बठिंडा में कोरोना से मरने वालों की तादाद बढ़ी, दो और लोगों की मौत के बाद आकड़ा 131 पहुंचा

जिले में पुलिस की सख्ती कम होने के साथ किसानों व राजनीतिक संगठनों के विरोध प्रदर्शन के बाद लोगों में कोरोना को लेकर डर हुआ कम, बिना मास्क से घूमने लगे लोग वही सोशल डिस्टेसिंग की भी नहीं हो रही पालना। माहिरों ने बताया खतरनाक रुझान बढ़ सकती है लोगों के साथ प्रशासन की मुसीबत

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बठिंडा. जिले में अक्तूबर माह में कोरोना मरीजों की मौत का सिलसिला जारी है। शनिवार को 2 संक्रमित व्यक्ति की मौत हुई है। बठिंडा के पाश इलाके माडल टाउन में फेस एक में रह रहे 76 साल की कांता देवी पिछले चार दिन से संक्रमण से ग्रस्त थी। वही शनिवार को उन्होंने दम तोड़ दिया।  जिले में कोरोना संक्रमण से दूसरी मौत बलदेव सिंह उम्र 74 साल वासी कृष्णा कालोनी नजदीक दीप सिंह नगर बठिंडा की हुई है। मृतक दो दिन पहले खासी, जुकाम व आक्सीजन लेबल गिरने के बाद कोरोना टेस्ट करवाने सिविल अस्पताल बठिंडा पहुंचा था जहां जांच में कोरोना वायरस की पुष्टी के बाद उन्हें उपचार के लिए फरीदकोट मेडिकल कालेज में दाखिल करवाया गया था जहां शनिवार की दोपहर बाद उनकी मौत हो गई। बठिंडा में शनिवार को कोरोना से दो लोगों की मौत हो चुकी है। वही मृतकों की तादाद 131 पहुंच गई है।

अक्टूबर माह में पहले तीन दिनों में कोरोना से 6 लोगों की मौत हो चुकी है। अधिकतर मामलों में तेज बुखार होने के चलते उनका कोरोना टेस्ट करवाया जा रहा हैइसमें जांच रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद पहले अधिकतर को सेहत विभाग की मेडिकल टीम की निगरानी में होम आइसोलेट करवाया जा रहा है लेकिन हालात खराब होने पर उन्हें प्राइवेट अस्पताल या फिर फरीदकोट मेडिकल कालेज में रैफर किया जाता है। अधिकतर मामले ऐसे हैं जिसमें दाखिल होने से दो से तीन दिन में ही मरीज की मौत हो रही है। इसके पीछे कारण बताया जा रहा है कि मरीज पहले टेस्ट करवाने में देरी कर रहे हैं वही बाद में उपचार के लिए समय पर फैसला नहीं लेने के चलते मरीज की हालत निरंतर खराब हो रही है। इसमें 50 साल से उपर उम्र के लोगों के लिए कोरोना सर्वाधिक कहर बनकर टूटा है। इसी तरह जिले में जिला प्रशासन के अनुसार कोरोना संक्रमण से मरने वालों की संख्या 117 बताई है जबकि अब तक 130 लोगों के मौत हुई है। सेहत विभाग की मेडिकल टीम द्वारा अब तक 62815 सैंपल लिए गए हैं। जिनमें 5837 कोरोना संक्रमित पाए गए, 4352 कोरोना संक्रमित मरीज अलग-अलग दिनों में स्वस्थ होने पर डिस्चार्ज कर घर भेज दिया गया। अब कुछ दिन से कोरोना के नए केस आने की रफ्तार धीमी हुई है और सितंबर में जो काफी संख्या में कोरोना केस मिले थे अब वे उसी हिसाब से ठीक हो रहे हैं।

सितंबर में औसत हर दिन 90-100 से अधिक केस आए। लेकिन पिछले एक सप्ताह यानि 22 सितंबर से नए संक्रमित मरीजों में कमी दर्ज की गई है। 21 सितंबर को 132 नए केस मिले थेजबकि 22 सितंबर को सिर्फ 74 कोरोना संक्रमित मरीज मिले और अक्टूबर को मात्र 27 कोरोना संक्रमित मरीज मिले। लेकिन राहत की बात यह रही कि जिस तरह से कोरोना के पॉजिटिव केस आए ठीक उसी तरह रिकवरी भी बेहतर हुई। यानि 5837 मरीजों में 4352 मरीज रिकवर हो चुके हैं। अब सिर्फ 615 मरीज एक्टिव रह गए हैं। शनिवार को भी फरीदकोट मेडिकल कालेज में जांच के लिए भेजे गए सैंपलों की रिपोर्ट में मात्र चार लोगों के पोजटिव होने की पुष्टी हुई है। इसमें माडल टाउन फेस तीन में एक, थाना कनाल कालोनी में एक, अमरिक सिंह रोड में एक व प्रताप नगर में एक कोरोना पोजटिव केस मिला है। 

जिले में किसान व राजनीतिक संगठनों की तरफ से कृर्षि विधेयक को लेकर चल रहे आंदोलन के बाद हालात व प्रस्थितियों में तबदीली देखने को मिली है वही लोगों ने भी कोरोना को लेकर डरने की मानसिकता को छोड़ना शुरू कर दिया है। सड़कों में सैकड़ों की तादाद में बिना मास्क व सोशल डिस्टेसिंग के प्रदर्शन करने के साथ एक ही इलाके में इकट्ठे होकर बैठे प्रदर्शनकारियों को देखकर मास्क लगाकर नियमों का पालन करने वाले लोग भी बेफिक्र हो रहे हैं। कोरोना को लेकर काम कर रहे डाक्टरों का कहना है कि वर्तमान में यह हालात किसी बड़े खतरे की घंटी से कम नहीं है। वर्तमान में पहले जहां पुलिस के कर्मी व अधिकारी विभिन्न नाकों में बिना मास्क घूम रहे लोगों पर सख्ती करते थे वह भी पिछले 10 दिनों से बंद है जिससे लोग खासकर नौजवान वर्ग के लोग बेखौफ हो गए है। कोरोना वायरस तब तक सभी के लिए खतरनाक है जब तक उसकी कोई दवा व वेक्सीन बाजार में नहीं आ जाती है। संक्रमण का लेबल अभी भी पहले की तरह बना हुआ है।यह बात अलग है कि लोग बेफिक्र होकर अब टेस्ट करवाने से गुरेज कर रहे हैं वही हालात गंभीर होने के बाद अस्पतालों की तरफ आ रहे हैं। पिछले दिनों 18 साल के एक नौजवान की मौत कोरोना से होने से साबित होता है कि यह हर उम्र के लोगों को अपनी चपेट में ले रहा है।  अगर समय रहते मास्क पहनने के साथ सोशल डिस्टेंसिंग बनाने के नियम को फिर सख्ती से लागू नहीं किया जाता है तो प्रशासन के साथ आम लोगों के लिए बड़ी परेशानी खड़ी हो सकती है।   

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