कर दिया है.
क्रिकेट के बदले महेंद्र सिंह धोनी के विकेटकीपिंग ग्लव्स ज्यादा सुर्खियां बटोर रहे
वर्ल्ड कप का मौसम है, लेकिन मौजूदा टूर्नामेंट में क्रिकेट के बदले महेंद्र सिंह धोनी के विकेटकीपिंग ग्लव्स ज्यादा सुर्खियां बटोर रहे हैं. धोनी के दस्तानों पर ‘बलिदान बैज’ के निशान ने वर्ल्ड कप टूर्नामेंट को नया मोड़ दे दिया, जिससे विवाद ने जन्म ले लिया है. एक तरफ धोनी हैं कि वह अपने ग्लव्स बदलने को तैयार नहीं हैं, जबकि आईसीसी (ICC) अपने रुख से पलटना नहीं चाह रही है. ऐसे में ‘धोनी-आईसीसी’ प्रकरण मौजूदा वर्ल्ड कप का सबसे बड़ा मुद्दा बन गया है. बुधवार को साउथेम्प्टन में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ भारत के पहले मैच के दौरान धोनी को बलिदान बैज के साथ विकेटकीपिंग करते देखा गया था. आईसीसी ने धोनी को अपने दस्ताने से यह निशान हटाने को कहा था. लेकिन धोनी ने अपने ग्लव्स से इस निशान को हटाने से मना कर दिया. बीसीसीआई माही के समर्थन में उतरी है. बीसीसीआई के COA चीफ विनोद राय ने कहा, ‘हम आईसीसी को एमएस धोनी को उनके दस्ताने पर ‘बलिदान बैज’ पहनने के लिए अनुमति लेने के लिए पहले ही चिट्ठी लिख चुके हैं.’
धोनी के गलव्स पर बना सेना का बलिदान बैज विवाद लगातार बढ़ता जा रहा है। धोनी 5 जून को दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ वर्ल्ड कप के मुकाबले में बलिदान बैज वाले ग्लव्स के साथ मैदान पर उतरे थे। ऐसे में इसे आईसीसी ने नियमों के विरुद्ध मानते हुए बीसीसीआई से कहा था कि वो धोनी को ग्ल्वस पर बने लोगो को हटाने के लिए कहें। ऐसे में बीसीसीआई भी धोनी के समर्थन में उतर आया और सीओए के अध्यक्ष ने आईसीसी को लिखे पत्र में अनुरोध किया कि यदि नियमों के अनुरूप हो तो वो धोनी को इस लोगो के साथ वर्ल्ड कप में धोनी को खेलने की अनुमति दें।
बीसीसीआई ने जो पत्र आईसीसी को लिखा है उसमें उस घटना का जिक्र भी है जब रांची वनडे में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ मैच के दौरान पुलवामा आतंकी हमले में शहीद होने वाले सीआरपीएफ जवानों को श्रद्धांजलि देने के लिए टीम इंडिया सेना की टोपी पहनकर मैदान में उतरी थी। इसके लिए आईसीसी ने टीम इंडिया को अनुमति दे दी थी हालांकि पाकिस्तान ने आईसीसी के इस निर्णय पर तब भी सवाल उठाए थे।
धोनी यदि आईसीसी के कहने के बावजूद इस लोगो का विश्व कप के दौरान इस्तेमाल करते पाए जाएंगे तो उनके खिलाफ आईसीसी के नियमों के तहत अनुशासनात्मक कार्रवाई की जा सकती है। पहली बार दोषी पाए जाने की वजह से उनके खिलाफ अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है। ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ अगले मैच से पहले अंपायर उनके दस्तानों की जांच करेंगे और यदि तब उनके ग्लव्स में उत्पाद निर्माता के लोगो के अतिरिक्त कोई लोगो पाया जाता हो तो वो सजा के पात्र होंगे। ऐसे में उनपर आर्थिक जुर्माना लगाया जा सकता है साथ ही बैन भी लगाया जा सकता है।
ICC भी नहीं बदलेगा रुख
अब ICC के सूत्रों ने कहा कि नियमों के अनुसार अपील की कोई गुंजाइश नहीं है, लेकिन BCCI के पास ICC को पत्र लिखने का अधिकार है. इस मामले को तकनीकी समिति को सौंपा जाएगा. जिसमें जेफ एल्डर्स, डेविड रिचर्डसन, कुमार संगकारा, हर्षा भोगले और स्टीव एलवर्दी शामिल हैं, लेकिन यह बहुत संभावना नहीं है कि वे अपना रुख बदल देंगे.
धोनी के समर्थन में पूर्व सैन्य अधिकारी, याद दिलाई PAK टीम की हरकत
धोनी के दस्तानों पर ‘बलिदान बैज’ के निशान को लेकर मामला गर्माता जा रहा है. आईसीसी ने धोनी को अपने दस्ताने से यह निशान हटाने को कहा है. जिसके बाद धोनी ने भी अपने ग्लव्स से इस निशान को हटाने से मना कर दिया. धोनी के पक्ष में पूरा देश खड़ा है. इसी बीच लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) विनोद भाटिया ने धोनी को लेकर बयान दिया है. पूर्व-डीजीएमओ भाटिया की ही उपस्थिति में एमएस धोनी को प्रादेशिक सेना की पैराशूट रेजीमेंट में कमीशन किया गया था.
विनोद भाटिया ने कहा, ‘एमएस धोनी ने अपने दस्ताने पर ‘बलिदान बैज’ लगाकर सेना का समर्थन किया है. इससे कोई भी राजनीतिक, धार्मिक और वाणिज्यिक सन्देश नहीं जा रहा है.’विनोद भाटिया ने याद दिलाया कि ‘2016 में जब पाकिस्तान की टीम इंग्लैंड में लॉर्ड्स के मैदान पर टेस्ट मैच जीती थी तो उन्होंने इसे पाक सेना को समर्पित किया था. जब धोनी एक बैज पहनते हैं, तो पाक को समस्या होती है, भारत के भीतर के कुछ लोगों को भी समस्या है, आईसीसी को भी समस्या है.’
बता दें कि बीसीसीआई की चिट्ठी के बाद ICC के सूत्रों ने कहा है कि नियमों के अनुसार अपील की कोई गुंजाइश नहीं है, लेकिन BCCI के पास ICC को पत्र लिखने का अधिकार है. इस मामले को तकनीकी समिति को सौंपा जाएगा. जिसमें जेफ एल्डर्स, डेविड रिचर्डसन, कुमार संगकारा, हर्षा भोगले और स्टीव एलवर्थी शामिल हैं, लेकिन यह संभावना नहीं है कि वे अपना रुख बदल देंगे.’
वरिष्ठ आईसीसी सूत्रों का कहना है कि संस्था किसी भी तरह से इस पर पुनर्विचार करने वाला नहीं है, क्योंकि कोई अन्य टीम भी ऐसा कुछ कह सकती है और ICC को इसे अनुमति देनी होगी. इसके बाद खेल के मैदान में भी धार्मिक या राजनीतिक संदेश जाएगा, जिस पर ICC कभी अनुमति नहीं दे सकती. तो यह लगभग तय है कि आईसीसी इस पर अपना रुख नहीं बदलेगी. हालांकि उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि BCCI ने अभी तक इस पर कोई औपचारिक अपील नहीं की है.
‘मैदान पर पाकिस्तान टीम की नमाज सही, तो फिर धोनी के ग्लव्स से क्या दिक्कत?’
जब बात क्रिकेट और देशभक्ति की हो जाती है तो भारतीय फैंस के जोश का कोई सानी नहीं होता है. फिर चाहे क्रिकेटरों को भगवान की तरह पूजना हो या फिर सेना के समर्थन में आ जाना. लेकिन गुरुवार से एक ऐसा विवाद सामने आया है जिससे क्रिकेट और सेना का सम्मान जुड़ गया है. महेंद्र सिंह धोनी के ग्लव्स पर पैरा मिलिट्री फोर्स के बलिदान बैज के निशान को ICC ने हटाने का फरमान दिया है. अब लोगों का कहना है कि जब मैच से पहले खिलाड़ी मैदान में नमाज़ पढ़ सकते हैं, तो फिर ग्लव्स में क्या ही गलत है. फैंस हैं कि मानने को तैयार नहीं हैं और इसे अब सेना के सम्मान से जोड़ दिया है.
महेंद्र सिंह धोनी, प्रादेशिक सेना में मानद लेफ्टिनेंट कर्नल हैं. ऐसे में उनके पास आधिकारिक तौर पर ये हक है कि वह इस बैज का इस्तेमाल कर सकते हैं. इसलिए धोनी ने सम्मान दिखाते हुए अपने विकेटकीपिंग ग्लव्स पर बलिदान मेडल का निशान लगाया. जब फैंस को पता चला तो हर कोई धोनी का गुणगान करने लगा.
लेकिन इंटरनेशनल क्रिकेट काउंसिल (ICC) को ये बात रास नहीं आई. ICC ने बीसीसीआई को लिखकर अपील की है कि महेंद्र सिंह धोनी से अपील की जाए कि इस ग्लव्स का इस्तेमाल न करें. जिसपर क्रिकेट जगत, सोशल मीडिया पर बड़ी बहस छिड़ गई है.सोशल मीडिया पर कुछ लोग पाकिस्तानी टीम की तस्वीर साझा कर रहे हैं, जिसमें वह मैदान पर ही नमाज़ पढ़ रहे हैं. ऐसे में लोग सवाल कर रहे हैं अगर कोई पूरी टीम मैदान पर अपने धार्मिक भावनाओं को प्रकट कर सकती है तो फिर सिर्फ ग्लव्स पर बैज लगाने से क्या दिक्कत है. जबकि धोनी खुद लेफ्टिनेंट कर्नल हैं.
The @ICC has no problem with the entire Pakistan cricket team marking territory by praying on the cricket field, denigrating Christians and Jews (part of Muslim ritual prayer) but find insignia on @MSDhoni's gloves inappropriate. pic.twitter.com/8wwZYtnti2
— Tarek Fatah (@TarekFatah) June 6, 2019
बता दें कि इससे पहले एक बार जब अफगानिस्तान टीम की भी एक नमाज पढ़ते हुए तस्वीर सामने आई थी, जिसपर काफी विवाद हुआ था. तब इंजमाम उल हक अफगानिस्तान टीम के कोच थे. नमाज वाली बात को न सिर्फ फैंस, बल्कि बड़ी हस्तियां भी उठा रही हैं, पाकिस्तान के ही तारिक फतेह ने भी इस पर आपत्ति दर्ज कराई है. वहीं भारतीय फुटबॉल टीम के पूर्व कप्तान बाइचुंग भूटिया का भी कहना है कि धोनी के इस तरह के बैज का इस्तेमाल करने में कोई गलती नहीं है, लेकिन अगर ICC के नियम हैं तो उसको भी देखना होगा. भारतीय ओलंपियन सुशील कुमार ने भी कहा कि जबतक किसी ने कोई शिकायत नहीं की होगी तबतक ये मामला सामने नहीं आया होगा. पाकिस्तान के मंत्री भी इस मुद्दे को उठा रहे हैं. उन्होंने कहा कि इससे किसी को कोई दिक्कत नहीं होनी चाहिए लेकिन नियमों को भी देखना होगा.