विधानसभा चुनाव की आहट के बीच जम्मू-कश्मीर में नहीं हो रही 28 हजार जवानों की तैनाती, गृह मंत्रालय ने किया खबर का खंडन

जम्मू-कश्मीर में 25 हजार जवान और भेजे जाएंगे. इससे पहले नरेंद्र मोदी सरकार ने घाटी में 100 कंपनियों को भेजने के आदेश दिए थे. पैरामिलिट्री फोर्सेज को घाटी में और सैनिक भेजने के मौखिक आदेश जारी किए गए हैं. सूत्रों के मुताबिक पिछले 4 दिनों में सेंट्रल आर्म्ड पुलिस फोर्सेज (CAPF) की 281 कंपनियां कश्मीर पहुंच चुकी हैं.

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नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर केंद्रीय सुरक्षा बलों की 280 कंपनियां यानी 28 हजार जवानों की तैनाती की खबर का केंद्रीय गृह मंत्रालय ने खंडन किया है. इससे पहले समाचार एजेंसी पीटीआई के हवाले से खबर आई थी कि कश्मीर में केंद्रीय सुरक्षा बलों के 28 हजार जवानों की तैनाती हो रही है.

इससे पहले जब दस हजार जवानों की तैनाती की भी बात सामने आई थी, तब खुफिया सूत्रों के हवाले से ये खबर आई थी कि आने वाले दिनों में आतंकवादी कश्मीर में किसी बड़ी घटना को अंजाम दे सकते हैं. सूत्रों के मुताबिक आतंकवादी 15 अगस्त और अमरनाथ यात्रा को निशाना बना सकते हैं.

सरकार की ओर से कश्मीर में सुरक्षा इंतजामों का हवाला दिया जा रहा था, लेकिन अफवाह ये उड़ाई गई कि कश्मीर से आर्टिकल 370 और 35a को खत्म करने की तैयारी हो रही है. इसी को लेकर विरोधी बीजेपी पर बरसने भी लगे. जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री और पीडीपी नेता महबूबा मुफ्ती ने कहा कि 35ए के साथ छेड़छाड़ करना बारूद को हाथ लगाने के बराबर होगा. उन्होंने कहा कि कहा कि जो हाथ 35ए के साथ छेड़छाड़ करने के लिए उठेंगे, वो हाथ ही नहीं वो सारा जिस्म जल कर खाक हो जाएगा.

तीखी प्रतिक्रिया

सरकार के 15 अगस्त से पहले जम्मू-कश्मीर में 10 हजार अतिरिक्त जवानों की तैनाती के आदेश के बाद कश्मीर की राजनीतिक पार्टियों ने तीखी प्रतिक्रिया जाहिर की थी.

कयास लगाए जा रहे हैं कि 35 ए को हटाने की उल्टी गिनती शुरू हो गई है. मोदी सरकार ने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के घाटी से लौटने के दो दिन बाद अतिरिक्त कंपनियों को जम्मू-कश्मीर भेजने का आदेश जारी किया है. हालांकि स्थानीय नेताओं और राजनीतिक पार्टियों ने इसका विरोध भी शुरू कर दिया है.

लोकसभा 2019 चुनाव के घोषणापत्र में भी बीजेपी ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 35 ए और 370 को खत्म करने की प्रतिबद्धता जाहिर की थी. भारतीय जनता पार्टी का तर्क है कि ये अनुच्छेद राज्य के एकीकरण में बाधा बनने के अलावा जम्मू-कश्मीर के विकास में भी रुकावट बने हुए हैं. मोदी सरकार के इस कदम से लग रहा है उसने इस दिशा में कदम बढ़ा दिए हैं.

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