फेल होने के बाद छात्रा ने कर ली थी खुदकुशी, दोबारा जांच में अब हुई पास

बाल संरक्षण कार्यकर्ता अच्यूत राव और अरुतला के परिवार ने बीआईई अधिकारियों को गिरफ्तार करने की मांग की है.

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तेलंगाना बोर्ड में 12वीं की परीक्षा देने वाली 17 वर्षीय एक छात्रा ने एक पेपर में असफल होने के बाद आत्महत्या कर ली थी, जब उसकी उत्तर पुस्तिका की फिर से जांच की गई तो वह 48 अंकों के साथ पास पाई गई. तेलंगाना कक्षा 12वीं के परिणामों का पुनर्मूल्यांकन करने वाली टीम ने यह जानकारी प्राप्त की.अनामिका अरुतला नाम की छात्रा ने तेलुगू पेपर में फेल होने के बाद फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी. इससे पहले उसे इस पेपर में 20 अंक दिए गए थे, उत्तर पुस्तिका की दोबारा जांच करने पर पता चला कि उसके 48 अंक हैं.

अनामिका की बड़ी बहन उदया ने कहा, “हमें बोर्ड ने बताया था कि अनामिका के मात्र एक या दो अंक बढ़ गए हैं और वह अब भी फेल श्रेणी में है, लेकिन यह दिखाता है कि वह पास हो गई है. अब उसकी मौत का जिम्मेदार कौन है? क्या वे मेरी बहन को वापस ला सकते हैं? यह एक बड़ी गलती है.”

बाल संरक्षण कार्यकर्ता अच्यूत राव और अरुतला के परिवार ने बीआईई अधिकारियों को गिरफ्तार करने की मांग की है.

बता दें कि राज्य में इंटर के परिणाम आने के बाद 23 छात्रों ने आत्महत्या की है. परीक्षा में 9.43 लाख छात्र शामिल हुए थे, जिनमें से 5.60 लाख पास घोषित किए गए. परीक्षा परिणामों की घोषणा के बाद पता चला कि अधिकारियों ने कथित तौर पर उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्यांकन करने और परिणाम तैयार करने में गलती की थी, जिससे लोगों में आक्रोश भर गया.

कई छात्रों और उनके माता-पिता ने दावा किया कि सही उत्तर लिखने के बाद भी उन्हें काफी कम अंक दिए गए हैं.विपक्षी दलों और छात्र निकायों ने सड़क पर उतरकर छात्रों के लिए न्याय की मांग की थी. मामला उच्च न्यायालय में पहुंचने के बाद, तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव ने 24 अप्रैल को सभी असफल छात्रों की उत्तर पुस्तिकाओं की पुन: जांच की घोषणा की थी.

बोर्ड ऑफ इंटरमीडिएट एजुकेशन (बीआईई) के सचिव एम अशोक के अनुसार 23 छात्रों ने आत्महत्या कर ली और तीन खुद को खत्म करने की कोशिश की. आत्महत्या करने वाले 23 में से 20 छात्र फेल और दो पास थे, लेकिन उन्होंने उम्मीद के मुताबिक नंबर न आने पर बहुत बड़ा कदम उठा लिया.

कई छात्रों का कहना है कि उन्हें विषय में एक संख्या में अंक मिले हैं. कुछ मामलों में छात्रों को उपस्थित होने के बाद भी अनुपस्थित दिखाया गया है.

इस मामले को लेकर तीन सदस्यीय एक जांच समीति का गठन किया गया है. वहीं बोर्ड का कहना है कि पुनर्मूल्यांकन के बाद फेल हुए 3.8 लाख छात्रों में से केवल 1100 छात्र पास हुए हैं.

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